मंदिर विरोधी नेताओं के भी सुर बदले

संजय सक्सेना
लखनऊ। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज अयोध्या में भगवान राम का भव्य मंदिर बने इसके लिए भूमि पूजन कर दिया। इसी के साथ एक नया इतिहास लिख दिया गया। पूरे विश्व के सनातन धर्मावलंबियों के जीवन का यह नया सवेरा है। इसके पीछे 491 वर्ष का अथक संघर्ष और अनगिनत बलिदान छिपे हैं। 21 मार्च 1528 को बाबर के आदेश पर सेनापति मीर बाकी ने राममंदिर को ध्वस्त किया और फिर यहां विवादित ढांचा खड़ा कर दिया। सनातन संस्कृति की अस्मिता को दागदार करने वाला यह ऐतिहासिक कलंक आज मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन कार्यक्रम सम्पन्न होते ही पूरी तरह धुल गया। इस मौके पर लाखों राम भक्तों के बलिदान को भी नहीं भुलाया जा सकता है।
मर्यादा पुरूषोत्तम प्रभु राम का भव्य मंदिर बन रहा है,यह तो प्रत्येक हिन्दू के लिए गर्व की बात है। इससे अधिक प्रसन्नता इस बात की है कि मंदिर निर्माण की आधारशीला प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा रखी गई जो न केवल सच्चे सतानत धर्मी और राम भक्त हैं,बल्कि अपनी मर्यादाओं को भी भलीभांति जानते हैं। वर्ना मोदी सरकार के पास इतना बहुमत था कि वह न्यायपालिका से आदेश लेने की बजाए स्वयं लोकसभा में भी मंदिर निर्माण के लिए कानून पास करा सकती थी। एक बात और, अगर केन्द्र में मोदी सरकार के साथ-साथ उत्तर प्रदेश में योगी सरकार की जगह सपा-बसपा या कांगे्रस की सरकार होती तो यह दल वोट बैंक की सियासत के चलते राम मंदिर निर्माण में बाधा खड़ी करने का कोई मौका नहीं छोड़ते।
यह और बात है कि सरकार में रहते जो कांगे्रस प्रभु राम को काल्पनिक मानती थी,वह आज बात रही है कि राम तो सबके हैं। आधारशिला समारोह से ठीक एक दिन पहले कांगे्रस महासचिव और उत्तर प्रदेश कांगे्रस की प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा ने ट्वीट किया- सरलता, साहस, संयम, त्याग, वचनबद्धता, दीनबंधु राम नाम का सार है। राम सबमें हैं, राम सबके साथ हैं। भगवान राम और माता सीता के संदेश और उनकी कृपा के साथ रामलला के मंदिर भूमिपूजन का कार्यक्रम राष्ट्रीय एकता, बंधुत्व और सांस्कृतिक समागम का अवसर बने। अपने ट्वीट के साथ ही प्रियंका ने अपना वक्तव्य भी संलग्न किया जिसमें उन्होंने भारत ही नहीं दुनिया और पूरे भारतीय उपमहाद्वीप की संस्कृति में रामायण के अमिट प्रभाव का जिक्र करते हुए भगवान राम और माता सीता की गाथा को हमारी सांस्कृतिक और धार्मिक स्मृतियों का प्रकाशपुंज बताया। तुलसी के हरि अनंत हरि कथा अनंता को राम और रामायण के अनगिनत रूपों की अभिव्यक्ति बताया।
जहां मंदिर आंदोलन के दौरान राम के योद्धा रूप का ही ज्यादा प्रचार हुआ वहीं प्रियंका ने राम के करुणामय रूप को भारतीय मानस में अमिट बताते हुए शबरी के राम, सुग्रीव के राम, वाल्मीकि और भास के राम का जिक्र किया है। राम सिर्फ उत्तर के ही नहीं बल्कि दक्षिण में कंबन और एषुत्तच्छन के भी राम हैं। राम संप्रदाय और मजहब की दीवारों से ऊपर हैं इसलिए कबीर के भी राम हैं तुलसीदास और रैदास के भी राम हैं। राम सबके दाता हैं और गांधी के रघुपति राघव राजाराम सबको सम्मति देने वाले हैं। वारिस अली शाह कहते हैं कि जो रब है वही राम है। आगे अपने बयान में प्रियंका ने राष्ट्रकवि मैथलीशरण गुप्त के राम को निर्बल का बल बताने महाप्राण निराला की कालजयी पंक्तियां वह एक और मन रहा राम का जो न थका, के जरिए राम को शक्ति की मौलिक कल्पना कहते हुए राम को साहस, संगम, संयम, सहयोगी रूप को बताते हुए कहती हैं कि राम सबके हैं। सबका कल्याण चाहते हैं इसलिए मर्यादा पुरुषोत्तम हैं। अपने वक्तव्य के आखिर में प्रियंका ने जय सियाराम कहकर अभिवादन किया है। जबकि मंदिर आंदोलन में संघ परिवार ने जय श्रीराम पर ज्यादा जोर दिया और उस उद्घोष के शोर में जय सियाराम कहीं खो गया। सियाराम कहकर प्रियंका ने राम के साथ सीता को भी प्रतिष्ठित करने का प्रयास किया है।
उधर, समाजवादी पार्टी जिसके मुखिया मुलायम जिन्होंने अयोध्या में कारसेवकों पर गोली चलाई की घटना को अंजाम दिया था, उसी समाजवादी पार्टी के नेता और मुलायम के पुत्र अखिलेश यादव एक ट्वीट में लिख रहे हैं कि मैं उम्मीद करता हूं कि आज की और भविष्य की पीढ़ियां मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान राम के द्वारा दिखाए गए मार्ग और शांति के लिए मर्यादा का पालन करेंगे।
‘जय महादेव जय सिया-राम
जय राधे-कृष्ण जय हनुमान’
अखिलेश ने कहा,‘भगवान शिव के कल्याण, श्रीराम के अभयत्व व श्रीकृष्ण के उन्मुक्त भाव से सब परिपूर्ण रहें! आशा है वर्तमान व भविष्य की पीढ़ियां भी मर्यादा पुरूषोत्तम के दिखाए मार्ग के अनुरूप सच्चे मन से सबकी भलाई
अयोध्या में हो रहे भूमि पूजन के मौके पर बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती मंदिर निर्माण का श्रेय मोदी सरकार को देने की बजाए याद दिला रही है कि आज अयोध्या में जो राम मंदिर के निर्माण की नींव रखी जा रही है, उसका काफी कुछ श्रेय सुप्रीम कोर्ट को जाता है। मायावती ने कहा कि जैसाकि सर्वविदित है कि अयोध्या विभिन्न धर्मों की पवित्र नगरी व स्थली है. लेकिन दुःख की बात यह है कि यह स्थल राम-मन्दिर व बाबरी-मस्जिद जमीन विवाद को लेकर काफी वर्षों तक विवादों में भी रहा है. लेकिन इसका माननीय सुप्रीम कोर्ट ने अंत किया. साथ ही, इसकी आड़ में राजनीति कर रही पार्टियों पर भी काफी कुछ विराम लगाया. माननीय कोर्ट के फैसले के तहत ही आज यहां राम-मंदिर निर्माण की नींव रखी जा रही है, जिसका काफी कुछ श्रेय माननीय सुप्रीम कोर्ट को ही जाता है।’

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