भगवा भारत

Ayush Laddha
मान गए ज़नाब, शून्य से शिखर का सफर बहुत जल्द तय किया है भाजपा ने। और त्रिपुरा की इस प्रचंड जीत ने फिर मेरी उस सोच को दुरुस्त किया है जो कहती है कि लगभग 2024 तक को मोदी-शाह की जोड़ी अपराजेय है। मेरा मानना है कि किसी चुनाव में सफलता के लिए चार “M” की जरूरत होती है – मनी, माइंड, मैनेजमेंट और मीडिया, और इस समय ये चारों ही चीजें भारतीय जनता पार्टी के पास प्रचूर मात्रा में है। वैसे एक और M जोड़ दिया है मोदीजी ने इसमे, “मार्केटिंग”। विगत वर्षों में जिस तरह से भाजपा ने मोदी ब्रांड की मार्केटिंग की है, वह वाकई अभूतपूर्व है। एक अरसे पहले तक भाजपा राष्ट्रीय पार्टी होने के बावजूद मध्य और पश्चिम भारत के आगे नही बढ़ पाती थी, पर आज उत्तर पूर्व के उस किले की दीवार उसने ढहाई है जिसे तीन दशकों से कांग्रेस नही हिला पाई। यह मोदी ब्रांड की मार्केटिंग और शाह मैनेजमेंट का ही तो नतीजा है। ‘संघे शक्ति कलो युगे’ पढ़ा था कई भाजपाइयों की फेसबुक पोस्ट पर, इस तितर बितर पार्टी को ‘संघ’ में तब्दील किया है शाह साहब के मैनेजमेंट ने, और भाजपा की छवि में आमूलचूल बदलाव किया है ब्रांड मोदी की मार्केटिंग ने। चुनाव चाहे नगरपालिका का हो या लोकसभा का, काम हैंडपंप लगाने का हो या बुलेट ट्रेन चलाने का, सबका श्रेय मोदीजी को ही दिया जाता है, और जहाँ कहीं मोदी ब्रांड को श्रेय देने का मौका नही मिलता (बिहार), वहाँ शाह साहब का प्रचंड मैनेजमेंट काम आ जाता है। वैसे ऐसी बात नही है कि भाजपा में ही ऐसा होता है, भाजपा में तो ये चलन अभी शुरू हुआ है, कांग्रेस तो युगों युगों से हर जीत का सेहरा गांधी परिवार पर बांधती आई है पर अब ये महज़ एक रिवाज़ बन कर रह गया है। इसे भाजपा की चतुराई कहें या कांग्रेस की ढिलाई, राहुल गांधी का ब्रांड बनने से पहले ही धराशायी हो गया। कांग्रेसी आलाकमान धरातल की सच्चाई से या तो अनजान है या आँख मूंद कर बैठा है, राहुल जी की ताजपोशी तो यही प्रमाणित करती है।
आज के 5 वर्ष पहले भाजपा की सरकार 9 राज्यों में थी और कांग्रेस की 14, और आज इस आंकड़े में आमूलचूल परिवर्तन आ गए हैं, जहां भाजपा का कमल 21 राज्यों में खिल गया है, कांग्रेस का हाथ सिर्फ 4 राज्यों के साथ रह गया है (जिनमे से एक कर्नाटक में इसी साल चुनाव होने हैं)। भगवा भारत के सपने की ओर, त्रिपुरा की जीत ताबूत में आखिरी कील की तरह लगती है। हैरानी नही होगी अगर भाजपा 2019 के चुनाव में 300 का आंकड़ा पर कर ले और 25-26 राज्यों में सत्ता पर बैठी हो।
आज के समय में सत्ता अगर लक्ष्मी है, तो मोदीजी और शाह कुबेर से कम नही हैं। और हमारे सुदामा जी (बताने की जरूरत है क्या?) अपने जीवन मे श्रीकृष्ण के आगमन का इंतज़ार कर रहे हैं।

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