*मेवाड़ी सरदार*

नटवर विद्यार्थी
महाराणा प्रताप सो ,
हुयो न कोई वीर ।
सपना म्ह जद-जद दिख्यो,
अकबर हुयो अधीर ।

आज़ादी मेवाड़ री ,
होसी जद साकार ।
सुख सैजां सोऊँ जणा,
त्याग दियो घर-बार ।

छोड्या छप्पन भोग सै ,
घास बणी आहार ।
सेना ने एकट करी ,
मेवाड़ी सरदार ।

चेतक पर आसीन हो ,
बैरी रो संहार ।
हल्दीघाटी रो समर ,
बही रगत री धार ।

अमर हुयो इतिहास में ,
झुकी न गरदन- माथ ।
भारत माँ रो लाडलो ,
महाराणा प्रताप ।
– *नटवर पारीक*, डीडवाना

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