*’राजस्थानी कहावतां

बी एल सामरा “नीलम “
थोथी हथाई,
पाप री कमाई,
उळझोड़ो सूत,
माथे चढ़ायोड़ो पूत….
*फोड़ा घणा पाड़े ।*

झूठी शान,
अधुरो ज्ञान,
घर मे कांश,
मिरच्यां री धांस….
*फोड़ा घणा पाड़ेे ।*

बिगड़ोडो ऊंट,
भीज्योड़ो ठूंठ,
हिडकियो कुत्तो,
पग मे काठो जुत्तो….
*फोड़ा घणा पाड़े ।*

दारू री लत,
टपकती छत,
उँधाले री रात,
बिना रुत री बरसात….
*फोड़ा घणा पाड़ेे ।*

कुलखणी लुगाई,
रुळपट जँवाई,
चरित्र माथे दाग,
चिणपणियो सुहाग….
*फोड़ा घणा पाड़ेे ।*

चेहरे पर दाद,
जीभ रो स्वाद,
दम री बीमारी,
दो नावाँ री सवारी….
*फोड़ा घणा पाडे ।*

अणजाण्यो संबन्ध,
मुँह री दुर्गन्ध,
पुराणों जुकाम,
पैसा वाळा ने ‘नाम’….
*फोड़ा घणा पाडेे ।*

घटिया पाड़ोस,
बात बात में जोश,
कु ठोड़ दुखणियो,
जबान सुं फुरणियो….
*फोड़ा घणा पाडेे ।*

ओछी सोच,
पग री मोच,
कोढ़ मे खाज,
“मूरखां रो राज” ….
*फोड़ा घणा पाडेे ।*

कम पूंजी रो व्यापार,
घणी देयोड़ी उधार,
बिना विचार्यो काम ….
*फोड़ा घणा पाडेे !*

*फाट्योडो नोट*
*मुर्ख न सपोर्ट*
*बिना सोच्या दियोडो वोट*
*फोड़ा घणा पाड़े*.

*बी एल सामरा नीलम*
अजमेर

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