हाथ में बने वलय देते हैं शुभ-अशुभ के संकेत

राजेन्द्र गुप्ता
हस्तरेखा विज्ञान में हथेली की रेखाओं के अलावा हाथ में पाए जाने वाले प्रत्येक प्रकार के चिन्ह जैसे नक्षत्र, द्वीप, वर्ग, आयत, वृत्त, क्रॉस आदि का अध्ययन करके भविष्य कथन किया जाता है, लेकिन इनमें एक और महत्वपूर्ण चिन्ह है जिसे अनदेखा नहीं किया जा सकता। वह है वलय। वलय के अध्ययन के बिना फल कथन अधूरा रहता है।

वलय दरअसल हाथ की तीन अंगुलियों तर्जनी, मध्यमा और अनामिका के नीचे स्थित उनसे संबंधित पर्वतों को अर्धवृत्ताकार आकार में घेरने वाली रेखा होती है। यह रेखा प्रत्येक पर्वत को अर्धचंद्राकार आकार में पूरी तरह घेर लेती है। वलय बनाने वाली रेखा की स्थिति, मोटाई के अलावा वृत्त के भीतर मौजूद चिन्हों का बारीकी से अध्ययन करना अत्यंत आवश्यक है। ये हमें भाग्योदय, उन्नति, तरक्की, बीमारी, बुरी आदतें, शत्रु, धन आदि के विषय में जानकारी देते हैं।

बृहस्पति या गुरु वलय
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तर्जनी अंगुली के नीचे स्थित गुरु पर्वत को अर्धचंद्राकार आकार में घेरने वाली रेखा गुरु वलय कहलाती है। इसका एक सिरा हथेली के बाहर की ओर जाता है तथा दूसरा सिरा तर्जनी और मध्यमा अंगुली के बीच जाता है। यह वलय गुरु और शनि पर्वत को एक-दूसरे से अलग करता है। गुरु वलय बहुत कम हाथों में देखने को मिलता है। जिस व्यक्ति के हाथ में गुरु वलय होता है वह जीवन में गंभीर तथा परोपकारी होता है। एजुकेशन के क्षेत्र में ऐसा व्यक्ति उच्च शिखर तक पहुंचता है। गुरु वलय जिन हाथों में होता है ऐसे व्यक्ति व्यर्थ की शानो-शौकत का प्रदर्शन करते हैं। आडंबर इन्हें पसंद होता है। ये अपने चारों ओर माहौल बनाकर रखते हैं, जिससे व्यक्ति न चाहते हुए भी इनके प्रभाव में आ जाता है। ये व्यक्ति जीवन में कम मेहनत में अधिक लाभ उठाने की कोशिश में रहते हैं, लेकिन तब इन्हें निराशा हाथ लगती है जब ज्यादा काम सफल नहीं होते।

शनि वलय
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मध्यमा अंगुली के नीचे स्थित शनि पर्वत को अर्धवृत्ताकार आकार में घेरने वाली रेखा शनि वलय कहलाती है। इस वलय का एक सिरा तर्जनी और मध्यमा के बीच से निकलकर मध्यमा और अनामिका के बीच में जाता है और यह शनि पर्वत को पूरा घेर लेती है। शनि वलय अधिकांश संन्यासी, साधु-संतों के हाथों में पाया जाता है। सामाजिक दृष्टि से देखा जाए तो शनि वलय शुभ नहीं है क्योंकि यह गृहस्थ जीवन से विच्छेद का संकेत है। यदि व्यक्ति संन्यासी न भी हो तो भी वह एकांत प्रिय और अपने परिवार व समाज से कटा हुआ रहना पसंद करता है। शनि वलय जिनके हाथ में होता है वे व्यक्ति तंत्र-मंत्र साधना के क्षेत्र में विशेष सफलता हासिल करते हैं। यदि शनि वलय को भाग्य रेखा स्पर्श नहीं करती तो ऐस व्यक्ति अपने उद्देश्यों को हासिल करने में सफल होता है, लेकिन यदि भाग्य रेखा शनि वलय को छू जाए तो फिर व्यक्ति गृहस्थ बनकर रहता है। शनि वलय के भीतर यदि क्रॉस का चिन्ह हो तो व्यक्ति अपराधी प्रवृत्ति का होता है। वह न केवल दूसरों को हानि पहुंचा सकता है बल्कि कुंठाओं में घिरकर स्वयं भी आत्महत्या जैसा कदम उठा सकता है।

सूर्य वलय
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यदि कोई रेखा मध्यमा और अनामिका बीच से निकलकर अनामिका और कनिष्ठिका के बीच में अर्धचंद्राकार आकार में जाए तो वह सूर्य वलय का निर्माण करनी है। जिस व्यक्ति के हाथ में सूर्य वलय होता है उसका जीवन अत्यंत साधारण स्तर का होता है और उसे जीवन में कई बार असफलताओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे व्यक्ति को प्रत्येक कार्य में जरूरत से ज्यादा परिश्रम करना पड़ता है, उसके बावजूद सफलता थोड़ी दूर रह जाती है। पारिवारिक और सामाजिक स्थिति में ऐसे व्यक्तिओं को मान-सम्मान कम ही मिल पाता है। यहां तक कि जिन व्यक्तियों का सहयोग करता है, उनसे भी उसे अपयश ही मिलता है। हालांकि ऐसे व्यक्ति का चरित्र स्वच्छ होता है, लेकिन लोग उसे कलंकित करने का प्रास करते हैं। लंबे समय तक ऐसी स्थिति चलने पर व्यक्ति निराशा से भर जाता है।

शुक्र वलय
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हथेली में शुक्र वलय का निर्माण तब होता है जब कोई रेखा शनि और सूर्य पर्वत दोनों को एक साथ घेर ले। तर्जनी और मध्यमा के बीच से कोई रेखा अर्धचंद्राकार होती हुई अनामिका और कनिष्ठिका के मध्य तक जाए तो शुक्र वलय का निर्माण होता है। जिनके हाथ में शुक्र वलय होता है वे कमजोर, असहाय होते हैं। ऐसे व्यक्तियों को मानसिक चिंताएं बनी रहती हैं।

अनामिका और कनिष्ठिका के मध्य
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हथेली में शुक्र वलय का निर्माण तब होता है जब कोई रेखा शनि और सूर्य पर्वत दोनों को एक साथ घेर ले। तर्जनी और मध्यमा के बीच से कोई रेखा अर्धचंद्राकार होती हुई अनामिका और कनिष्ठिका के मध्य तक जाए तो शुक्र वलय का निर्माण होता है। जिनके हाथ में शुक्र वलय होता है वे कमजोर, असहाय होते हैं। ऐसे व्यक्तियों को मानसिक चिंताएं बनी रहती हैं।

राजेन्द्र गुप्ता,
ज्योतिषी और हस्तरेखाविद
मो. 9611312076
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