सत्ता जहर है तो काहे को पी रहे हैं

जयपुर शहर में आम इंसानों को तकलीफें दे कर, सड़कों पर जाम लगा कर, लाखों करोड़ों रुपये खर्च करके कांग्रेस चिन्तन शिविर का आयोजन किया गया। उस चिंतन शिविर में किस-किस को फायदा हुआ, सोचने की बात है।
सवाल है कि क्या शिविर में सर्वाधिक चिंतनीय विषया भ्रष्टाचार को कम करने की बात की गयी?
क्या आम आदमी की कमर तोड़ रही महंगाई को कम करने की बात की गयी?
क्या आम जनता की परेशानियों, तकलीफों के बारे में विचार-विमर्श किया गया?
क्या महिलाओं की सुरक्षा की कोई बात की गई या कोई नियम बनाये गए?
देश का काला धन, जो विदेशी बैंकों में है, उसे कैसे वापिस लाया जाये, इस पर विचार किया गया?
देश को और कैसे तरक्की की ओर ले जाया जाए, इस बात पर विचार विमर्श किया गया?
बहुत ही दु:ख के साथ कहना पड़ रहा है कि यह सब कुछ नहीं हुआ, जो कि वर्तमान में देश की सबसे बड़ी जरूरत थी। इसके विपरीत चिंतन हुआ मात्र इस पर कि कैसे राहुल गांधी को बड़ी जिम्मेदारी दी जाए और दी भी गई, जबकि सच ये है वे पहले भी नंबर दो पर थे। यानि कांग्रेस ने पूरे तीन फालतू ही कवायद की। मेरे हिसाब से यदि इस चिंतन शिविर में महगाई को कम करने की, भ्रष्टाचार को हटाने की, काला धन विदेशी बैंकों से वापस लाने की, आम जनता को राहत पहुंचाने की बात की जाती तो बेहतर होता।
इस चिंतन शिविर से एक बड़ा सवाल भी खड़ा हुआ, वो यह कि सोनिया गांधी सत्ता जहर मानती हैं? राहुल को अपना उत्तराधिकार सौंपते हुए रो भी पड़ती हैं। यदि ये जहर है तो काहे को पी रहे हैं, छोड़ दीजिए सत्ता को, काहे को कुर्सी से चिपके हुए बैठे हैं। और वाकई सत्ता जहर है तो आप तो आज तक मरे नहीं, उलटे आपके सत्ता में होने से जनता मर रही है। तभी तो बुजुर्गों ने सही कहा है कि सांप कभी अपने जहर से नहीं मरता, वो तो लोगों को डस कर मारता है। कांग्रेस ने इसे प्रमाणित भी कर दिया कि उसके मन-मस्तिष्क में जहर ही भरा हुआ है, इस कारण आखिरी दिन केन्द्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने जहर उगल दिया। भाजपा व संघ पर आतंकवादी तैयार करने के उनके बयान से देश में विद्वेष ही फैला है। एक गृह मंत्री यह हरकत बेहद शर्मनाक है।
-वनिता जैमन
अजमेर शहर जिला मंत्री, भाजपा

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