प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम खुला पत्र

*आदरणीय नरेन्द्र मोदी जी*
*प्रधानमंत्री, भारत सरकार*
*नई दिल्ली*

*मान्यवर*

सिद्धार्थ जैन
विगत दो वर्ष से मैं लगातार देश के मानस पर टकटकी लगाए हुए हू। कारण स्पष्ट है। पाँच वर्षों पूर्व देश ने आपको (आपकी पार्टी को नही) सिर-माथे लिया। क्यो लिया? उससे पहले आम जनता दस वर्ष के शासन से त्रस्त हो उकता गई थी! भाजपा से भी कोई ज्यादा उम्मीद नही थी। तब एकसौ तीस करोड़ देशवासियों के विश्वास का केंद्र “केवल आप और आप” बने। प्रधानमंत्री बनने के बाद जनता आपकी दीवानी बनी हुई थी। *निःसन्देह कभी नेहरू,इंदिरा और वाजपेयी के बाद आप जननेता के रूप में तेजी से उभरे। आपने परिवार को सत्ता से विरक्त रखकर समूचे विश्व को अनूठा-अनुकरणीय सन्देश भी दिया। वो तो आज भी बे-मिसाल है।* आप विदेशो में अनवरत भारत का पक्ष मजबूती के साथ रखते रहे। विश्व को भारत की सम्प्रभुता मनवाने की दिशा में आप भरसक अडिग रहे। तब विपक्षियों ने आपको कमजोर करने में भी कोई कौर कसर नही छोड़ी। आपने किसी की कोई चिंता नही की। आपके लिए देशहित ही सर्वोपरि बने रहे। देश के वर्तमान सभी नेताओं के मुकाबले आम जनसमुदाय का विश्वास आज भी आप पर ज्यादा बना हुआ है।

प्रधानमंत्री जी माफ करना… आप इसी अतिरेक के चलते कई निर्णय जल्दबाजी में लेते चले गए! सम्भव है उनके पीछे आपकी कोई दूरगामी सोच रही हो? लेकिन उनके तात्कालिक असर से जन-जन त्रस्त होता रहा। *नोटबन्दी-जीएसटी को ही ले! ग्राउण्ड स्तर पर व्यापक और पुख्ता तैयारियों के अभाव में पग-पग पर भारी मुसीबतें खड़ी होती रही। ये दोनों ही निर्णय ऐसे थे जिससे हर कोई जबरदस्त रूप से प्रभावित हुआ। अनेको विसंगतियों के बावजूद जनसमुदाय का आप में प्रबल भरोसा होने के कारण ही कही कोई बवाल नही हुआ।* जनता यह माने बैठी है कि इसके पीछे आपकी मंशा अच्छी ही रही होगी। लेकिन हॉल ही के कुछ कदमों से आपके प्रशसंकों का भरोसा आप में कुछ डिगता दिखा है। इसकी गति जरूर धीमी है लेकिन है चिंताजनक! आपको याद दिलाना चाहुँगा! जीएसटी के तुरन्त बाद व्योपारियों में गुस्सा चरम था। *इसके बावजूद केवल सूरत ने ही गुजरात में आपकी पार्टी की सरकार बनाने की लाज रखी थी।* मतलब यह कि तब भी लोगो का आप में भरोसा बना हुआ था।

वहाँ तक भी ठीक था। लेकिन वोटों की राजनीति के चलते आपने उसी अतिरेक में कुछ निर्णय ऐसे ले लिए! जो जनता के गले नही उतर रहे है। सुप्रीम कोर्ट के एससीएसटी निर्णय के विरूद्ध, तीन तलाक के लिए, दस प्रतिशत आरक्षण के लिए हाथो-हाथ अध्यादेश ले आना! *जबकि आपकी ही पार्टी जनसंघ के काल से ही जिस धारा 370 को हटाने की बात करती रही! राम मंदिर निर्माण का मुद्धा उठाते रहे! समान नागरिक आचार संहिता का राग अलापते रहे! आदि पर अध्यादेश लाने में अड़चन क्यो आई?* लाते तो पता चल जाता, कौन साथ है, कौन नही? जो भी होता वो देखा जाता! देश मे तो पार्टी की कथनी और कथनी को लेकर उल्टा मेसेज नही जाता। देख लीजिएगा…भाजपा के खाते से तीन स्टेट खिसक गए। *और अभी हॉल ही रणबाँकुरों पर हुए आतंकी हमले में जब आतंकवादी संगठन “जेश” ने जम्मेदारी ले ही ली? तब पाक में बहावलपुर स्थित उसके मुख्यालय को ही उड़ा क्यो नही दिया!* शायद अंतराष्ट्रीय कानून भी इसमें आड़े नही आता।

खेर…! आदरणीय मोदी जी मैं पिछले दो वर्षों से आज तक राजस्थान,गुजरात, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक आदि के वाशिन्दों की थाह लेने में जुटा रहा हूं। *सबकुछ होने के बावजूद अधिसंख्यक जनसमुदाय का भरोसा आज भी आप में बना हुआ है। उसमें “लीकेज” जरूर होने लगा है। उस लीकेज को रोकने के लिए आपके मजबूती से सख्त कदम उठाने की दरकार है।* लोकसभा के आम चुनाव अपने नियत समय पर होना सम्भव होंगे कि नही? मालूम नही! लेकिन मुझे मिलती रही समग्र जनभावनाओं को इस खुले पत्र से आपसे शेयर करने का प्रयास किया है। आप राजनीति से परे रहते हुए देशहित में शीघ्र मजबूत कदम उठाएंगे। ऐसा जन-जन का आपमें अब भी विश्वास है। देश आपके साथ खड़ा है और खड़ा रहेगा।

*सिद्धार्थ जैन*
*पत्रकार, ब्यावर (राज.)*
*094139 48333*

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