बदनाम हस्तियों पर फिल्म बनाने की बॉलीवुड की बढ़ती प्रवृति पर खांटी खड़गपुरिया का प्रहार

तारकेश कुमार ओझा
जमाने की न जाने , ये कैसी बयार है…
नेपथ्य में नायक, मगर खलनायकों की बहार है
नाम से ज्यादा बदनामी की पूछ
बजता डंका जोरदार है…
नेक माने जा रहे बेवकूफ
धूर्त – बेईमानों की जय – जयकार है
अग्निपथ पर चलने वाले संघर्षशील कहला रहे बोरिंग
हिस्ट्रीशीटरों की बहार ही बहार है
न जाने कहां रुकेगा ये सिलसिला
सोच कर भी मचता दिल में हाहाकार है…

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