विधायकों की खरीद फरोख्त से जुड़े तीन ओडियो सामने आ गए

रजनीश रोहिल्ला।
आखिर लोकतंत्र की मंडी में क्या चल रहा है, यह भी कोई सवाल हुआ, फिर भी, जवाब है – विधायकों की खरीद फरोख्त। रूपए भी जनता के भरोसे के मुकाबले ज्यादा नहीं। कीमत केवल 15 से 25 करोड़।
गजब का लोकतंत्र है। जनता अपने नेताओं पर कितना भरोसा करती है, उन्हें विधायक बनाती है और माननीय अपने फायदे के लिए जनता के भरोसे का सौदा कर देते हैं। कितना आसान सा हो गया है, जनता द्वारा चुनी गई सरकारों को पैसों के दम पर गिरा देना। यही नेता ईमानदारी का एक नया चेहरा लगाकर जनता के पास फिर से उनका वोट मांगने पहुंच जाते हैं।
यह खेल देश में लंबे समय से चल रहा है, अलग-अलग राज्यों में राजनीतिक दलों के बीच होने वाले आरोप प्रत्यारोप से सामने आता रहा है लेकिन पुख्ता सबूत के साथ कभी नहीं आया।

रजनीश रोहिल्ला
लेकिन राजस्थान में तो गजब हो गया। मुख्यमंत्री गहलोत सारे सबूतों के साथ खड़े हैं। कांग्रेस ने एसओजी को शिकायत दी। शिकायत पर जांच शुरू हुई। जांच के तहत उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट सहित कुछ विधायकों को नोटिस दिए गए। नोटिस तो मुख्यमंत्री को भी दिया गया। नोटिस में सरकार गिराने का षड़यंत्र, विधायकों की खरीद फरोख्त और राजद्रोह की धाराएं है।
नोटिस मिलते ही पायलट का नाराज होना। नोटिस को अपने आत्मसम्मान से जोड़ना और फिर 18 विधायकों के साथ बीजेपी की हरियाणा सरकार के क्षेत्र के एक होटल में चले जाना। कांग्रेस के केंद्रीय नेताओं के द्वारा बुलाने पर भी नहीं आना। बहुत कुछ अपने आप में बयां कर रहा है।
अशोक गहलोत भले ही मुख्यमंत्री हैं लेकिन वो इतने मुखर नहीं हो सकते थे कि पायलट को उपमुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष पद से विदाई करा दें। लेकिन सारे सबूतों के साथ पुख्ता इंतजाम कर चुके थे। जरूर आॅडियों को कांग्रेस नेताओं को सुनाया गया होगा, गांधी परिवार को भी सुनाया गया होगा, और भी सबूत होंगे। कांग्रेस में चिंतन हुआ होगा, मनन हुआ होेगा। तभी तो महसूस किया गया कि जो मध्य प्रदेश में हुआ, वही तो राजस्थान में होने जा रहा है। यानि सरकार का तख्ता पलट।
वहां कमलनाथ कमजोर पड़ गए। सिंधिया के पास नंबर गेम पूरा था। यहां राजस्थान में पेच फंस गया। पायलट का नंबर गेम पूरा होने से पहले ही गहलोत ने विधायकों की बाड़ंेबंदी कर दी। गहलोत ने ऐसा शिंकजा कसा कि फिलहाल तो सारा प्लान ही चैपट हो गया।
जरा याद कीजिए, एक महीने पहले का समय। राज्यसभा चुनाव का टाइम था। मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा था कि कांग्रेस के विधायकों को खरीदने के लिए 25 करोड़ रूपए तक के आॅफर दिए जा रहे हैं, पायलट ने इस तरह की बात को खारिज कर अफवाह बताया था।
