लॉक डाउन के चलते सरकार के आबकारी विभाग को होगा 12500 करोड़ रुपये का नुकसान

इन हालातों में 12500 करोड़ रुपयों से हो सकते हैं बहुत सारे राहत के काम*

✍️ *आबकारी विभाग की पॉलिसी के अनुसार सोसायटी में लगभग 30 प्रतिशत लोग करते हैं शराब का सेवन,उसी अनुसार राजस्व लक्ष्य होता है तय*
*शराब के ठेकेदारों ने मौके का फायदा उठाना कर दिया प्रारंभ,पंद्रह रुपये में मिलने वाला क्वार्टर मिल रहा है सौ रुपये में*
✍️ *यही हालात रहे तो नकली शराब भी बन सकती है,जो यदि बाजार में बिकी तो हो सकते हैं गंभीर हादसे भी।सरकार को इस विषय में गंभीरता से सोचकर त्वरित निर्णय लेना चाहिए*

✍️राज्य के मुख्यमंत्री माननीय अशोक जी गहलोत साहब और मुख्य सचिव का इस गंभीर समस्या की और ध्यान आकर्षित करवाना चाहूंगा।क्योंकि ये समस्या समाज के उन गरीब लोगों की समस्या है जिन्हें सरकार रोटी भी दे रही है।राशन भी दे रही है, लेकिन इन्हीं गरीब मजदूरों में से अधिकांश लोग शाम को देशी क्वार्टर पीकर अपने आपको रिचार्ज करते हैं।उन लोगों की मनोवैज्ञानिक सोच यह है कि यह एक दवाई है जिसको पीने से उनकी थकान दूर हो जाएगी और इसी सोच के चलते ये लोग नशे के आदि हो चुके हैं। होंगे भी क्यों नहीं।उन्हें आदि हमारी सरकार ने ही किया है।सरकार हर वर्ष क्षेत्र की जनसंख्या के आधार पर शराब की दुकान की गारंटी तय करती है।लाटरी पद्धति से दुकानें आवंटित करके करोड़ों अरबों रुपये की आय अर्जित करती है।इस सभ्य समाज में शराब बेचने के पीछे जो लॉजिक सरकारों का रहा है वो यह रहा है कि समाज में लगभग तीस प्रतिशत लोग शराब का सेवन करते हैं।पीने वाले तो पियेंगे ही।फिर चाहे ब्लेक में लेकर पीएं चाहे नकली शराब पियें और चाहे सेनेटाइजर को ही शराब समझकर पीयें।इसी बात को आधार मानते हुए राज्य की सरकारें अपने नागरिकों को शराब की दुकान के माध्यम से ब्रांडेड और निर्धारित मूल्य पर शराब उपलब्ध करवाती है।और इस शराब से मोटी राजस्व की राशि भी कमाती है जो राशि राज्य के चहुंमुखी विकास में काम आती है।वर्ष 2019 में राज्य सरकार ने 11000 करोड़ रुपये की राशि शराब बेचकर कमाई है तथा इस साल का राजस्व लक्ष्य सरकार द्वारा विभाग को 12500 करोड़ रुपये का दिया हुआ है।अचानक आई इस आपदा से निपटने के लिए सरकार ने लॉक डाउन का निर्णय लेकर जनता को निश्चित तौर पर सुरक्षित किया है।और समय की नजाकत को देखकर जो निर्णय हमारे प्रदेश की सरकार ने लिया,उसकी सर्वत्र सराहना भी हुई तथा दूसरे राज्यों ने इसका अनुसरण भी किया।सरकार हर वर्ग का ध्यान रखते हुए नित नए आयाम स्थापित कर रही है।एक लोककल्याणकारी राज्य की परिकल्पना के अनुसार वर्तमान की सरकार हर दिशा में अच्छा प्रयास कर रही है।लेकिन सरकार का ध्यान इस वर्ग की और नहीं गया।इसलिए ही मैं सरकार का ध्यान इस विकराल समस्या की और आकर्षित करवा रहा हूं।पेशे से वकील व पत्रकार होने के नाते हर वर्ग से मिलना होता है।इसी क्रम में कल मुझे एक निहायत ही गरीब व्यक्ति ने दुखी मन से कहा कि हमें जो क्वार्टर ठेके से पंद्रह रुपये में मिल रहा था उसके फलाना आदमी सौ रुपये ले रहा है।एक बार तो मेरा मन हुआ कि स्टिंग ऑपरेशन करते हैं।दूसरी और सोचा की इससे क्या होगा।पुलिस वैसे ही बिजी है क्यों उनका काम बढ़ाएं।मैंने उसे कहा कि भाई इतनी महंगी शराब मिल रही हो तो क्यों पी रहे हो।इस पर उस बेचारे का जवाब बड़ा ही मार्मिक था वो बोला साहब *एक तो आ किशी बीमारी आगी तो आको दिन तो घर काया हो जांवा,शाम का भी अगर आ दुवाई न मिले तो फेर जांवा कट्टे।इके पछे तो मरबो ही चोखो* मुझे उसकी बात में सच्चाई नजर आई।उसके बाद इस पहलू पर विचार किया तो वास्तव में अगर इस समस्या का कुछ नहीं किया तो परिणाम गम्भीर हो सकते हैं।क्योंकि जो लोग एडिक्ट हैं वो पीने के लिए नकली शराब का सेवन करेंगे।जिससे जनहानि की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।हाल ही में करीब दो महीने पहले ही आबकारी विभाग ने शराब के कारखाने पकड़े हैं वो तो तब जब दुकानें खुली हुई थी।सरकार को इस विषय पर पॉलिसी निर्धारित करनी चाहिए।दुकानें खुलने व ना खुलने पर सकारात्मक मीटिंग करनी चाहिए।यदि दुकानों को खोलेने के ऑर्डर किये जाते हैं तो उसके फायदे व नुकसान दोनों है।नुकसान क्या क्या हो सकते हैं।उसे कैसे कम किया जा सकता है।इस पर प्लानिंग होनी चाहिए।
*मध्यप्रदेश की सरकार ने दुकानें खोल दी है।देश के सबसे शिक्षित प्रदेश केरल सरकार ने इसे आवश्यक वस्तु अधिनियम के दायरे में रखने का सोचा है, वहां डॉक्टर की पर्ची पर दवा के रूप में शराब देने का निर्णय लिया है।हमारी सरकार को उनसे भी विचार विमर्श करके राय लेनी चाहिए*
*लॉक डाउन के चलते शराब की दुकानें बंद तो है लेकिन विभाग द्वारा सील्ड नहीं करने से यही लोग सबसे ज्यादा कालाबाजारी कर रहे हैं।नई दुकानें जिनको आवंटित हुई है वो लोग बीच में ही लटक रहे हैं*
इन हालातों में मैं शराब की दुकानें चालू करवाने के पक्ष में कतई नहीं हूं लेकिन जो लोग एडिक्ट हैं उनके लिए पॉलिसी बननी चाहिए।शराब की कालाबाजारी पर रोक लगनी चाहिए।नकली शराब बनकर बिकने लगे और कोई हादसा हो उससे पहले इस पर नियंत्रण करना चाहिए।सरकार को राजस्व का नुकसान भी ना हो और इस गंभीर समस्या का समाधान भी हो।उसके बीच का कोई रास्ता निकालना चाहिए।

-डॉ. मनोज आहूजा एडवोकेट एवं पत्रकार,
मोबाइल नम्बर 9413300227……

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