कलमकारों की भावना की भी करें कद्र

दोस्तों सबसे पहले यहां मैं ये बात उल्लेखित करना उचित समझता हूं कि ये मांगे मैं अपने लिए नहीं रख रहा।क्योंकि मैं पेशे से एडवोकेट हूं।पत्रकारिता मेरा शौंक है।ना तो मैं कोई सुविधा लेने का हक रखता हूं ना मुझे ऐसी कोई सुविधा चाहिए लेकिन मैं मेरे पत्रकार साथियों की स्थिति से भली भांति वाकिफ हूं।आज इस वैश्विक महामारी से जो लोग लड़ रहे हैं उनमें से एक वर्ग *पत्रकार* हैं।इन कलम कारों को क्या सुविधा मिल रही है।किसी ने सोचा इनके लिए? किसी ने नहीं सोचा।जबकि आज हर जगह समाज को पत्रकार की जरूरत पड़ती है।पत्रकार ना केवल समाज में आईने की भूमिका निभाता है।वरन सरकार की योजनाओं को आमजन तक पहुंचाता है।कोई सा भी सरकारी या गैर सरकारी महकमा हो सबके कार्यों की समीक्षा,समालोचना पत्रकार करता है।गरीब की,मजदूर की,मजबूर आदमी की सबकी आवाज को वो आवाम तक पहुंचाता है।उसके अधिकारों की रक्षा करता है।आज इस राष्ट्रीय आपात स्थिति में वो पत्रकार ही है जो अपनी जान को जोखिम में डालकर फील्ड में घूम रहा है।मेडिकल व पुलिस डिपार्टमेंट का सहयोग करते हुए लोगों को इस महामारी से लड़ने की ताकत दे रहा है।पुलिस व प्रशासन को जनता के हितों को लेकर जागरूक कर रहा है।सरकारी योजनाओं को गांव के अंतिम छोर में बैठे व्यक्ति के पास पहुंचा रहा है।इन आपात परिस्थितियों में पत्रकार का जो सहयोग सरकार, प्रशासन व आमजन को मिल रहा है उसकी तुलना किसी से भी नहीं की जा सकती।पुलिस व प्रशासन तथा चिकित्सा विभाग के अधिकारी तो सरकारी कर्मचारी हैं जिनको सरकार वेतन भत्ते तथा अन्य सुविधाएं भी देती है लेकिन सिर्फ पत्रकार ही है जो अपनी जेब के पैसों से अपनी गाड़ी में पेट्रोल डलवाता है।अपना अमूल्य समय निकालकर क्षेत्र की कवरेज करता है तथा आमजन तक इसको पहुंचाता है जिसका उसे सरकार या संस्था द्वारा कोई मेहनताना नहीं दिया जाता।ऐसे में हमारी सरकार की यह जिम्मेदारी बनती है कि वह पत्रकारों की हौसला अफजाई करें।और मेरी माननीय मुख्यमंत्री महोदय जी से सिर्फ दो छोटी मांगे हैं जिनकी पूर्ति करने से ना तो सरकार पर कोई आर्थिक बोझ बढेगा ना ही कोई दूसरा वर्ग इससे प्रभावित होगा।
(1) पहली मांग यह है कि इन पत्रकारों को आप एप्रिशिएट करें।खास तौर पर जो फील्ड में प्रशासन व पुलिस का साथ दे रहे हैं और ऐसे पत्रकारों को अधिस्वीकृत पत्रकार बनाने की दिशा में उचित कार्यवाही करें।यहां मैं ये बात जरूर कहना चाहूंगा कि ये सिर्फ एक पत्रकार का सम्मान है।अधिस्वीकृत पत्रकार को आप एक तो मेडिकल सुविधा देते हैं।दूसरा परिवहन सुविधा।जहां आप लाखों करोड़ों लोगों को विभिन सरकारी योजनाओं का लाभ दे रहे हैं।वहां ये कोई बहुत बड़ा वर्ग नहीं है।उदहारण के तौर पर मसूदा विधानसभा में आज की तारीख में कुल 80 पत्रकार हैं।जिसमें से भी 5-7 मेरे जैसे कम कर लो आप।रही बात रोडवेज पास की तो मुझे नहीं लगता कि आज के समय में कोई पत्रकार रोड़वेज बस में सफर करता होगा।और कभी कभी आपने करवा दिया सफर तो वो समय पर आप और आपकी सरकार को एप्रिशिएट करते हुए इस सम्मान का फायदा आपको जरूर देगा।
(2) दूसरी मेरी मांग भी बहुत महत्वपूर्ण है और इसमें भी सरकार पर कोई आर्थिक बोझ नहीं होगा।मैं ये बात अच्छी तरह से समझता हूं कि वर्तमान हालात में सरकार के पास कोई आय के साधन नहीं है।इस संकट की घड़ी में ये वर्ग आपसे कुछ नहीं मांगेगा।इस सोसायटी में इस वर्ग को सिर्फ आत्मसम्मान की जरूरत है।उसके बदले आप इस कलम के सिपाही से कुछ भी ले सकते हो।ये कलम का सिपाही किसी सरकारी योजनाओं के भरोसे नहीं चलता।ये अपने बाजुओं की ताकत और माँ सरस्वती के आशीर्वाद से चलता है।इस वर्ग को आज सबसे ज्यादा जरूरत है सामाजिक सुरक्षा की।पत्रकारों की ये मांग पिछले कई सालों से चली आ रही है।मुझे ये समझ में नहीं आ रहा है कि सरकार क्यों नहीं मांग मान रही है ये।अगर आपने *पत्रकार सुरक्षा कानून* लागू कर दिया तो आपको क्या नुकसान होगा।पूरे प्रदेश की जो एजेंसी सबको सुरक्षा उपलब्ध करवा रही है वो ही एजेंसी पत्रकारों को भी कवर कर लेगी।और फिर यदि कोई व्यक्ति किसी पत्रकार के साथ उसके कार्यस्थल पर कोई घटना कारित करता है तो सिर्फ जमानतीय अपराध की जगह अजमानतीय अपराध की धारा लगनी है।बस इतना सा ही तो करना है।जब राजकीय कर्मचारी को राजकार्य में बाधा डालने पर ये धारा संरक्षित कर सकती है तो पत्रकार को क्यों नहीं? ये सम्मान की बात है।जिसकी रक्षा करने की जिम्मेदारी आपकी वैसे भी है।तो मेरा दूसरा सझाव और मांग यही है कि पत्रकार सुरक्षा कानून लागू हो।जब भी इस महामारी से हम सब उभर कर मुख्य धारा में आएं।इस प्रस्ताव पर विचार जरूर करें।

डॉ.मनोज आहूजा एडवोकेट एवं पत्रकार।9413300227.

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