मस्तिष्क और मन (Mind & Brain)

डा. जे.के.गर्ग
हमारा मन या माइंड अपने आप में अति विचित्र है, इसके भीतर हमेशा भिन्न प्रकार की सोच निरंतर उछल-कूद करती ही रहती है इसीलिए मन की तुलना बन्दर से भी कीजा सकती है | माइंड या मन में विचारों का अथाह समुद्र भी होता है इसलिए कुछ लोग मन या माइंड को विचारों की खदान या सुरंग भी कहते हैं | मन में विचार या विभिन्न सोच बेतरतीबी अव्यस्तिथ यानि पागलखाना भी कह सकते हैं जो अनिश्चता से परिपूर्ण है और इस पर अनिश्चता का सिद्दान्त पूरी तरह से लागू होता है | जिस प्रकार नाटक या सिनेमा में कलाकार पात्र के चरित्र के अनुसार मात्र अभिनय करते हैं वास्तविकता में अपनी असली जिन्दगी में वे इस अभिनय से बिल्कुल भिन्न होते है | हमें भी अपने आप को मात्र आब्जर्वर या साक्षी बन कर सिर्फ देखना चाहिये किन्तु उनमें शामिल होकर उलझना नहीं चाहिए | अपने विचारों या सोच को सिर्फ इस प्रकार से देखें जैसे हम आसमान में बादलों को देखते हैं | ऐसा करने से आपका मन या माइंड धीमें धीमें इनमें दिलचस्पी लेना खत्म कर देगा जिसके परिणाम स्वरूप विचारो की संख्या कम होती जायेगी और अवांछित विचार या थॉट आपके अंदर आना बंद हो जायेगें एवं आपकी चाहत (डिजायर ) की भावना भी खत्म होती जायेगी | मैडिटेशन या ध्यान से हमारे भीतर जागरूकता का संचार होता है जिससे हम अपने आपको हमारी सोच (थॉट) प्रकिया से असम्बद्ध करनेवाले बन जाते हैं | मैडिटेशन या ध्यान, हमको हमारे भूतकाल या भविष्य के मध्य उछल- करने से तो बचाते ही है साथ ही साथ हमें अपने वर्तमान (प्रेजेंट) के क्षणों में ही रहने और वर्तमान मे हीं स्थिर रखने में भी मददगार बनते हैं | मान कर चले कि केवल मैडिटेशन या ध्यान से ही हमारा माइंड या मन अचल स्थिर या निश्चल रह सकता है | सोच एवं संस्कार आपस में एक दुसरे से जुड़े हुए हैं | सोच अगर बीज है तो संस्कार उन बीजों से उत्पन्न व्रक्ष हैं |

मनोविज्ञानिको के अनुसार सारी समस्यायें माइंड या मन से ही शुरू होती है और उनका समाधान भी माइंड या मन से ही होता है | इस प्रकार माइंड (मन) हमारे शरीर रूपी यंत्र में एक बोद्धिक गियर intellectual gear)के रूप में काम करता है, अगर हम इस गियर का उपयोग सही तरीके से करें तब निश्चय ही हमने अपने आप को तनाव मुक्त रखने और तनाव रहित जीने की कला का सर्वश्रेष्ठ फार्मुला प्राप्त कर सकते हैं |

बुद्धिमता का हमारे I.Q.(आइ.क्यू) से विशेष लेना देना नहीँ होता है | हमारे पास I.Q. के साथ यानि साथ भावनात्मक बुद्धिमता E.Q.(इ.क्यू) , और उच्चतर बुद्धिमता H.Q.(एच.क्यू.) भी होती है | कई शोधकर्ताओं ने अब तक 25 उपबुद्धिमता Sub Intelligence की पहचाहन कर ली है | उचित प्रशिक्षण से हम सभी अपने –अपने बुद्दिस्तर को बड़ा सकते हैं जिसके फलस्वरूप हम भी महान आईन्स्टाईन की सीखने की क्षमता के समकक्ष क्षमता प्राप्त कर सकते हैं |

जीवन में विजय और सफलता हेतु हमें चार बिंदुओं यानि P.O. S. T. को याद रख कर उस पर अमल भी करना होगा | चार बिन्दु निम्नलिखित हैं |

[P] हमेशा अपने आप को वर्तमान में रक्खो| Be in the present moment

[O]अनासक्त भाव से अपने सोच बनों का अवलोकन करने वाले | Be a detached observer to your thoughts.

[S]—–अपने आप को पूर्ण रूप से जीवन शक्ति | दो समर्पित को Surrender compeletly to the life force, universe force.

[T]——ज्ञानकोस्तर को बड़ायें | ऊर्जावान बनें |ध्यान से अपनी आध्यात्मिकता को बड़ायें |

सकंलन कर्ता एवं प्रस्तुतिकरण—-डा. जे. के. गर्ग

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