बहुत याद आएंगे ईशमधु तलवार

*पत्रकारिता की यूनिवर्सिटी थे तलवार साब*

सुशील चौहान
भीलवाड़ा। हरदम हँसता मुस्कुराता चेहरा। हर बात ध्यान से सुनना ओर फिर प्रतिक्रिया देने की महारत हासिल कर *पत्रकारिता की यूनिवर्सिटी* कहलाये ईशमधु तलवार अब हमारे बीच नहीं है। लेकिन कहते है इतिहास बनाने वाले कभी नहीं मरते। शरीर भले ही छोड़ दे लेकिन वे अमर रहते है। ऐसी ही नामवर , ख्याति प्राप्त, और यह कहे कि *खबरों की दुनिया के सरताज* ईशमधु तलवार तन से भले ही हमसे विदा हो गए , उनका मन और उनकी याद हमेशा हमेशा हमारे साथ रहेगी। कहते हुए गर्व है कि तलवार साब खबर के पक्के तो रहे ही खबर नवीसों यानी पत्रकारों के हमेशा नज़दीक रहे। *अजमेर में सोनिया गांधी की आमसभा के दौरान मेरी उनसे मुलाकात हुई । तो मुझे लगा ही नहीं कि पत्रकारिता की इतनी बड़ी हस्ती के साथ बैठा हूं, बातचीत कर रहा हूँ। आम सभा खत्म होने के बाद अजमेर के मुख्य डाक घर में फेक्स करने के लिए गए जहां एक ही टेबल पर बैठ कर खबर लिखने का जो सौभाग्य मिला। वो पल भूल नहीं सकता। उन्होंने तुंरत स्कैच पैन से खबर लिखी और भेज दी।मैं देखता ही रह गया उनके कार्य करने की शैली को। उस दिन जो मुझे सीखने को मिला वो आज तक मेरे *जेहन* में हैं। उन्होंने मुझे यह एहसास ही नहीं होने दिया कि वो किसी जूनियर से बात कर रहे हैं। उन्होंने अपने छोटे भाई की तरह मुझसे बातें की।उसके बाद तलवार साब से मिलने का सिलसिला जारी रहा।श्रमजीवी पत्रकार संघ के प्रदेश अध्यक्ष के नाते उनसे जयपुर के गवर्मेंट होस्टल कार्यालय में मुलाकात होती थी। खास बात यह कि कभी भी नहीं लगा कि इतना बड़ा पत्रकार इतनी सहजता से उपलब्ध है। बाद में जब साथियों से चर्चा करता था तो वे भी आश्चर्य करते कि ईशमधु जी मिलकर आए हो। खबरों की दुनिया के एक जमाने में *बेताज बादशाह* रहे तलवार साब से बहुत कुछ सीखने को मिला। खैर अब तो याद ही शेष है। लेकिन उनसे सीखी हुई बातें, उनसे मिली *नसीहतें* आज भी पत्रकारिता मिशन में *मील के पत्थर* जैसे है। शरीर से भले ही हमसे बिछड़ गए। *दिलों में हमेशा जिंदा रहेंगे*।
*जाने वाले कभी नहीं आते,
जाने वालों की याद आती है*

*सुशील चौहान*
*98293 -03218*
– *स्वतंत्र पत्रकार*
– *पूर्व उप सम्पादक, राजस्थान पत्रिका भीलवाड़ा*
– *वरिष्ठ उपाध्यक्ष, प्रेस क्लब,भीलवाड़ा*
*[email protected]*

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