अनुभूति दिल के भावों की अभिव्यक्ति

बी एल सामरा “नीलम “
जीवन की सहज यात्रा में, अनचाहे अनायास मन मेरा- भावुक हो जाता है और सपनों में खो जाता है। एक पल मुस्कुराता है, दूजे पल रूठ जाता है ।। कभी सिसकता है, कभी औरों के लिए धडक़ता है। कभी हंसता है, कभी रोता है। ऐसा क्यों होता है। मन मंदिर में खोता है, कभी अचानक मरुस्थल सा होता है, और कभी सागर की लहरों में – झील की गहराइयों खोता है। कभी-कभी ऊंचे अरमानों के पंख लगा आसमान को छूने के लिए सपने संजोता है। ऐसा क्यों होता है ? कोई दिलो जान से प्यारा लगता है जीवन हसीन ख्वाब सा लगता है। किसी पर मर मिटने का जान लुटाने का दिल करता है। आंखें देखा करती है उस के ही ख्वाब सदा बार-बार दिल उसकी ही ख्यालों में खोता है। ऐसा क्यों होता है? कभी छेड़छाड़ करता है कोई जिंदगानी से, कोई धोखा दे जाता है कितनी आसानी से। एहसासों का पंछी गूंगा हो जाता है। दुख भरी हवाओं में सन्नाटा बोता है। ऐसा क्यों होता है? कभी जिंदगी एक सहेली बन जाती है, कभी एक पहेली बन जाती है। बिगड़ जाते हैं रिश्तो के समीकरण, मन का पंछी इनके कंधों पर होता है,ऐसा क्यों होता है ? कुछ मीठी कुछ कड़वी यादों का धुन्धनका । बार बार उभरता है चेहरा बीते हुए कल का । जाने चुपके से कानों में कुछ कह जाता है । नैनो को अनचाहे दर्द से भिगोता है। ऐसा क्यों होता है ? आखिर ऐसा क्यों होता है ?
बीएल सामरा ‘नीलम’
सेवानिवृत्त शाखा प्रबंधक
भारतीय जीवन बीमा निगम मंडल कार्यालय अजमेर

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