धमाकेदार राजनीति एपिसोड में सचिन पायलट के किरदार को समझा जाना भी जरूरी

रजनीश रोहिल्ला।
कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे स्वर्गीय राजेश पायलट के पुत्र भले ही राजनीतिक विरासत के कुछ फायदे में रहे हो लेकिन नहीं भूलना चाहिए पिछले कुछ समय में पायलट ने अपना एक बड़ा कद खड़ा किया है। गहलोत और पायलट का टकराव यूं ही चंद दिनों में नहीं हो गया। यह लंबा सफर तय करके इस मुकाम पर पहुंचा है।

पहले जानते हैं कि आखिर टकराव है क्या

रजनीश रोहिल्ला
जैसा कि सचिन पायलट का कहना है कि अधिकारियों को उनकी बात सुनने के लिए मना किया गया। उनके विभागों की फाइलें ही उन तक नहीं पहुंच रही थी। गहलोत द्वारा हमेशा उन्हें साइड लाइन करने का प्रयास किया जाता रहा। प्रदेश अध्यक्ष पद से भी उन्हें हटाने के प्रयास किए जा रहे थे। पायलट ने तो यहां तक कहा कि राहुल गांधी के अध्यक्ष पद छोड़ने के बाद से उन्हें कई तरह से परेशान किया जा रहा था। यह सारी पीड़ाएं पायलट और उनके खेेमे द्वारा बताई जा रही है।

अब सुनिए गहलोत क्या बोले
गहलोत ने कहा कि सचिन पायलट बीजेपी के साथ मिलकर सरकार गिराने की डील कर रहे थे। उनके पास इस बात के सबूत भी हैं। समझना यह होगा कि यह नौबत आई क्यूं। कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष और राज्य का डिप्टी सीएम अगर बीजेपी से डील कर रहा है, तो स्थितियां यहां तक पहुंची कैसे। कहीं नां कहीं दोनों के बीच वर्चस्व को लेकर बड़ा टकराव चल रहा था। हो सकता है कि गहलोत की कुछ बातें पायलट नजर अंदाज कर रहे हों और पायलट की कुछ बाते गहलोत नजर अंदाज कर रहे हो। दो पाॅवर सेंटर में इस तरह की स्थितियां तो बनती ही हैं।
तो फिर बीजेपी में क्यूं नहीं पायलट?
अगर गहलोत का आरोप सही है कि पायलट बीजेपी के साथ मिलकर सरकार गिराना चाहते थे, तो समझने वाली बात यह है कि फिर पायलट अपने समर्थक विधायकों को दिल्ली तक तो ले गए लेकिन बीजेपी में शामिल क्यूं नहीं हुए।
पायलट ने तो यहां तक कहा कि उनका बीजेपी में शामिल होने का सवाल ही नहीं उठता है। खास बात यह भी है कि पायलट ने गांधी परिवार या कांग्रेस के खिलाफ पिछले तीन दिन में एक भी शब्द नहीं कहा, तो फिर पायलट के बगावत की सारी कहानी को कैसे समझा जाएं।

जवाब ढूंढ रहे हैं सवाल
जब पायलट को बीजेपी में जाना ही नहीं था, तो समर्थक विधायकों के साथ दिल्ली मानेसर जाकर बैठे ही क्यूं। कांग्रेस की विधायक दल की लगातार दो दिन हुई बैठक में क्यूं नहीं आए। वो भी कांग्रेस नेताओं की अपील के बाद भी कड़ा रूख क्यूं अपनाए रखा। एक चैनल से इंटरव्यू में यह क्यों कहा कि सवाल सत्ता का नहीं बल्कि आत्मसम्मान का। क्या पायलट को लगता है कि इस तरह से आत्म सम्मान बचाया जाता है।
अब दो ही बातों से समझा जा सकता है
1 या तो पायलट केवल विधायकों के साथ गांधी परिवार के सामने शक्ति प्रदर्शन कर उनके पक्ष में कोई निणय कराना चाहते थे।
2 या फिर वो वाकई बीजेवी के साथ मिलकर सरकार गिराना चाहते थे, जैसा कि गहलोत ने कहा।

तो फिर हुआ क्या
मुख्यमंत्री के दावे के अनुसार यह खेल तो राज्यसभा चुनाव के समय ही होना था लेकिन कांग्रेस के सारे विधायक दस दिन तक होेटल में रहे, इसलिए खेल नहीं हो सका। अब जब मामले की जांच एसओजी ने शुरू की और पायलट के पूछताछ के लिए नोटिस पहुंचा तो पायलट ने इसे अपनी प्रतिष्ठा का प्रश्न बना दिया।
जबकि ऐसा कुछ करने की जरूरत नहीं थी, पायलट एसओजी की पूछताछ से दूूर क्यों जाना चाहते थे। जब एसओजी को शिकायत ही कांग्रेस के मुख्य सचेतक ने की है तो, उससे भागने की तो कोई जरूयरत ही नहीं। जांच होनी भी चाहिए। अशोक गहलोत सरकार का आरोप है, बीजेपी ने कांग्रेस के विधायक खरीदने का षड़यंत्र रचा है तो फिर पायलट को जांच से आपत्ति क्यों हुई। जांच तो जांच है। मामले मेें मुख्यमंत्री मंत्री को भी आॅन रिकार्ड बयान देने पड़ेंगे। तो पायलट को इसमें दिक्कत क्या थी।

इसलिए बनी गांधी परिवार से दूरी
एक ही तरह की समस्या को लेकर कोई भी शख्स किसी के पास बार-बार जाता है, तो सामने वाला सुनना ही बंद कर देता है। यही पायलट के साथ हुआ। जब गांधी परिवार ने उनकी बात को सुनना ही बंद कर दिया तो पायलट अपने समर्थक विधायकों के साथ शक्ति परीक्षण् या यूं कह लिजिए कि गांधी परिवार पर दबाव की राजनीति पर उतारू हो गए।

पायलट का दांव पड़ गया उल्टा
कई बार खेल-खेेल में यानि की कबडडी के खेल में आदमी दूसरेे के पाले मेें इतने आत्म विश्वास से घुस जाता है कि वो अपने दम पर सारी टीम को गिराकर लौट आएगा। ऐसा कई बार होता भी है, मध्य प्रदेश में ऐसा ही हुआ है। लेकिन राजस्थान में दावं उल्टा पड़ गया। दूसरी टीम को आउट करना तो दूर खुद ही अपने पाले तक वापस नहीं पहुंच सके पायलट।

अब, राहुल गांधी ने कह दिया
जिसे कांग्रेस छोड़कर जाना है, जाएगा। पार्टी छोड़कर जाने वाले से घबराने की जरूयरत नहीं, यानि कि उसकी चिंता ही मत करो। इन हालातों में पहुंच गए हैं, राजस्थान के उर्जावान युवा नेता सचिन पायलट ।

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