राष्ट्रपिता महात्मा गांधी अपने जीवनकाल में तीन बार राजस्थान आए थे। तीनों ही बार उनका अजमेर जिले में आगमन हुआ। इस दौरान वे ब्यावर, अजमेर और पुष्कर आए। अजमेर जिले के स्वतंत्रता सैनानियों से उनके बेहद करीबी संबंध थे। वे इनके साथ देश की आजादी को लेकर गहन चिंतन किया करते थे।
मंच पर भगदड़, गिर गया चश्मा
अजमेर में 8 मार्च 1921 को सभा के दौरान मंच पर भगदड़ के दौरान गांधीजी का चश्मा टूटकर गिर गया। इसे उनके किसी सहयोगी ने उठाकर संभालकर रख लिया। इसी दौरान ब्रिटिश गवर्नमेंट ने उनके खिलाफ अरेस्ट वारंट निकाल दिया, हालांकि अजमेर में उनके समर्थकों और स्वतंत्रता सैनानियों की संख्या अधिक होने से उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जा सका। 9 मार्च को वे ट्रेन से रवाना हुए और 10 मार्च की सुबह उन्हें अहमदाबाद में गिरफ्तार कर लिया गया।
जब अंग्रेज मजिस्ट्रेट ने किया सैल्यूट
अंग्रेजी हुकूमत की खिलाफत और अंग्रेजी कानून नहीं मानने के लिए लोगों को प्रेरित करने पर उन्हें 18 मार्च को 6 साल की सजा सुना दी गई। इस केस में अपनी पैरवी गांधीजी ने खुद की। यह पहला मौका था जब अंग्रेज मजिस्ट्रेट ब्रुमफिल्ड ने अपनी कैप उतारकर उन्हें सैल्यूट किया।
उन्होंने कहा कि ‘आई सैल्यूट मिस्टर गांधी, यू हेव इन योर ड्यूटी, नॉउ ई एम डूइंग माई ड्यूटी। इसे नरहरि चिंतामणी देशमुख ने उनके अखबार नवजीवन हिन्दी में छापा। सजा सुनकर गांधीजी ने धन्यवाद देते हुए कहा कि इसी अदालत ने 6 साल पहले मेरे राजनीतिक गुरु गोपालकृष्ण गोखले को भी सजा सुनाई थी।
उपाध्याय ने किया सम्पादन
गांधी जेलयात्रा के दौरान नवजीवन अखबार का संपादन गांधीजी के सहयोगी और सचिव रहे अजमेर के हरिभाऊ उपाध्याय ने किया। अखबार के प्रथम पृष्ठ पर ब्रिटिश अखबार गार्जियन में छपा एक कार्टून भी छापा गया, जिसमें गांधीजी, कस्तूरबा गांधी और सरकारी वकील भी हैं। उपाध्याय ने हटूंडी में गांधी आश्रम की स्थापना भी की।
अजमेर में है यादों का संग्रह
भारतीय जीवन बीमा निगम से सेवानिवृत्त बी. एल. सामरा आज भी गांधीजी से जुड़ी यादों को संजोए हैं। उन्होंने बताया कि उनके संग्रह में गांधीजी का चश्मा भी है, जो उनकी सभा में भगदड़ के दौरान टूटा।
इसके अलावा गांधीजी के अखबार के 52 अंक सजिल्द और गांधीजी के किशोरावस्था, युवावस्था, वृद्धावस्था समेत बेरिस्टर, काठियावाड़ी पोशाक, गोलमेज सम्मेलन, दांडी यात्रा, साबरमती आश्रम, नमक सत्याग्रह और उनके ऑफिस के कई चित्र उनके पास हैं।
साथ ही गांधीजी के पंडित नेहरू, इंदिरा, सर्वपल्ली राधाकृष्णन, खान अब्दुल गफ्फार खान, नेताजी सुभाषचंद बोस, राजेन्द्र प्रसाद, एनी बेसेंट, ए. ओ. ह्यूम, कस्तूरबा, मीरा बेन, मनु बेन समेत मोहम्मद अली जिन्ना के साथ के कई चित्र भी उनके संग्रह में है
आलेख बी एल सामरा नीलम