विचार – प्रवाह

नटवर विद्यार्थी
झूठ छिपता फिरता है , सत्य सरेआम घूमता रहता है ।झूठ को संरक्षण की आवश्यकता होती है , सत्य को नहीं । झूठ के सहयोग और हिमायत के लिए कोई आगे नहीं आता किन्तु सत्य के समर्थन के लिए लाखों लोग जुड़ जाते हैं । लगता है ये सब बातें पुरातन हो चुकी है । आज जो कुछ भी हो रहा है इसके विपरीत हो रहा है । हम सत्य से विमुख होते जा रहे हैं और झूठ ताण्डव रूप लेकर नर्त्तन कर रहा है ।हिंसा, आगजनी , लूट , बलात्कार से सारा देश जल रहा है । बदलाव की यह बयार हमें कहाँ ले जाएगी ? मैं हतप्रभ हूँ कि सत्य के समर्थन में आने के लिए सब डर रहे हैं । लगता है पूरे कुएँ में ही भाँग पड़ गई है ।
देश के कर्णधार जो स्वयं दिग्भर्मित है , नई पीढ़ी को ग़लत दिशा में ले जा रहे हैं और उन्हें अँधे गर्त्त में धकेल रहे हैं । उनकी चालों से हम सबको बचना होगा ।किसी ने सच कहा है कि –
मन शंकित है कहीं देश को ,
आस्तीन के सांप न डस लें ।
चारों ओर चहार-दीवारी ,
फिर भी उजड़ रही है फसलें ।

नटवर पारीक

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