क्या सचिन पायलट का आखिरी तुरूप का इक्का कांग्रेस और भाजपा के खिलाफ होगा तीसरा मोर्चा

रजनीश रोहिल्ला।
कांग्रेस को जो करना था, वो कर दिया। अब सबकी निगाहें सचिन पायलट पर टिकी है। कल तक पायलट राजस्थान सरकार में नंबर दो की हैसीयत पर डिप्टी सीएम थे। साथ ही प्रदेशअध्यक्ष के तौर पर संगठन के लिहाज से नंबर वन पर थे। लेकिन गहलोत की राजनीति सफल होने के साथ ही पायलट से दोनों नंबर छिन गए। अब ना तो वो डिप्टी सीएम हैं और ना ही प्रदेश अध्यक्ष। अब सवाल उठता है पायलट आगे करेंगे क्या।
नंबर की गणित गहलोत के साथ

रजनीश रोहिल्ला
सरकार की नंबर गणित गहलोत के पास नजर आ रही है, यही कारण रहा कि कांग्रेस ने पायलट को बाहर का रास्ता दिखा दिया। गहलोत का दावा है कि 109 विधायक उनके साथ है, वहीं पायलट का दावा है कि 30 विधायक उनके साथ है। इस बीच विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने कांग्रेस से बागी बने पायलट सहित 18 विधायकों को नोटिस भेजा है। विधानसभा अध्यक्ष ने 17 जुलाई तक नोटिस का जवाब मांगा है। यानि डिपटी सीएम, प्रदेशाध्यक्ष के बाद पायलट सहित उनके खेमे के विधायकों की विधायकी पर भी तलवार लटक चुकी है।
बीजेपी में नही ंतो कहां जाएंगे पायलट
पायलट ने साफ कर दिया है कि वो बीजेपी में नहीं जाएंगे। अब सवाल उठता है कि ऐसी परिस्थितियों में क्या पायलट एक कार्यकर्ता के तौर पर कांग्रेस में ही रहेंगे। या फिर राजस्थान में किसी तीसरे मोर्चे की संभावनाओं को तलाश रहे हैं।
कई मोर्चे बने और सिमट गए
राजस्थान की राजनीति में दो पार्टियां यानि कांग्रेस और बीजेपी के बीच ही मुख्य चुनावी मुकाबला होता रहा है। उत्तर प्रदेश, बिहार या फिर किसी और प्रदेश की तरह कभी त्रिकाणिय राजनीतिक वातावरण नहीं बन सका। राजस्थान के कई नेताओं ने अलग7अलग समय पर कांग्रेस और भाजपा के खिलाफ बिगुल बजाकर जारे-शोर से तीसरा मोर्चा बनाया लेकिन कोई भी कामयाब नहीं हो सका। ऐसे में सचिन पायलट को भी तीसरे मोर्चे के तौर पर बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।

प्रद्युम्न सिंह लेकर आए चार विधायक
तेजी से चले राजनीतिक घटनाक्रम के बीच गहलोत के करीबी प्रद्युम्न सिंह दिल्ली में सचिन खेमे तक पहुंच गए। प्रद्युम्न सिंह ने पायलट खेमे के रोहित बोरा से संपर्क साधकर मुख्यमंत्री गहलोत से फोन पर बात करा दी। इसके बाद बोहरा के जरिए पायलट खेमे में बैठे तीन और विधायकों से बात हो गई। गहलोत से बात के बाद चारों विधायक पायलट खेमे को छोड़कर जयपुर कांग्रेस की बैठक में पहुंच गए।

सरकार का गणित समझिए
200 सदस्यों वाली राजस्थान विधानसभा में गहलोत सरकार के पास करीब 109 विधायकों के समर्थन का दावा किया जा रहा है। कांग्रेस ने एक रणनीति के तहत पायलट को प्रदेश अध्यक्ष और उप मुख्यमंत्री पद से हटा दिया, लेकिन पार्टी से नहीं निकाला है। इसके पीछे भी एक गणित है।
दावे के अनुसार पायलट खेमे में 17 विधायक बताए जा रहे हैं। इनमें खुद वो और तीन निर्दलीय विधायक हैं। ऐसे में अगर इन 17 विधायकों को पार्टी से निकाला जाता है तो संसदीय नियमों के मुताबिक वह एक अलग निर्दलीय मोर्चा बना सकते हैं या फिर बीजेपी में भी शामिल हो सकते हैं। फिर उन्हें गहलोत सरकार के खिलाफ विश्वास मत के दौरान वोट करने का भी अधिकार मिल जाएगा।
वहीं अगर कांग्रेस इन सभी 17 विधायकों को विश्वास मत की वोटिंग पहले ही अयोग्य साबित करती है तो इससे बहुमत का आंकड़ा वर्तमान आंकड़े से कम हो जाएगा। वर्तमान में बहुमत का आंकड़ा 101 है। अगर इन सभी 17 विधायकों को दलबदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य ठहराया जाता है तो बहुमत का आंकड़ा घटकर 92 हो जाएगा। कांग्रेस के पास खुद के 90 विधायकों के होने की संभावना जताई जा रही है। इसके साथ ही 2 माकपा विधायकों के समर्थन से गहलोत सरकार विश्वास मत जीत सकती है।

अब शुरू हुआ बीजेपी का रोल
पिछले तीन दिन से गहलोत और पायलट के बीच की जंग को कांग्रेस की निजी लड़ाई बताने वाली बीजेपी ने अपना राजनीतिक कदम उठाना शुरू कर दिया है। बीेजेपी के राष्टय नेता ओम माथुर और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सहित भाजपा के आला नेताओं की बैठक में कई सियासी निर्णय लिए गए हैं। उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस से नाराज होने के बाद बीजेपी ने कमलनाथ सरकार का तख्ता पलटकर शिवराजसिंह की सरकार बना दी थी। लेकिन राजस्थान की परिस्थितियां एमपी से अलग हैं। यहां सचिन पायलट ने साफ कर दिया है कि वो बीजेपी में नहीं जाएंगे।
कुल मिलाकर राजनीति की खबरों में रूचि रखने वालों को सचिन पायलट के आखिरी पत्ते के खुलने तक इंतजार करना पड़ेगा।

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