*विचार – प्रवाह*

नटवर विद्यार्थी
किसी विचारक ने लिखा है “विश्व के विस्तृत युध्द क्षेत्र में तुम एक बेजुबान गूँगे पशु की भाँति न हो जिसे जहाँ चाहे हाँका जा सके वरन इस युध्द में तुम एक वीर की भाँति लड़ो । बिना कठिनाइयों से लड़े , बिना उन्हें जीते , छुटकारा कहाँ ? ये कठिनाईयाँ , ये ठोकरें हमारी सबसे बड़ी मित्र, गुरु तथा मार्गदर्शक हैं।” निस्संदेह इनसे अधिक प्रेरणादायी पंक्तियाँ और क्या हो सकती है ?
कठिनाइयाँ हमारे व्यक्तित्व को तराशती है , आत्मबल प्रदान करती हैं , संतोष देती हैं ।संसार में जितने भी महापुरुष हुए है उनका जीवन संघर्षों का इतिहास रहा है । कई महापुरुषों ने सम्पन्नता में जन्म लेकर भी कठिनाइयों का मार्ग चुना , सुविधाओं को ठुकराया ।
सुख – सुविधाओं से जीवन निर्माण नहीं होता , सतत प्रयत्न और कठिनाइयाँ हमारा जीवन निर्माण करती है । कठिनाइयाँ अनुभव और प्रेरणा की स्रोत है ।कायर और दुर्बल व्यक्ति कठिनाइयों से डर जाता है किंतु साहसी और दृढ़ निश्चयी व्यक्ति के लिए कठिनाइयाँ प्रेरणा और उन्नति की सीढ़ी बन जाती है । सोना तपकर ही तो कुंदन बनता है । बड़े – बड़े अवसर कठिनाइयों के पीछे ही तो छिपे होते हैं । कठिनाइयों से गुजरा व्यक्ति ही दूसरों की पीड़ा समझ सकता है , वह किसी को सताने या दुःख देने का कार्य कभी नहीं करता है । एक विचारक ने बहुत सुंदर लिखा है – ” कठिनाइयाँ क्रूर नहीं होती , हमारी शत्रु नहीं होती । उनका बाह्य रूप भले ही कठोर हो पर उनका अंतर कोमल होता है ।”

– नटवर पारीक

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