टीके का इंतजार !

व्यंग्य
इन दिनों हम सभी बडी बेसब्री से टीके का इंतजार कर रहे है. ऐसा नही है कि टीके का इंतजार पहली बार ही हो रहा हो. ऐसा कई बार हुआ है.
देश के हिन्दी भाषी क्षेत्रों में शादी से पूर्व एक रस्म अदायगी होती है जिसमें विवाह संबंध तय होजाने पर वधु पक्ष वालें वर पक्ष के यहां आकर भावी दामाद को भेंट स्वरूप मिठाई-फल इत्यादि देकर उसके तिलक करते है जिसे टीका कहा जाता है.

शिव शंकर गोयल
वर्षों पहले की एक घटना है. हमारे पडौसी के वयस्क लडके की शादी का रिश्ता तय हो चुका था. लडकी वालों के आने का इंतजार था. संयोग की बात उन्ही दिनों देश में बीसीजी के टीके लगाने का अभियान भी चल रहा था और सरकारी नुमाइंदें घर घर जाकर बच्चों के टीके लगा रहे थे. एक रोज एक सरकारी टीम पडौसी के घर आगई. उन्होंने घर का दरवाजा खोलने वाले लडके से कहा कि अपने मम्मी-पापा को कहो कि टीके वाले आएं है. बच्चे ने वही से आवाज लगा कर अपनी मम्मी-पापा से कहा कि टीके वाले आए है. इस बात पर लडके के पिताजी ने, यह समझते हुए कि कोई रिश्ते वाले होंगे, कहा कि उन्हें ड्रांईग रूम में बैठाओ, मैं कपडें बदल कर आता हूं. यह बात जब टीका दल को बताई गई तो उन्होंने कहा कि हम लोग जल्दी में है, बैठ नही सकते. अगर टीका लगवाना हो तो जल्दी से बच्चे को ले आओ. नही तो हम जाते है. यह कह कर वह चल दिए. यह बात जब लडके के मम्मी-पापा ने सुनी तो असलियत पता पडी. फिर वह लोग अपने टीके वालों का दिनभर इंतजार ही करते रहे.

शिव शंकर गोयल

error: Content is protected !!