बाबा साहब जयंतीः कोई भूला तो किसी को याद रहा

संजय सक्सेना,लखनऊ
लखनऊ। भारतीय संविधान निर्माता बाबा साहेब डॉ. भीमराव आम्बेडकर की जयंती पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ,बसपा सुप्रीमों मायावती सहित तमाम हस्तियों ने बाबा साहब हो याद किया। हालांकि लाॅक डाॅउन के चलते बाबा साहब की जयंती पर कोई कार्यक्रम तो नहीं हुआ, लेेकिन बाबा साहब को याद सबसे किया। हाॅ, बाबा साहब की जयंती पर उन लोगों की चुप्पी ने जरूर निराश किया जो कुछ समय पूर्व तक नागरिकता संशोधन एक्ट(सीएए) के विरोध में धरना-प्रर्दशन के समय बाबा साहब की बड़ी-बड़ी फोटो हाथ में पकड़ कर संविधान बचाने की कसम खाते फिर रहे थे। कई बड़े नेता जो उठते-बैठते बात-बाप पर ट्वीट किया करते हैं,उनकी चुप्पी काफी सताने वाली रही। इतना जरूर था,इसमें से कुछ ने जरूर पीएम मोदी द्वारा बाबा साहब की जयंती की शुभकामनाएं देने के बाद यह औपचारिकता जरूर पूरी कर ली। सबसे ज्यादा कांगे्रस अध्यक्षा सोनिया गांधी ने अचंभित किया,जो कांगे्रस वर्षो तक बाबा साहब के नाम पर राजनैतिक रोटियां सेंकती रही,वही आज कांगे्रस को पूरी तरह से भूल गई। इस बात का अहसास तब हुआ जब 14 अप्रैल यानी आज बाबा साहब की जयंती वाले दिन सोनिया गांधी ने कोरोना संकट से निपटने के लिए देश की जनता के नाम एक संदेश जारी किया,लेकिन इस मौके पर उन्हें बाबा साहब की बिल्कुल भी याद नहीं आई। खैर, बाबा साहब को याद करने वालों की कमी नहीं रही,लेकिन बसपा सुप्रीमों मायावती इस मौके पर भी सियासत करने से नहीं चूकीं। मायावती बाबा साहब हो नमन किया। इसके बाद उन्होंने अपनी सियासत आगे बढ़ाते हुए मोदी-योगी सहित तमाम राज्य सरकारों पर आरोपों की झड़ी लगा दी ओर कहा कि कोरोना वायरस के संक्रमण में लॉकडाउन के दौरान राज्य सरकारों ने दलितों और गरीबों की उपेक्षा की।
बसपा मुखिया मायावती ने बाबा साहेब भीमराव आम्बेडकर की 129वीं जयंती पर अपने आवास पर उनको नमन किया और कहा कि कोरोना वायरस को लेकर से देश भर में लागू लॉकडाउन की वजह से दलितों और अति पिछड़ों की स्थिति और दयनीय हो गई। इसी कारण देश के कई हिस्सों से लोग पलायन करने को मजबूर हो गए हैं। उन्होंने कहा कि पलायन करने वालों में 90 फीसदी दलित और अति पिछड़े थे। बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि डॉ. बीआर अंबेडकर की जयंती पर बीएसपी और उनके अनुयायिसों की ओर से मैं उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करती हूं। उन्होंने कहा कि डॉ.अंबेडकर ने अपना सारा जीवन ये सुनिश्चित करने में बिताया कि दलित, आदिवासियों और अन्य हाशिए के समुदाय स्वाभिमान के साथ रहते हैं। सरकार को गरीबों, मजदूरों, किसानों और अन्य मजदूर वर्ग के हितों को ध्यान में रखना चाहिए और तालाबंदी के दौरान उन्हें मदद प्रदान करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर ने भारतीय संविधान के लागू होने के बाद अपने इन वर्गों के लोगों को स्पष्ट तौर पर कहा था कि वह काफी कड़े संघर्ष व अथक प्रयासों से अपने इन वर्गों के लोगों को जिंदगी के हर पहलु में आगे बढने व अपने पैरों पर खड़े होने के लिए संविधान में कानूनी अधिकार तो दिला दिए हैं, जिसमें वोट देने का खास अधिकार शामिल है। इसका पूरा लाभ लेने के लिए लेकिन, इन वर्गों को संगठित होकर व अपना अलग राजनीतिक प्लेटफॉर्म बनाकर केंद्र व राज्यों की मास्टर चाभी खुद अपने हाथों में ही लेनी होगी।
मायावती ने कहा कि अगर इन वर्गों की सरकार सत्ता में नहीं होगी तो इनकी दुर्दशा ऐसे ही बनी रहेगी। उन्होंने कहा कि दिल्ली के विधानसभा चुनाव में भी ऐसा ही कुछ देखने को मिला। जहां आम आदमी पार्टी ने इन्हें प्रलोभन देकर वोट तो लिया लेकिन लॉकडाउन के दौरान पलायन करने से भी नहीं रोका, बल्कि बसों से बॉर्डर तक छोड़ आए। मायावती ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान राज्य सरकारों ने दलितों और गरीबों की उपेक्षा की गई। सरकारों ने इनके लिए कोई व्यवस्था नहीं की। इस वजह से इन सभी ने पलायन कर अपने अपने घरों की ओर जाना उचित समझा। इसके बाद सरकारों ने उन्हें ट्रक व बसों से शेल्टर होम पहुंचाया। उन्होंने कहा कि कोरोना की वजह से दलितों और गरीबों की स्थिति दयनीय हो गई है।
मायावती ने केंद्र सरकार से अपील की है कि लॉकडाउन के दौरान मजदूरों का ख्याल रखे। मायावती ने कहा कि आज भी जातिवादी मानसिकता पूरी तरह से नहीं बदली है। आज यह बात मुझे बड़े दुख के साथ इसलिए भी कहनी पड़ रही है, क्योंकि जैसे ही कोरोना वायरस महामारी अपने देश में फैली और केंद्र सरकार ने इसे फैलने से रोकने के लिए लॉकडाउन की घोषणा की। उसके बाद दिल्ली समेत यूपी, मध्य प्रदेश, राजस्थान और अन्य राज्यों में रोजी-रोटी कमाने के लिए गए लोगों ने अपने मालिकों व राज्य सरकारों की उपेक्षा देखी। मजबूरी में यह लोग अपने घरों के लिए पलायन करने लगे।

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