अमन चैन और शांति के लिए संदेश…

देश में जो प्रायोजित दंगे करवाए जा रहे हैं,मैं उन दंगाइयों को ये संदेश देना चाहता हूं…..
मित्रों आज होली का पावन पर्व है।हम सब हिंदुओं की आस्था का ये पर्व है।इस पर्व को मनाने के पीछे ऑब्जेक्ट ये होता है कि हम लोगों ने अपनी बुरी आदतों को त्याग दिया है।जिन्होंने नहीं त्यागी है इस त्यौहार के माध्यम से उनके मन में पॉजिटिव एनर्जी का विकास हो।जो लोग एक दूसरे से नाराज हैं।आज के दिन अपने मन के मैल को दूर करके वापस जुड़ जाएं।एक दूसरे को शुभकामनाएं और रंग जब देंगे तो मन के मैल कैसे नहीं धुलेंगे।हम कोई नेता थोड़ी हैं जो झूठी मुस्कान भी ले आएंगे और कुटिल मुस्कान भी ले आएंगे।हम सामान्य लोग हैं हम तो मन के मैल को ही धोएंगे।दोस्तों मेरे को आज के दिन, मेरे 10 मुस्लिम मित्रों ने शुभकामनाएं दी है।अच्छा मेसेज भेजकर,खुद की कलर से सजाई हुई फ़ोटो लगाकर,फोन करके भी।सिर्फ इस बार ही नहीं।हर बार करते हैं।हर त्यौहार पर शुभकामनाएं देते हैं।हम भी देते हैं।हम भी मस्जिद पर जाकर तीन बार गले लगकर ईद की शुभकामनाएं देते हैं।संवैया भी खाते हैं।हम लोगों का आपस में अच्छा सौहार्दपूर्ण माहौल है।कहीं अगर कम है तो वहां के अच्छे लोग सौहार्दपूर्ण वातावरण बनाने में प्रयासरत रहते हैं।और वो सफल होते भी हैं।लेकिन कुछ सियासी लोग कभी नहीं चाहते हैं कि हिन्दू और मुसलमानों के मध्य बहुत अच्छे मधुर संबंध रहें।इसी भावना को ध्यान में रखते हुए सही को गलत तरीके से समझाकर जबर्दस्ती ज्ञापन दिला दिला कर दोनों पक्षों के मध्य सौहार्दपूर्ण वातावरण को बिगाड़ने में प्रयासरत हैं।और काफी हद तक वो सफल भी हो रहे हैं।ऐसे में हम सब लोगों की ये जिम्मेदारी बढ़ जाती है कि हम अपने स्वविवेक से काम लें।किसी राजनीतिक दल के दबाव में आकर दिए गए निर्णय को स्वीकार करने से पहले अपना विवेक काम में लें।कई बार हमसे गलत निर्णय करवाए जाते हैं।मित्रों मेरा तो यही कहना है कि हमारे मध्य किसी प्रकार के कोई डिस्प्यूट्स नहीं है।कुछ लोग गलतफहमी का शिकार हैं।उन्हें वस्तुस्थिति समझाने के लिए सरकार को पहल करनी चाहिए।सरकार का ये पहला धर्म है कि वह अपने समाज में,प्रदेश में,देश में शांति बनाए रखे।परिवार में भी झगड़ा होता है।पिता अपने दोनों पुत्रों की सुनकर सही को सही और गलत को गलत कहता है।आप क्यों नहीं कहते।आपको भी कहना चाहिए।आप हमारे देश के प्रधानमंत्री हो।पिता हो इस देश के।आप भी पहल करें।इस सभ्य समाज के शिक्षित वर्ग भी करेंगे तो शायद हम सही कर सकेंगे इस सोसायटी के लिए।और दोस्तों मैं आपसे निवेदन करूं की न तो हम लड़ना चाहते हैं, ना हमारे मुस्लिम भाई लड़ना चाहते हैं।मैं आपको बताऊं 5 दिन पहले हमारे गांव के मुस्लिम समाज के सदर अब्दुल समद लौहार जी ने एक नई दुकान खोली उसका उद्घाटन हमारे गांव के सरपंच साहब व हमने और चार पांच और हिन्दू दोस्तों ने फीता काटकर किया।आपको इतना सम्मान दे रहे हैं ये भाई भी।और अगर कोई निकृष्ट है भी तो उनके लिए आई.पी.सी.बनी हुई तो है।क्यों परेशान होते हो बेकार की अफवाहों से।संख्या में कोई ज्यादा हो जाएगा तो कोई किसी को निकाल देगा क्या? मेरे गांव में एक मद्रासी परिवार है हमारे राजू भाई मद्रासी का,उस आदमी ने अपने व्यवहार से हमारे गांव के सरपंच तक ऐसी इमेज बना रखी है कि आप और हम नहीं बना सकते।उस भाई ने संघर्ष करके ईमानदारी से ये पैठ बनाई है।दोस्तों व्यवहार हम अच्छा रखेंगे।तो सामने वाला भी रखेगा।मेरे गांव में मैं जिस व्यक्ति से नफरत करता हूं तो उसे आदर भी नहीं दूंगा,वो व्यक्ति मुझे भी क्यों रेस्पेक्ट देगा? यहां भी ऐसा ही है।हम सब प्यार से रह सकते हैं।आपको बात नहीं करनी।मत करो।सामने वाले को डिस्टर्ब क्यों करो।बस इतना ही तो करना होता है।हम कर भी रहे हैं।लेकिन कुछ कीटाणु हमारे बीच में गलतफहमी पैदा करते हैं तो फिर वही बात है।दोस्तों मैं तो यही कहूंगा बिना बात पर जो झगड़ा कर रहे हैं उन बेवकूफ लोगों को समझाओ।इस देश में शांति का माहौल होगा तभी हम विकास की राह पर चल सकेंगे।नहीं तो फिर नुकसान ही है हम सब का।इस देश का…..?? शुभ रात्रि मित्रों…होली की ढेर सारी शुभकामनाएं…👌💐

डॉ.मनोज आहूजा एडवोकेट एवं पत्रकार
9413300227

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