आज़ादी पश्चात भारत के जो प्रथम राष्ट्रपति बनें,
गांधी जी के बेहद करीबी और सहयोगी भी रहें।
भारत छोड़ो आंदोलन के समय जो जेल भी गए,
एक मात्र ऐसे व्यक्ति जो दो बार इसी पद पे रहें।।
जो ३ दिसम्बर १८८४ को जन्में जीरादेई गांव में,
था डुमरांव से काफी लगाव है सीवान-बिहार में।
स्वतन्त्रता आन्दोलन के समय वहां कई बार गये,
शिक्षक बनकर पढ़ाएं थें बच्चों को हाईस्कूल में।।
कानूनी पढ़ाई के संग राष्ट्रीय कांग्रेस जोईन किए,
अपनी वाणी से हमेशा अमृतरस यें बरसाते गए।
पिता महादेव सहाय व माता कमलेश्वरी देवी था,
फारसी और संस्कृत भाषा का पिता विद्वान हुए।।
सर्वोच्च पद पे रहते हुऐ भी सादा जीवन ये जिए,
सरल स्वभाव विचारों से महान व्यक्ति कहलाए।
डाॅक्टर राजेंद्र प्रसाद था उस शख्सियत का नाम,
संविधान सभा का नेतृत्व उस समय आप किए।।
देशरत्न भी कहता है आज जिनको ये हिंदुस्तान,
कई पुस्तकें लिखी इन्होंने ऐसे थें वो बाबू महान।
बापू के क़दमों में बाबू एवं सत्याग्रह ऐट चंपारण,
गांधीजी की देन जैसी पुस्तकें पढ़ता यह जहान।।
रचनाकार ✍️
गणपत लाल उदय, अजमेर राजस्थान
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