ये तेरा हरामे हलाल है

तेरे सोच और मेरे सोच में इतना फर्क क्यों है?
मेरा देश स्वर्ग और तेरा देश आज नर्क क्यों है?
मती मारी गयी जबसे तू खाने लगा है दान की।
नही भाती आज कल रोटी भी तुझे इमान की।
रास्ता भटक गया तूने खुदाये इबादत छोड़दी,
इबादत करने लगा है आज कल तू शेतान की।
इबादत करता खुदा की खुदाई रोक लेती तुझे,
और तू शहीदे माटी पर करता नही ऐसा प्रहार।
माटी पर नही खुदाये खुदाई पर है तेरा ये वार।
शहीदे माटी पर किया, ये तेरा हरामे हलाल है,
माँ के मातम में तेरी करतूत का ही मलाल है।
जान है जवानो में तब लड़े तेरी क्या मजाल है
हम तो जनाजे दुश्मनों को भी सजदा करते है,
क्योंकी हम खुदा और भगवान दोनों से डरते है।
और तुझे गलतफेमि होगई हम डरते है तेरे से।
कितनी बार आमना सामना हुआ तेरा मेरे से।
हर बार मिली पटकनी हर बार मुह की खाई है।
चोटे खाकर आजतक समझ क्यों नही आई है।
में जीतकर भी अपने आप को रोकता हू क्यों?
सोचता हू यह भी तो पुराना पड़ोसी मेरा भाई है।
एक तू की पटकता जारहा लम्बी लम्बी खाई है।
तेरे सोच और मेरे सोच में इतना फर्क क्यों है?
मेरा देश स्वर्ग और तेरा देश आज नर्क क्यों है?

महेन्द्र सिंह

 

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