जो भाषा उसमें समझाओ ,
नहीं समझे सख़्ती दिखलाओ ।
कोई बाहर नहीं दिखेगा ,
तब जाकर यह कष्ट मिटेगा ।
भीतर सबको रहना होगा ,
साथ देश का देना होगा ।
घर के अंदर समय कटेगा ,
तब जाकर यह कष्ट मिटेगा ।
जिम्मेदारी जो भी आए ,
आगे होकर उसे निभाएं ।
सारा भारत सज़ग रहेगा ,
तब जाकर यह कष्ट मिटेगा ।
कुछ दिन की है बात साथियों,
फिर उजियारी रात साथियों ।
मन में यह विश्वास जगेगा ,
तब जाकर यह कष्ट मिटेगा ।
*नटवर पारीक , डीडवाना*