*डीजल-पेट्रोल पर घट गया वैट*

जनता की उम्मीदों को पूरा किया सरकार ने
-विपक्ष इसे ’’ऊंट के मुंह में जीरा’’ बताएगा

✍️प्रेम आनन्दकर, अजमेर।
👉राजस्थान की भाजपा सरकार ने प्रदेश में डीजल-पेट्रोल पर वैट 2 प्रतिशत कम कर दिया है। यह निर्णय 14 मार्च की शाम हुई कैबिनेट की बैठक में किया गया और इसकी घोषणा खुद मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए की। वैसे प्रदेश में जब से भाजपा सत्ता में आई है, तब से ही नागरिकों को डीजल-पेट्रोल पर वैट कम किए जाने की उम्मीद थी। लोग यह उम्मीद पाले बैठे थे कि जैसे ही भाजपा सत्ता में आएगी, सबसे पहला काम डीजल-पेट्रोल पर वैट घटाने का करेगी। कोई बात नहीं, आखिर सरकार ने निर्णय कर जनता को राहत दे दी है। अब विपक्ष शायद यह राग अलापेगा कि मात्र दो प्रतिशत वैट कम करने का निर्णय ’’ऊंट के मुंह में जीरे’’ के समान है, लेकिन शुरूआती दौर में इतनी राहत देना भी कोई कम नहीं है।

प्रेम आनंदकर
सरकार के निर्णय के अनुसार, अब प्रदेश में पेट्रोल 1.40 रूपए से लेकर 5.30 रूपए तक और डीजल 1.34 रूपए से लेकर 4.85 रूपए तक सस्ता हो जाएगा। सरकार का यह निर्णय 15 मार्च की सुबह से ही लागू हो गया। वैसे डीजल-पेट्रोल पर वैट कम करने की मांग पिछले काफी समय से की जा रही थी। जनता और पेट्रोल पम्प संचालकों ने पिछले साल विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेशभर में आंदोलन किया था और पेट्रोल पम्प बंद रखे थे, जिससे जनता को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा था। लेकिन तब तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने एक नहीं सुनी। अभी चूंकि भाजपा सरकार को वैट घटाने का निर्णय करने में देरी हुई, तो पिछले दिनों पेट्रोल संचालकों ने 48 घंटे की हड़ताल पर जाने और पेट्रोल पम्प बंद रखने का निर्णय किया था, लेकिन राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड और अन्य परीक्षाओं को देखते हुए इस निर्णय को टाल दिया था। हालांकि पेट्रोल संचालकों को भी उम्मीद थी कि भाजपा सरकार जल्द निर्णय करेगी, लेकिन इसमें देरी होने के कारण चिंतित थे। यदि सूत्रों की मानें, तो अभी तक राजस्थान में सबसे ज्यादा महंगा डीजल-पेट्रोल मिल रहा था। यही कारण है कि राजस्थान के सटे राज्यों से कुछ दूर पहले यानी प्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले लोग पड़ौसी राज्यों में जाकर डीजल-पेट्रोल भरवाते थे। राजस्थान में डीजल-पेट्रोल पर वैट कम होने से महंगाई में भी कुछ राहत मिलने की उम्मीद बनेगी, क्योंकि यदि डीजल-पेट्रोल महंगा होता है, तो ट्रांसपोर्टेशन का भाड़ा बढ़ जाता है, जिसका सीधा असर बाजार में वस्तुओं की कीमतों पर पड़ता है। अब कहने वाले तो यह भी कहेंगे कि प्रदेश की भाजपा सरकार ने यह निर्णय लोकसभा चुनाव को देखते हुए किया है। यदि भाजपा सरकार चाहती, तो सत्ता में आते ही सबसे पहले डीजल-पेट्रोल पर वैट कम करने का निर्णय करती। अब चूंकि लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लागू होने वाली है, इसलिए सरकार ने उससे पहले मतदाताओं को लुभाने के लिए तुरंत यह कदम उठाया है। चाहे जो भी हो, फिलहाल प्रदेश की जनता को राहत तो मिल ही गई है।

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