चलना दुष्कर… कलेक्टर के निर्देश और घोषणाओं का बाजार तोलियासर भैरूंजी की गली

बीकानेर । बाजार अस्त-व्यस्त पड़े हैं । मंदी के दौर में व्यवस्था की रफ्तार भी मंद ( बंद ) है। लेकिन हम लोग यानी बीकानेर के नागरिक चुस्त हैं। यूं यहां भी और शहरों के पुलिसकर्मियों की तरह चुस्ती-फुर्ती दिखाने वाले पुलिसकर्मी कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रशंसा पाते रहते हैं लेकिन शहर और बाजारों में आवागमन दुरुस्त बनाए रखने में न जाने किसके दबाव शिकार हो जाते हैं। ऐसी स्थिति बन पड़ी है कि चुस्त शहर के हम निवासी किसी किसी बाजार में तो अकेले भी ढंग से नहीं चल पाते। मगर हम लोग चुस्ती का प्रदर्शन करते हुए आड़े-तिरछे होकर तंग जगहों से यूं निकल आते हैं जैसे मक्खन को काटता हुआ पतला-सा धागा आर-पार हो जाता है । ऐसी अस्त-व्यस्त व्यवस्था प्रायः सभी प्रमुख बाजारों में सिर दर्द का कारण बनी हुई है। यह बीकानेर में रहने वालों के लिए आम बात है। बीकानेर की एक मार्केट बहुत छोटी-सी है और वह है तोलियासर भैरुजी की गली । तोलियासर भेरूजी गली मार्केट मार्केट के लिए जिले के कलेक्टर ने कुछ ऐसी लुभावनी घोषणाएं अखबारों के माध्यम से जनता तक पहुंचाई थी कि शहरवासी यह सोचकर ही झूम उठे थे कि “ओ कलेक्टर अपाणै बीकानेर ने चमका देसी”… किंतु इसी गली की हालत आज भी यह है कि 10 फुट की दुकानों के आगे 20-20 फुट तक पाटे सजे हैं और रास्ते पर बेरतीबी से मोटरसाइकिलें ग्राहकों को चिढ़ाती हुई खड़ी हैं। इस मार्केट में लोगों को चलने तक की जगह नहीं मिल पा रही। ऐसा ही हाल अन्य मुख्य बाजारों का है। लोगों को जहां जगह मिलती है वही अपने वाहन अटका देते हैं। बोथरा कॉम्प्लेस जैसे ट्रैफिक पॉइंट भी हैं जहां आसपास ऑटो रिक्शा वाले, चार पहिया वाहन और निराश्रित पशु जाम लगाकर बेफिक्री से खड़े रहते हैं।
– ✍️ मोहन थानवी

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