देश की व्यवस्था

हेमंत उपाध्याय
एक बड़े गेस्ट हाउस में कई वेटर व कर्मचारी थे। एक साहब ने अपने कमरे से चाय का आर्डर दिया। काफी समय बाद भी चाय नहीं आई तो साहब ने होटल के मुख्यालय पर इमेल कर शिकायत दर्ज कर दी और बिना चाय पीये गेस्टहाउस (होटल ) से बाहर निकल गये।
गेस्ट हाउस के पास ही खड़े एक ठेले वाले के पास से गुजर रहे थे कि उनके हाथ में स्पेशल सुपर डीलक्स चाय ठेले वाले ने देदी। चाय पी कर वे पूर्ण संतुष्ट हुए। उन्होंने पचास का नोट दिया, तुरंत ही ठेले वाले ने चालिस रुपये वापस कर दिए।
इसी बीच होटल मुख्यालय से ईमेल आया, “आपके रुम के सामने बैरा चाय लेकर आपका इंजार कर रहा है।” चाय गृहण कीजिए।
शिकायत की जाँच रिपोर्ट ये है – कि आपका आर्डर तुरंत काऊंटर पर पहुँचा दिया था। उसके बाद स्पेशल चाय बनाने वाले को आर्डर भी तुरंत पहुँचा दिया। उसने तत्काल आपकी चाय तैयार कर डिलेवरी मेन को देने हेतु ट्रे तैयार कर दी, परन्तु डिलेवरी मेन का टी टाईम हो गया था। अतः उसे चाय पीकर वापस आने में सामान्य समय लगा। फिर भी विलम्ब के लिए खेद है। इसके लिए कोई कर्मचारी दोषी नहीं होने से व आपको संतोषप्रद उत्तर देने के बाद आपकी शिकायत का निराकरण हो जाने से शिकायत नस्तीबद्ध कर दी है। अब इस संबंध में अनावश्यक पत्राचार न करें।
साथ ही आपको सूचित किया जाता है कि आपका चेक आउट समय हो चुका है। चाय के पेमेंट तक का फाईनल बिल काउंटर से लेने के साथ ही रिफंड 5 रुपये 12आने भी प्राप्त कीजिए। पधारने के लिए धन्यवाद। पुनःपधारें।
साहब जैसे ही होटल में वापस लौटे व अपने कमरे की ओर गए तो कमरे के बाहर बैरा चाय लेकर दरवाजे पर खड़ा था । बैरे ने कहा- सर आपकी चाय हाजिर है। इसका पेयमेंट बिल में जुड़ चुका है। आप चाय गृहण कीजिए।
सर ने बैरे को ऊपर से नीचे तक देखा तो चौंक गये और बोले – तुम तो मेरे साथ ठेले पर चाय पी रहे थे वो भी सिविल ड्रेस में और एक चाय पार्सल भी ली थी।
बैरे का उत्तर था-सर हमारी होटल में कोई केंटीन नहीं है। सब व्यवस्था आउटसोर्सिंग से होती है। ये चाय उसी ठेले की है। सर आप नाराज न हों मेरी नौकरी का सवाल है। गेस्टहाउस बदनाम न हो इस लिए हम ठेले से सामान लेने बैरे की ड्रेस में नहीं जाते। सर मुझे डाँट लीजिए पर पुनः शिकायत न करें।
साहब बोले- पूरे देश की व्यवस्था आउटसोर्सिंग पर निर्भर है। किस- किस पर नाराज होकर पंगा मोल लूँ। अपशब्द बोलकर मुझे कोई लाभ तो होगा नहीं।
होटल की चार दिवारी से मात्र पास के ठेलों से चाय व सब्जी-पराठा व खाना लाने का काम करने वाला गाँव का कूप मंडूक बैरा दुनिया को क्या जाने।
बैरे को विश्वास नहीं हुआ बोला- सर देश में क्या हर जगह आउटसोर्सिंग से ही काम हो रहा है। सर ने सामन कमरे से बाहर रखवाते हुए चेक आउट लिया।
रिफंड में उन्हें दस हजार पाँच रुपए बारह आने मिले । किसी शुभचिंतक ने उनके रुम के लिए कुछ समय पहले ही खुश होकर दस हजार रुपए जमा करा दिए थे। उपर के पाँच रुपये बारह आने बैरे की ट्रे में रखते हुए दस हजार अपने कोट में खुश होकर रख लिए।
सर ने कहा – होटल क्या हर सरकारी काम ठेकेदार के मार्फत ही होने लगे हैं।आप तो मेरी सेवा में लगे लिपिक से पूछ लेना।
लिपिक ने बैरे को बताया आफिस में वेतन बनाने का ठेका, पेंशन बनाने का ठेका, चोरी पकड़ने का ठेका, झाड़ू देने का ठेका, चौकीदारी का ठेका, मच्छर की दवाई छिंटने का ठेका, नाली हो या नाला उसकी सफाई कराने के काम का ठेका, चूहें मारने का ठेका। मुर्दों के कफन का ठेका, ताबूत आपूर्ति करने का ठेका, मुर्दे जलाने या गाढ़ने का ठेका, मुर्दे प्लास्टिक बैग में बंदकर डिलिवरी देने के काम को भी अस्पताल वाले आउटसोर्सिंग पर दे रहे हैं। बिजली कनेक्शन देने, वाचन करने, बिल देने व पैसे वसूलने का काम आउटसोर्सिंग पर, शिकायत का उत्तर देने का पत्र टाईप कराना हो या आँकड़ो को जोड़न – घटा कर अच्छी प्रगति दर्शाना हो उसका भी ठेका। बिजली कनेक्शन हो या नल कनेक्शन जोड़ने या काटने का ठेका, शिकायत की जाँच करने का ठेका। दवाइयों की उपलब्धता आउटसोर्सिंग पर। महामारी के मरीजों को भर्ती करने व उनके इलाज करने के काम तक को भी हास्पिटलों को आउटसोर्सिंग पर दिया जा चुका है।
