लोहड़ी का त्यौहार

पंजाब प्रान्त के ख़ास त्यौंहार में इसे माना जाता,
पौष माह के अंतिम दिन जिसको मनाया जाता।
लोहड़ी है इस पावन और पवित्र त्यौंहार का नाम,
चाहें कोई कही भी रहो परन्तु उत्सव वो मनाता।

भारत वर्ष की शान है ये विभिन्न तरह के त्यौंहार,
कोई किस की याद में और कोई प्रकृति उपहार‌।
मुख्यत: सारे परिवार के साथ मनातें यह त्यौंहार,
नाच-गान एवं खुशियां मनाकर लेते संग आहार।

कई राज्यों में रहता है ऐसे त्यौहारों पर अवकाश,
बनातें मक्के की रोटी एवम सरसों का यह साग।
अलाव जलाकर खाते यह रेवड़ी, मुंगफली साथ,
पुराणों के आधार पर करते याद सती का त्याग।

कृषकों के लिए भी यह पर्व खुशियां लेकर लाता,
जो प्रतिवर्ष जनवरी में १३ तारीख को ही आता।
शादी-शुदा बेटी को इस रोज़ तोहफा दिया जाता,
भोजन पर आमंत्रित कर जिसे मान दिया जाता।

लोहड़ी का यह पर्व लोई नाम से भी जाना जाता,
जो महान संत कबीर दास जी की धर्म पत्नी था।
सारे देश में इन दिनों पतंगों का ताता लगा रहता,
अलग-अलग परंपराओं संग आंनद लिया जाता।

सैनिक की कलम
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