आओ ज्योतिष सीखे

संगीता पुरी
क्‍या आप जानते हैं कि हमारे जीवन में सबसे अधिक अनिश्चित क्‍या है ?
सबसे अनिश्चित है हमारा आपका सबका भविष्‍य .. एक क्षण बाद क्‍या होगा ?
किसी को पता नहीं
अमावस्‍या की रात की तरह बिल्‍कुल अंधेरा
सन्‍नाटा और भयावह
बहुत कुछ अनिश्चित था कल तक
पर आज काफी कुछ साफ साफ सा दिखता है
क्‍या हमारा भविष्‍य दृश्‍य नहीं हो सकता ?
पूर्णता मनुष्‍य के भाग्‍य में नहीं
पर आप सबों को जानकारी हो न हो .. अब भविष्‍य का काफी कुछ संकेत मिल रहा है .. भविष्‍य को जानने समझने का रहस्‍य आसमान में छुपा है
अब भविष्‍य अमावस्‍या की रात की तरह अंधेरा सन्‍नाटा भयावह नहीं पूर्णिमा की रात की तरह रोशनी से भरा संकेत देता सुखद है
मनुष्‍य का मस्तिष्‍क ही उसे अन्‍य जीव जंतुओं से अलग करता है
इसी के कारण मनुष्‍य निरंतर चिंतन करते हुए अपनी जीवनशैली में क्रमिक विकास करता जा रहा है। पर कुछ खुद के लिए , कुछ परिवार के लिए , कुछ इससे बढकर समाज और राष्‍ट्र के लिए ही चिंतन कर पाते हैं, विरलों का चितन ही संपूर्ण विश्‍व में मौजूद जड चेतन के लिए होता है , ऐसे मनुष्‍यों के हिस्‍से प्रकृति के कुछ रहस्‍य खुलकर सामने आते हैं , जिनकी जानकारी के बाद पूरे जगत के कल्‍याण के लिए कोई कार्यक्रम बनाया जा सके , योजना बनायी जा सके
ये हैं श्री विद्या सागर महथा जी
इन्‍होने खगोल शास्‍त्र के सिद्धांतों को समझने के बाद उसपर आधारित ज्‍योतिष शास्‍त्र के क्षेत्र में अपना कदम ऐसे वक्‍त पर रखा , जब सफल लोगों द्वारा इसे पूर्ण तौर पर अवैज्ञानिक समझा जाने लगा था और असफल लोग समाज से छुप छुपकर ज्‍योतिषियों से मिलने लगे थे। प्रकृति के नियमों पर विश्‍वास करना आनेवाली पीढी के लिए आवश्‍यक है , इसलिए ज्‍योतिष को वैज्ञानिक स्‍वरूप में स्‍थापित करने हेतु इन्‍होने जीवनभर ग्रहों के प्रभाव का गंभीर अध्‍ययन किया , इनके सम्‍मुख प्रकृति का जो रहस्‍य खुलकर आया , उससे खगोल शास्‍त्र में एक नया अध्‍याय जोडा जा सकता है
इस नए अध्‍याय में खगोलीय पिंडों की गति और स्थिति का समस्‍त जड चेतन पर पडने वाले प्रभाव को दर्शाया जा सकता है
हमारी पृथ्‍वी सौरमंडल की सदस्‍य है , इसलिए एकमात्र सूर्य और इसकी परिक्रमा करने वाले सभी ग्रहों और अपने उपग्रह चंद्रमा से हम प्रभावित होते हैं
इसे देखकर ही हमारे ऋषि मुनियों ने ज्‍योतिष का विकास किया था , पर वैदिक कालीन ज्‍योतिष के सूत्र इतने जटिल हैं कि ज्‍योतिषी आम जन के समक्ष इसकी वैज्ञानिकता को प्रमाणित नहीं कर पाते हैं, इसे आम जन के लिए उपयोगी और लोकप्रिय नहीं बनाया जा सकता है
आप सबों को बताते हुए खुशी हो रही है कि श्री महथा जी के द्वारा किए गए खोज के बाद आम जीवन पर ग्रहों के प्रभाव को प्रमाणित किया जा सकता है, इसे आम जन के लिए उपयोगी बनाया जा सकता है .
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