*कार्यकर्ताओं को बहला गए शाह*
*■ओम माथुर ■*
गृहमंत्री और भाजपा के चाणक्य माने जाने वाले अमित शाह की इस बात से कौन सहमत होगा कि जो लोग डर -भागकर भाजपा में आ रहे हैं,उन्हें कुछ नहीं मिलेगा। वह भाजपा नेताओं की जगह नहीं ले सकते। लेकिन पहले विधानसभा चुनाव और अब लोकसभा चुनावों में राजस्थान में जिस तरह कांग्रेस से पाला बदलकर आए नेताओं को रातोंरात भाजपा ने टिकट दिया,उससे साफ है कि अमित शाह चुनाव में सिर्फ कार्यकर्ताओं को बहलाने और उन्हें सांत्वना देने के लिए के ये कह रहे थे। राजस्थान ही क्यों,पिछले साल हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने कांग्रेस एवं अन्य दलों से आने वाले नेताओं को टिकट दिए और अपने नेताओं की अपेक्षा की। अब लोकसभा चुनाव में भी यही खेल चल रहा है। ऐसे में जाहिर है भाजपा के मूल कार्यकर्ता और पार्टी के लिए पसीना बहाने वाले नेता हताश और असमंजस में है।
आखिर भाजपा के पास ऐसी कौन सी मशीन है,जिससे वो ये आकलन कर लेती है कि कौन नेता डर-भागकर भाजपा में शामिल हो रहा है और कौन भाजपा की विचारधारा के कारण सदस्यता ले रहा है? जाहिर है ये सिर्फ कहने की बातें हैं। राजनीति में मूल्य, सिद्धांत और विचारधारा बहुत पहले ही दम तोड़ चुके हैं। अब इसमें सिर्फ सत्ता और उससे जुड़े फायदे उठाना ही मकसद है। राजस्थान और देश में कांग्रेस के निरंतर गिरते ग्राफ के कारण कांग्रेस नेताओं को अपना भविष्य अंधकार में लग रहा है। इसलिए वह मौका ताड़कर वो भाजपा में शामिल हो रहे हैं। उन्हें पता है कि अब राजस्थान में 5 साल तक भाजपा की सरकार है और लगभग ये तय माना जा रहा है कि केंद्र में भी भाजपा के नेतृत्व में एनडीए की सरकार ही बननी है। ऐसे में विपक्ष में रहकर सड़कों पर संघर्ष करने से बढ़िया सत्तारूढ़ पार्टी का दामन थामना है। लेकिन कैडर बेस और मजबूत संगठन वाली पार्टी में इतनी आसानी से कांग्रेसियों की एंट्री भाजपा कार्यकर्ताओं को निराशा कर रही है। देशभर में कांग्रेस के इतने छोटे-बड़े नेता भाजपा में शामिल हो चुके हैं कि लोग अब इसे कांग्रेसयुक्त भाजपा कहने लगे हैं। जबकि भाजपा हमेशा कांग्रेसमुक्त भारत की बात करती रही है। लेकिन अब मुक्त और युक्त का अंतर ही मानो मिट गया है। *9351415379*