कर्तव्यनिष्ठता सत्यता और सादगी की प्रतिमूर्ति जननायक शास्त्री जी के जीवन के अद्भुत मर्मस्पर्शी प्रेरणादायक संस्मरण Part 3

लाल बहादुर शास्त्री के जीवन के संस्मरण

बचपन में ही नन्हें लाल बहादुर ने तय कर लिया कि वो कोई ऐसा काम नहीं करेंगे जिससे दूसरों को नुकसान नहीं हो

j k garg
छः साल का एक नाटे कद का मासूम लड़का अपने दोस्तों के साथ एक बगीचे में फूल तोड़ने के लिए घुस गया,उसके दोस्तों ने बहुत सारे फूल तोड़कर अपनी अपनी झोलियाँ भर लिये वहीं लालबहादुर जो वह लड़का जो सबसे छोटा और कमज़ोर था सबसे पिछे रह गया और ज्योंहि उसने फूल तोडना चालू किया उसी वक्त बगीचे का माली आ पहुँचा। माली को देख कर दूसरे लड़के भाग गये किन्तु छोटा और नाटा बालक माली के हत्थे चढ़ गया।माली ने सारा गुस्सा छः साल के बालक पर निकाला और उसे बुरी तरह पीट दिया।नन्हे बच्चे ने माली से कहा “आप मुझे इसलिए पीट रहे हैं क्योकि मेरे पिता नहीं हैं!” यह सुनकर माली का क्रोध जाता रहा। वह बोला – “बेटे, पिताके न होने पर तो तुम्हारी जिम्मेदारी और अधिक हो जाती है।” माली की मार खाने पर तो उस बच्चे ने एक आंसू भी नहीं बहाया था लेकिन यह सुनकर बच्चा बिलखकर रो पड़ा। यह बात उसके दिल में घर कर गई और उसने इसे जीवन भर नहीं भुलाया।उसी दिन से बच्चे ने अपने ह्रदय में यह निश्चय कर लिया कि वह कभी भी ऐसा कोई काम नहीं करेगा जिससे किसी का कोई नुकसान हो। बड़ा होने पर वही बालक भारत के स्वतंत्रता प्राप्ति के आन्दोलन में कूद पड़ा। एक दिन इसी मासूम बालक ने लालबहादुरशास्त्री के नाम से देश के प्रधानमंत्री पद को सुशोभित किया।

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