समाज के अधिकांश लोग नहीं जानते कि कतिपय संस्थाओं और समितियों को कार्यक्रम विशेष के लिए सहयोग राशि दी जाती है। सरकार की मंशा के अनुरूप ऐसा सहयोग संबंधित विभाग /निकाय या अकादमी संस्था समिति को इस आशा से उपलब्ध करवाते हैं कि राशि को संस्था समितियां सामूहिक सामाजिक आयोजन में उपयोग करते हुए भाषा साहित्य कला संस्कृति एवं परंपराओं का संरक्षण संवर्धन करते हुए सभी समाजजन को जागरूक/लाभान्वित करेंगे।
यह भी अधिकांश लोग नहीं जानते कि समिति आदि को सहयोग. राशि प्राप्त करने के लिए कितनी मेहनत-मशक्कत करनी पड़ती है। और यह भी काफी लोग नहीं जानते कि नाम मात्र की सहयोग राशि के लिए भी कतिपय स्थितियों में संचालकों को अपने साथी-सहयोगियों से भी पर्दा करना पड़ता है, लेकिन यह भी सच है कि ऐसा निजी स्वार्थ से इक्का दुक्का ही करते होंगे, हर कोई नहीं । अधिकांश लोग ऐसा स्वार्थ से नहीं वरन अपनी संस्था – समिति की गतिविधियों को सुचारू और समाज हित में करने का प्रेरक संदेश देते हुए अपनी संस्था समिति की छवि को प्रतिष्ठित बनाए रखने के लिए भी करते हैं। और इस या कुछ ऐसी ही पावन भावनाओं के कारण आम आदमी तक ऐसी जानकारी पहुंच नहींं पाती कि समाज की कुछ गतिविधियों के लिए सरकारी उपक्रमों यथा नगर निगम, नगर विकास न्यास, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग, भाषा अकादमियां आदि आदि द्वारा संस्था समितियों को आयोजन अथवा संचालन विशेष के लिए आंशिक सहयोग राशि मिलती है अथवा मिल सकती है। यहांं हम आम आदमी की जागरूकता के ध्येय से सामान्य और सहज उपलब्ध जानकारी की प्राप्ति के लिए सरकार की पारदर्शी प्रक्रिया के बारे बता रहे हैं। आज तकरीबन सभी निकायों, विभागों, अकादमियों की वेबसाइट संचालित है । प्रायः इन वेबसाइट पर सामाजिक सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए संस्था समितियों को सहयोग दिए जाने संबंधी जानकारी अंकित होती है। इस संबंध में पूछे जाने पर सिंधी अकादमी के एक अधिकारी ने कहा कि पात्रता के लिए मुख्य रूप से संस्था या सहयोग राशि प्राप्त करने के लिए समिति को पंजीकृत होना चाहिए, बैंक खाता संचालित हो । अन्य आवश्यक जानकारी संबंधित विभाग/निकाय/अकादमी से चाही जाने पर सहज ही उपलब्ध करवाई जाती है।
-✍️ मोहन थानवी
स्वतंत्र पत्रकार साहित्यकार 9460001255