गहलोत ने उस समय भी विधायकों की मजबूत बाड़ेबंदी करके कांग्रेस को राज्यसभा सीटें जितवाई थी। मुख्यमंत्री गहलोत के अनुसार खेल उस समय से ही चल रहा था। वो गेम प्लान 1 था। उस प्लान के फेल होते ही गेम प्लान 2 को अमल में लाया जा रहा था। प्लान 2 ठीक मध्य प्रदेश की तरह था। विधायकों का खेमा बनाकर सरकार को अल्पमत में लाया जाए और तख्ता पलट दिया जाए।
लेकिन गहलोत राज्यसभा चुनाव के समय से ही चैकन्ने थे। उन्होंने पायलट का ही तख्ता पलट दिया। पायलट क्या थे, क्या हो गए। ना उपमुख्यमंत्री रहे, ना ही प्रदेशाध्यक्ष। विधायकी पर भी तलवार लटक रही है, बीजेपी में जाने से मना कर चुके हैं। एसओजी के सामने पूछताछ के लिए भी जाना है। अभी बहुुत कुछ होना है। हर दिन कुछ नया सामने आना है।
सारे घटनाक्रम से एक बात तो सामने आ रही है कि पायलट के खिलाफ एक के बाद एक लिए गए निर्णयों के पीछे मुख्यमंत्री गहलोत के पास उनकी सरकार गिराने के इरादे से विधायकों की खरीद फरोख्त के प्रयासों के पुख्ता सबूत हैं।
अगर एसओजी का नोटिस पायलट के आत्मसम्मान की बात था, तो यह नोटिस तो मुख्यमंत्री को भी मिला है। फिर अचानक अपने खेमे के विधायकों को लेकर हरियाणा जहां बीजेपी सरकार है, वहां बैठना और भी मामले को संदेहास्पद बना देता है।
अब तक तीन आॅडियो जनता के बीच आ चुके हैं। इन तीनों आॅडियों में विधायकों की खरीद फरोख्त, सरकार गिराने के लिए नंबर गेम और पहली किस्त का विधायकों तक पहुंचने का जिक्र हो रहा है।
कल ही मुख्यमंत्री ने पायलट का नाम लेकर कहा था कि वो बीजेपी के साथ मिलकर राजस्थान सरकार को गिराने के काम में लगे थे। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा था कि उनके पास पुख्ता सबूत हैं। आज यह तीन आॅडियो अचानक मीडिया के पास पहुंच गए। अब राजस्थान की जनता अपने माननीयों की बातचीत सुन रही है। आॅडियो सही हैं या गलत। यह भी सामने आ जाएगा लेकिन इन तीन आॅडियों ने भूचाल खड़ा कर दिया है। यह तीनों आॅडियों भी एसओजी की जांच का हिस्सा बनेंगे।
कांग्रेस ने विधानसभा स्पीकर को शिकायत दी थी कि पायलट और उनके साथ 18 विधायकांे ने पार्टी विहप का उल्लघंन किया है। शिकायत मिलने के बाद स्पीकर ने सभी 19 लोगों को नोटिस जारी कर शुक्रवार यानि आज एक बजे तक जवाब मांगा है। वहीं पायलट खेमे ने हाई कोर्ट में इस नोटिस के खिलाफ याचिका लगाई है। जिस पर होई कोर्ट की डिविजन बैंच आज ही एक बजे से सुनवाई शुरू करेगी। जानकारों के अनुसार चूंकि हाई कोर्ट ने इस मामले में किसी भी प्रकार का कोई आदेश जारी नहीं किया है, ऐसे में स्पीकर अपनी कार्रवाई करने में स्वतंत्र है। स्पीकर द्वारा जारी किए गए नोटिस का जवाब नहीं मिलने पर वो चाहें तो पायलट सहित 18 विधायकों की विधानसभा सदस्यता भी समाप्त कर सकते हैं।
इस सारे राजनीतिक घटनाक्रम में कांग्रेस या पायलट का क्या होगा। यह तो भविष्य के गर्त में छुपा है। अगर आॅडियो सही हैं, तो एक बात तो साफ हो गई है कि लोकतंत्र की मंडी में हमारे माननीयों की ना सिर्फ बोली लगती है बल्कि वो जनता के विश्वास का गला घोंट कर खरीदे और बेचे भी जाते हैं।

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