इस बार दिवाली पर ऊल्लू स्टैन्ड जरूर बनाइये

शिव शंकर गोयल
व्यंग्य
एक खांसी की दवा का विज्ञापन है जिसमें कहा जाता है कि “पिछडा जाडा खांसते 2 बीता, इस बार….लीन लीजिये.” इसी तर्ज पर आपको आगाह किया जा रहा है कि इस बार दिवाली पर लक्ष्मी मैया को अपने यहां बुलाना है तो जैसे गत वर्षों में उनके वाहन के लिए ऊल्लू स्टैन्ड बनाने से रह गए थे कही ऐसा न हो कि इस बार भी चूक जाये. इसलिए आपको अभी से चेताया जा रहा है. राजस्थानी में इसे कहते है “पैली कहबो चोखो.”
सुनते है कि लक्ष्मी मैया इस बार थोडी नाराजगी में है. हालांकि सरकार इस बात को मान नही रही है लेकिन वह सरकार ही क्या, चाहे घर की हो चाहे बाहर की, जो आसानी से मान जाये. लेकिन सच तो सच है कि मंदी भी है और बेरोजगारी भी बढ रही है.
ऐसे में जब दिवाली पर लक्ष्मीजी का आगमन होगा और उस समय आपके घर-दुकान अथवा नगर में उनके वाहन के लिए ऊल्लू स्टैन्ड नही होगा तो वह आपके यहां ठहरेगी कैसे ? मेहमान का स्वागत तो बाद की बात है पहले उनके वाहन के ठहरने आदि का समुचित इंतजाम होना चाहिए. यह गलती गत वर्षों में होती रही है फलस्वरूप मैया नाराज होकर वापस चली जाती है. बाद में आप किन्तु-परन्तु करते रहे.
यहां नेताओं की भी स्वार्थपरकता देखिये. वह लोग जब-तब-खासकर चुनावों में- अपना ऊल्लू सीधा करने में रहते है यानि लोगों को ऊल्लू बनाने में लगे रहते है. लेकिन ऊल्लू स्टैन्ड के बारे में कोई “स्टार्ट-अप” योजना लेकर नही आते.
शहर-कस्बें की नगरपालिकाएं सार्वजनिक स्थानों पर कार स्टैन्ड बना सकती है, बाईक-स्कूटर के लिए कुछ न कुछ व्यवस्था की ही जाती है लेकिन लक्ष्मी मैया के वाहन ऊल्लू के लिए कोई स्टैन्ड नही बनाया जाता. कभी किसी ने बनाया हो तो बतायें. गणेशजी के वाहन मूषक को तस्वीर में ही सही लडडू खिलायेंगे, भैंरूजी के वाहन श्वान को रोटी खिलायेंगे लेकिन लक्ष्मीजी के वाहन के लिए स्टैन्ड तक नही. हद होगई.
बताते है कि कुछ समय पूर्व एक स्थान पर किसी ने हिम्मत की थी. ऊल्लू स्टैन्ड बनाकर इस आशय का बोर्ड भी लगाया गया लेकिन वहां खडे होने के लिए न तो पालिका का कोई कर्मचारी तैयार हुआ न कोई पुलीसवाला. न जाने क्यों ? इस बाबत मीडिया ने भी कुछ नही छापा. मीडिया समुद्र तट की सफाई के बडे 2 अभियान को तो इतनी तवज्जो देता है लेकिन ऊल्लू स्टैन्ड जैसी खबरे नदारद.
कुछ बुध्दिमानों को इस बात पर शक-शुबहा है कि इतने ऊल्लू है कहां जिनके लिए स्टैन्ड बनाने की नौपत आएं लेकिन गालिब ने यूं ही नही लिख दिया कि “पूरे गुलिस्ता को बर्बाद करने के लिए एक ही काफी है गालिब, यहां तो हर शाख पर एक ऊल्लू बैठा है.” कमी कित्थै आहे ?

शिव शंकर गोयल

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