खुशहाल जिन्दगी का रहस्य

स्वामी विवेकानंदजी और उनके गुरु रामक्रष्ण परमहंस के सवाल जबाव में छिपा हुआ है खुशहाल जिन्दगी का रहस्य

डा. जे.के.गर्ग
आईये देखें रामक्रष्ण परमहंसदेव और उनके शिष्य स्वामी विवेकानंदजी के बीच में हुये वादविवाद में छिपे हुये खुशहाल जिन्दगी के रहस्य को | यहाँ प्रश्नकर्ता स्वामीजी है और उत्तर देने वाले परमहंसदेव है |
प्रश्नजीवन की जटिलता में कोई अपना उत्साह कैसे बनाये रक्खे”

उत्तर इसका सबसे अच्छा उपाय है कि उसे गिनो, जो तुमने पाया है,जो हासिल नहीं हो सका उसे नहीं | तुम्हें कहाँ पहुचना कि बजाय की तुम कहाँ पहुंच गये हो |

प्रश्न कई बार मुझे लगता है कि मै बेकार मे प्राथनाएं कर रहा हूँ इसका कोई अर्थ नहीं है |

उत्तर तुम शायद डर गये हो, इससे बचो | जीवन कोई समस्या नहीं है, जिसे तुम्हें सुलझाना है | मुझे लगता है कि तुम यह जान जाओ कि जीना कैसे है, तो जीवन बेहद आश्चर्यजनक और सुंदर है

प्रश्न हमेशा दुखी रहने का कारण क्या है

उत्तर जीवन की जटिलता से परेशान होना लोगों की आदत बन गई है,यही प्रमुख वजह है लोग खुश नहीं रह पाते हैं |

प्रश्न वे दुखी क्यों रहते हैं ?

उत्तर जिसे तुम दुःख कह रहे हो दरअसल वह एक परीक्षा है,परीक्षा से प्राप्त अनुभव से उनका जीवन बेहतर होता है, बेकार नहीं | रगड़े जाने पर ही हीरे में चमक आती है | आग में तपने के बाद ही सोना शुद्ध होता है |

प्रश्न आपका मतलब है कि दुःख अनुभव प्राप्त करने के लिये उपयोगी होता है |

उत्तर परमहंस ने कहा तुम बिलकुल्ल सही समझ रहे हो अनुभव एक कठोर शिक्षक की तरह है | पहले वह परीक्षा लेता है और फिर सीख देता है |

प्रश्न जीवन की इस जटिलता में कोई अपना उत्साह कैसे बनाये रख सकता है ?

उत्तर इसका सबसे अच्छा उपाय है कि उसे गिनो,जो तुमने पाया है,जो हासिल नहीं हो सका उसे नहीं | तुम्हें कहाँ पहुचना कि बजाय की तुम कहाँ पहुंच गये हो |

प्रश्न लोगों की कौन सी बात आपको चकित करती हैं ?

उत्तर लोग क्यों यह सवाल तभी करते हैं जब वें परेशान होते हैं ? पर जब उनके जीवन में खुशियाँ आती हैं तो वो कभी नहीं सोचते |

प्रस्तुतिकरण एवं सकलंकर्ता—डा. जे. के. गर्ग
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