कोरोना संकट में ग्रामीण जीवन की जीवन रेखा: महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना

विरेंद्र श्रीमाली
राजस्थान के 33 जिलों के 298 पंचायत समितियों की 11227 ग्राम पंचायतों के 43008 गांवों में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (महानरेगा) के तहत 1,02,59,000 परिवार पंजीकृत हैं। उक्त पंजीकृत परिवारों में से 53,02,000 परिवार कार्य पर नियोजित हैं। अप्रेल 2020 तक नरेगा में 28,89,31,000 मानव दिवस रोजगार का सजृन किया गया। राजस्थान में कुल सृजित मानव दिवस में 67 प्रतिशत कार्य महिला श्रमिकों द्वारा किया गया। राजस्थान में महिला श्रमिकों का उल्लेखनीय योगदान न केवल राज्य एवं देश के सकल घरेलू उत्पाद (जी.डी.पी.) में रहा है बल्कि परिवार की आर्थिक स्थिति में नींव के पत्थर के रूप में महिला श्रमिकों के अनुकरणीय श्रम को नमन। 8 मई तक राजस्थान की 88 प्रतिशत ग्राम पंचायतों में महानरेगा के तहत ग्रामीण जन को कार्य उपलब्ध हो रहा है। कुल 11227 ग्राम पंचायतों में से 9902 ग्राम पंचायतों में 3,04,614 नरेगा कार्यस्थल पर कार्य सम्पादन किया जा रहा है।
राजस्थान में आयु वर्ग के अनुसार नरेगा के श्रमिकों का विश्लेषण के अनुसार 70 प्रतिषत नरेगा श्रमिक 18 से 50 आयु वर्ग के जबकि 10 प्रतिशत के अधिक श्रमिक 61 से 80 आयु वर्ग के है। इन श्रमिकांे द्वारा ग्रमीण क्षेत्र में नरेगा कार्यस्थल पर संचालित तालाब खुदाई, खाला एवं नहर मरम्मत, वानिकी, ग्रेवल कच्ची सड़क, खेत की मेडबंदी, टांकों के निर्माण, एनिकट, पशु कैटल शैड एवं वन संरक्षण पर श्रमिकों द्वारा कार्य किया जा रहा है।
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, 2005
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (महानरेगा) लोकसभा द्वारा 23 अगस्त, 2005 मंे पास किया गया और 2 फरवरी 2005 से तीन चरणों में सम्पूर्ण भारत में लागू किया गया। महानरेगा के तहत क्षेत्र गांवों में रहने वाले प्रत्येक परिवार को 100 दिन के रोजगार की गारंटी प्रदान की गई है। इसी योजना को “महानरेगा” के नाम से भी जाना जाता है। इस कानून को लागू कर हर राज्य में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना शुरू की गई है। इस योजना के लिए खर्च होने वाली राशि का 75 प्रतिशत भुगतान केंद्र सरकार द्वारा तथा शेष 25 प्रतिशत राशि का भुगतान राज्य सरकार द्वारा कियाजाता है। केंद्र एवं राज्य सरकार से प्राप्त राशि में से 60 प्रतिशत राशि मजदूरी तथा 40 प्रतिशत राशि सामग्री के मद में खर्च का प्रावधान किया गया है। सामग्री के खर्चे में दक्ष कारीगरों की मजूदरी भी शामिल है।
जनता, जनसंगठन एवं स्वयंसेवी संस्थाओं के लंबे संघर्ष से मिला काम का अधिकार
मजदूर किसान शक्ति संगठन की टीम के नेतृत्व में जनसंगठनों, स्वयंसेवी संस्थानों, शिक्षाविद्ों, लेखकों, न्यायविदों, मीडिया एवं आम जनमानस ने लंबे जनसंघर्ष के बाद तत्कालिन राज्य सरकार एवं प्रशासनिक अधिकारियों ने अंततः जनसंगठनों की मांगों पर सकारात्मक दृष्टि से विचार कर राजस्थान को काम के अधिकार के तहत रोजगार गारंटी कानून प्रदान किया। राजस्थान के जनसंगठनों की मेहनत, प्रतिबद्वता, लंबी लड़ाई के कारण न केवल राजस्थान बल्कि पूरे देश को सूचना का अधिकार, काम का अधिकार, भोजन का अधिकार जैसे मानवीय जीवन मूल्यों के हक आधारित कानून मिले।
कोरोना महामारी के समय ग्राम पंचायत स्तर पर नरेगा कार्यस्थल पर आवश्यक व्यवस्थाएं:-
पंचायत स्तर के जनप्रतिनिधियों एवं नरेगा के मेट का दायित्व है कि वह नरेगा की साइट पर इन व्यवस्थाओं को अवश्य सुनिश्चित करें। साथ ही वार्डपंच एवं सरपंचों की जिम्मेदारी है कि वे नरेगा कार्यस्थल की व्यवस्थाओं का जायजा लेकर उन्हें दुरस्थ करने का कार्य करेंः-
 नरेगा कार्यस्थल पर सोशल डिस्टेंसिंग की अनुपालना अनिवार्य लागू की जाए।