बैरा बीच में ही बोला – बाबूजी इससे सरकार को क्या लाभ है । लिपिक ने कहा -इसके कारण सरकार बे दाग है। मुर्दा बदला जाए तो सरकार की गलती नहीं, चिता सजाई पिता की और बाडी निकली माता की तो इसमें सरकार दोषी नहीं। अनेक लाभ हैं आउटसोर्सिंग के। रिश्वत लेने के आरोप से अधिकारी व सरकार बची रहती है।
नौकरी के लिए प्रश्न पत्र से सभी श्रेणी के उम्मीदवारों के चयन करने तक का काम भी आउटसोर्सिंग पर ही होता है। भले आधे से ज्यादा भर्ती अधिकारी की या मंत्री की मर्जी से होती हो पर आरोप उन पर लगते ही नहीं और लगे भी तो उन पर सिद्ध नहीं होते।
बस चलाने का ठेका पुराना हो गया अब तो रेल चलाने का काम भी ठेके या आउटसोर्सिंग पर ही हो गया। फायदा ठेकेदार का,नुक्सान सरकार का। सरकार माने जनता का। जनता माने सभी तरह के करदाता का। एक दो और तीन रुपये किलो अनाज देने के लिए कंट्रोल दुकान का ठेका । सरकारी नारे लिखने का ठेका। कार्यालय में सरकारी वाहन , वाहन चालक होते थे अब वो सब भी आउटसोर्सिंग के मार्फत ही उपलब्ध हो रहे हैं। मजे की बात ये है कि लाखों नौकरियाँ देने का वाद करने वाले नेता सरकार बनाने के बाद पद कैसे समाप्त किए जावें , इस काम को भी आउटसोर्सिंग पर दे दिया जाता है। पहले आपने दारु का ठेका सुना था अब तो हर काम में आउटसोर्सिंग हो रही है। ये हाल तुम्हारी होटल के ही नहीं पूरे देश के हाल हैं।अधिकांश काम आऊटसोर्सिंग के मार्फत ही हो रहा है।
जब नेता चुनाव में खड़ा होता है तो उसके जुलूस में भाग लेने वालों की व्यवस्था भी अघोषित रुप से आउटसोर्सिंग पर ही निर्भर रहती है । झंडा -डंडा उठाने वाले का तो नारा ..,.. की जय ।….. की जय । …. जिंदाबाद ही होता है । पहले स्वेच्छा से देश के खातिर भारत माता की जय कहते थे। अब नेताजी की जय कहते हैं। नेताजी जो टोपी दे दे , जो झंडा दे दें भीड़ उसे लेकर चलती है। जब नेता दलबदलू हो सकते हैं। जिधर बम उधर हम का सिद्धांत अपना सकते हैं, दिहाड़ी मजदूर को परहेज क्यों हो। सुबह एक दल के जुलूस में तो शाम को दूसरे दल के जुलूस में।
बैरा बोला – बाबूजी ये सर ऐसे कौन से विभाग में पदस्थ हैं कि हर विभाग वाले उनको आँखों पर उठा कर घुमते हैं। अपनी एसी कार में ले जाते हैं और छोड़ने आते हैं। भेंट देते हैं। बाबूजी -बोले सर दिल्ली से आये हैं। वे एक आउटसोर्सिंग कंपनी में कार्यपालक निदेशक हैं। ये सर्वे करने आये हैं कि आपके शहर के किस -किस विभाग में कौन-कौन से कार्य आउटसोर्सिंग पर दिए जा सकते हैं और कौन- कौन से पद समाप्त किये जा सकते हैं। इस लिए हर विभाग वाले चाहते हैं कि उनके विभाग का अधिक से अधिक काम आउटसोर्सिंग पर करने की सर सिफारिश कर दें और ये अधिकारी जिम्मेदारियों से बच जावें साथ ही आउटसोर्सिंग वाली कंपनियों को ठेका देने का काम भी इनके हाथ में आ जावेगा और ये बिना तनाव के लाभान्वित होते रहेंगे। इसी बीच नगर निगम के अधिकारी बहुत सी भेंट लेकर पधारे व उनका सामान एक अन्य लोडिंग गाड़ी में रखवाकर सर को लेकर एरोड्रम रवान हो गये।
गिफ्ट के सामान को लोडिंग गाड़ी में लेकर एक विश्वनीय लिपिक दिल्ली के साहब के बंगले के लिए रवाना हुआ। थोड़ी देर में साहब का प्लेन बादलों के उपर जाकर ओझल हो गया। साहब के दिल्ली पहुँचते ही सरकारी अधिकारियों की सेवा व उपहार के बदले आउटसोर्सिंग के प्रस्तावित योजनाओं की स्वीकृति के रुप में खूब आशीर्वाद मिला।
हेमंत उपाध्याय.
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