बंधुत्व, करुणा और समानता का संदेश देती गुरु नानक देव जी की ‘‘उदासियां”

5 नवम्बर गुरु नानक देव जी की जयंती पर विशेष

बाबूलाल नागा

  गुरु नानक देव जी ने अपने जीवनकाल में कई यात्राएं कीं, जिन्हें ‘‘उदासियां‘‘ कहा जाता है। इन यात्राओं के दौरान उन्होंने विभिन्न स्थानों पर जाकर लोगों को ज्ञान और अध्यात्म की शिक्षा दी। उनकी उदासियों का उद्देश्य लोगों को सच्चे मार्ग पर चलने और एकेश्वरवाद की भावना को बढ़ावा देने के लिए था।

   गुरु नानक देव जी की उदासियों के दौरान उन्होंने विभिन्न तीर्थ स्थलों, शहरों और गांवों का भ्रमण किया और लोगों से संवाद किया। उन्होंने अपने उपदेशों के माध्यम से समाज में व्याप्त कुरीतियों और अंधविश्वासों को दूर करने का प्रयास किया। उनकी उदासियों ने न केवल पंजाब बल्कि पूरे भारत और अन्य देशों में भी गहरी छाप छोड़ी। गुरु नानक देव जी की शिक्षाएं आज भी लोगों को प्रेरित करती हैं और उनके जीवन के आदर्शों को अपनाने के लिए प्रेरित करती हैं।

   गुरु नानक देव जी की उदासी या आध्यात्मिक यात्राएं, सिख इतिहास की आधारशिला हैं, जो सार्वभौमिक प्रेम, समानता और एक ईश्वर के प्रति समर्पण के संदेश को फैलाने के उनके मिशन को दर्शाती हैं। 1500 और 1524 के बीच की गई इन व्यापक यात्राओं ने एशिया के विशाल क्षेत्रों को कवर किया, जिसने उस समय के आध्यात्मिक और सामाजिक ताने-बाने को गहराई से प्रभावित किया।

  गुरु नानक देव जी की ‘‘उदासियां‘‘  अपने उद्देश्य और क्रियांवयन में क्रांतिकारी थीं। सामान्य तीर्थयात्राओं के विपरीत, जिनमें व्यक्तिगत मोक्ष के लिए पवित्र स्थलों की यात्रा शामिल होती है, गुरु नानक की ‘‘उदासियां‘‘ सामाजिक मान्यताओं और प्रथाओं को बदलने के लिए थीं। उन्होंने इन यात्राओं का उपयोग सभी वर्गों के लोगों से जुड़ने के लिए किया, जाति, पंथ और धार्मिक रूढ़िवादिता की बाधाओं को तोड़ते हुए। अपने कार्यों और शिक्षाओं के माध्यम से, गुरु नानक ने यह प्रदर्शित किया कि आध्यात्मिकता सार्वभौमिक है, जो कर्मकांडों या भौगोलिक सीमाओं से बंधी नहीं है।

   इन यात्राओं के माध्यम से, गुरु नानक ने निःस्वार्थ सेवा और मानवता के उत्थान के लिए गहरी प्रतिबद्धता का जीवंत उदाहरण प्रस्तुत किया। उनकी ‘‘उदासियां‘‘ सिख दर्शन की आधारशिला हैं, जो ईश्वर की एकता और सभी प्राणियों की समानता पर बल देती हैं।

 गुरु नानक देव जी की ‘‘उदासियां‘‘  उस समय की सामाजिक और आध्यात्मिक चुनौतियों का समाधान करने की उनकी हार्दिक इच्छा से प्रेरित थीं। व्यापक सामाजिक असमानता, धार्मिक विभाजन और दमनकारी रीति-रिवाजों से भरे दौर में रहते हुए, गुरु नानक ने देखा कि कैसे ये प्रथाएं अपार दुख का कारण बनती हैं और आध्यात्मिक विकास में बाधा डालती हैं।

  भारतीय समाज में गहराई से जड़ें जमा चुकी जाति व्यवस्था ने व्यक्तियों को जन्म के आधार पर कठोर पदानुक्रम में धकेल दिया। इस भेदभावपूर्ण प्रथा ने आबादी के एक बड़े हिस्से को हाशिए पर धकेल दिया और उन्हें बुनियादी अधिकारों और सम्मान से वंचित कर दिया। गुरु नानक ने इन विभाजनों की निंदा की और सृष्टिकर्ता की दृष्टि में सभी मनुष्यों की समानता पर बल दिया। उनकी ‘‘उदासियां‘‘ ऐसी अन्यायपूर्ण प्रथाओं को चुनौती देने और उन्हें समाप्त करने का एक प्रयास थीं।

   धार्मिक रूढ़िवादिता और अंधविश्वासों के कारण आध्यात्मिक समझ में गिरावट आई है। लोग अक्सर उनके वास्तविक महत्व को समझे बिना ही, कर्मकांडों का अंधानुकरण करते रहते हैं। गुरु नानक ने देखा कि हिंदू और मुसलमान दोनों ही आस्था के बाहरी प्रदर्शन में फंस गए हैं और भक्ति के आंतरिक सार को नजरअंदाज कर रहे हैं। उन्होंने ध्यान को खोखले कर्मकांडों से हटाकर ईश्वर के साथ वास्तविक आध्यात्मिक संबंध की ओर मोड़ने के लिए अपनी उदासी का मार्ग अपनाया।

   गुरु नानक का दृष्टिकोण किसी एक समुदाय या धर्म से परे था। उन्होंने सार्वभौमिक प्रेम और सत्य के ध्वज तले मानवता को एकजुट करने का प्रयास किया। एक अखंड, निराकार ईश्वर, ‘‘इक ओंकार‘‘ के प्रति समर्पण का उनका संदेश विविध सांस्कृतिक और धार्मिक पृष्ठभूमि के लोगों के साथ प्रतिध्वनित हुआ। गुरु नानक की ‘‘उदासियां‘‘ उनके इस विश्वास का उदाहरण हैं कि यदि ईमानदारी और भक्ति के साथ प्रयास किया जाए तो सभी मार्ग एक ही ईश्वर तक पहुंच सकते हैं।

   किसी निश्चित स्थान से उपदेश देने के बजाय, गुरु नानक ने लोगों से वहीं मिलना पसंद किया जहां वे भौतिक और आध्यात्मिक दोनों रूप से मौजूद थे। उन्होंने व्यक्तियों और समुदायों के साथ संवाद किया और उनकी विशिष्ट आवश्यकताओं और चिंताओं के अनुसार अपने संदेश को ढाला। विभिन्न क्षेत्रों और संस्कृतियों में उनकी यात्राओं ने सामाजिक परिवर्तन के उत्प्रेरक के रूप में व्यक्तिगत परिवर्तन के महत्व पर जोर दिया।

   गुरु नानक देव जी की ‘‘उदासियां‘‘ सिर्फ यात्राएं नहीं थीं, वे एक अधिक करुणामय, समतापूर्ण और आध्यात्मिक रूप से समृद्ध विश्व के लिए कार्य करने का आह्वान थीं। उनकी प्रेरणाएं शाश्वत हैं, और अनगिनत लोगों को सत्य की खोज और मानवता की सेवा के लिए प्रेरित करती हैं। (लेखक भारत अपडेट के संपादक हैं) (संपर्कः वार्ड नंबर 1, जोबनेर, जिला-जयपुर (राज) मोबाइल-9829165513

Leave a Comment

This site is protected by reCAPTCHA and the Google Privacy Policy and Terms of Service apply.

error: Content is protected !!