 नरेगा श्रमिक को समूह के स्थान पर व्यक्तिगत रूप से कार्य प्रदान किया जाए।
 कार्यस्थल पर गर्मी को ध्यान में रखते हुए विश्राम हेतु छायादार स्थान के लिए टेंट या त्रिपाल की व्यवस्था हो।
 श्रमिकों हेतु शुद्व पेयजल का प्रावधान किया जाए एवं वृद्वजन, भिन्न क्षमतावान व्यक्तिको ही पेयजल की व्यवस्था के तहत मजदूरी पर लगाया जाए।
 नरेगा कार्यस्थल पर छोटे बच्चों के लिए पालना घर एवं झुले का प्रबंधन किया जाए।
 नरेगा में कार्यरत श्रमिक मास्क, गमच्छा, कपडे की चुनी, दुपट्टे से मंुह को ढक का रखे।
 नरेगा में काम आने वाले औजारों को प्रतिदिन कार्य आरम्भ से पूर्व एवं कार्य समाप्त के पश्चात साबुन या सर्फ के पानी से सेनेटाइज अवश्य किया जाए।
 नरेगा श्रमिकों को स्वयं के स्वास्थ्य के संदर्भ में आवश्यक है कि न केवल समय-समय पर साफ पानी से हाथ धोवे बल्कि कार्य समाप्ति के पश्चात स्वयं के पहने हुए कपडों को घर जाकर अवश्य धोने के बाद अगले दिन काम में लेवे।
हर हाथ को मिले काम: सिरोही जिले के पिण्डवाडा ब्लॉक की सबसे बड़ी ग्रामपंचायत भावरी की सरपंच मगनीदेवी कालबी का सपना था कि मैं सरपंच पद पर विजय होने के पष्चात हर हाथ को काम दूं। पंचायत क्षेत्र में कोई भी गरीब व दिव्यांग रोजगार से वंचित नहीं रहे। अतः महानरेगा के अंतर्गत कोरोना महामारी के कठिन समय में 415 श्रमिकों को कार्य उपलब्ध करवाया गया है। इसके साथ ही नरेगा के कार्यस्थल पर मास्क, सेनेटाइजर, साबुन इत्यादि की व्यवस्था पंचायत द्वारा की गई है। महिला वार्डपचों के सहयोग से प्रत्येक वार्ड से नरेगा आवेदन का फार्म नंबर 6 भरवाकर अधिक से अधिक ग्रामीण श्रमिकों को रोजगार प्रदान किया जा रहाहै।
मोबाइल फोन पर मैसेज एवं फोन कॉल से नरेगा में आवेदन के लिए प्रेरित किया: ग्राम पंचायत वासा की उपसरंपच लीलादेवी, पूर्व महिला जनप्रतिनिधि, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं आषा सहयोगिनी की मदद से आम लोगों में जागरूकता के तहत मोबाइल फोन से मैसेज करके लोगों से नरेगा के तहत फार्म नंबर 6 के आवेदन द्वारा रोजगार प्रदान किया गया। उपसरपंच के प्रयास से ही नरेगा के कार्य स्थल पर हाथ धोने के लिए देसी स्टाइल में पैर के द्वारा दबाकर पी.पी. से पानी द्वारा हाथ धोने की प्रकिया आरम्भ करवाई गई। प्रवासी मजदूरों को क्वारंटीन के पष्चात नरेगा में रोजगार उपलब्ध करवाने हेतु 28 श्रमिकों के नए जॉबकार्ड आवेदन किए गए। कोराना जैसी विकट परिस्थिति में भी 573 परिवारों का रोजगार उपलब्ध करवाया जा रहा है।
भारजा पंचायत के नवनिर्वाचित जनप्रतिनिधियों द्वारा नरेगा कार्यस्थल पर मास्क एवं सोशल डिस्ंटेंसिंग का संदेष दिया गया: सरपंच पुखराजपुरोहित एवं महिला वार्डपंचों के प्रयास से 958 परिवारों को नरेगा में रोजगार उपलब्ध करवाया जा रहा है। विधायक महोदय एवं स्थानीय भामाषाह के सहयोग से प्रत्येक नरेगा श्रमिक को मास्क प्रदान किया गया। साथ ही स्थानीय स्तर पर साबुन के माध्यम से हाथ धोने का संदेष दिया गया। अमिया देवी वार्डपंच ने बताया कि प्रवासी श्रमिकों को होम क्वारंटीन के पष्चात नरेगा में कार्य उपलब्ध करवाया जाएगा एवं पंचायत स्तर की निगरानी कमेटी द्वारा लगातार नरेगा कार्यस्थल की सुविधाओं का निरक्षण किया जाता है।
ग्रामपंचायत स्तर पर चुने हुए पुरुष एवं महिला वार्डपंच व सरपंचों का दायित्व है कि वे कोरोना महामारी के इस संकट की घड़ी में ग्रामीण जीवन की आर्थिक उपार्जन के तहत नरेगा के कार्य उपलब्ध करवाकर उनको श्रम हेतु प्रेरित करने में अपना योगदान प्रदान कर राज्य एवं देश के सकल घरेलू उत्पाद जीडीपी के स्तर को उठाने में भागीदार बने।
(लेखक द हंगर प्रोजेक्ट, राजस्थान के कार्यक्रम अधिकारी हैं)

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