नेताजी बीमार हैं

राबिहारी गौड

नेताजी बीमार हैं, उन्हें क्या बीमारी है, ये किसी को नही  पता है……

बीमार का इलाज अदालत मे हैं या  अस्पताल मे, इस मसले पर दोनों
आमने – सामने है | फिलहाल नेताजी  बीमार हैं | उन्हें क्या बीमारी है, ये किसी को नही  पता
ये वो ही नेताजी हैं | जिन के पास कभी हर बीमारी का इलाज हुआ  करता
था  और हर इलाज इन्हें बीमारी समझा करता था | वे अपनी बीमारी का इलाज
करवाने अस्पताल जाया करते थे | बस वही एक नर्स के चक्कर  मे  बीमारी का
एसा दोरा पड़ा की सरकार तक का ब्लड प्रशेर बढ गया था | कुर्सी हिलने लगी थी |
क्यों ना हो …….क्यों कि दोष भी उसी सरकार का था |
जिस के वो मंत्री हुआ  करते थे | उन योजनाओं का था | जिनकी कोख  से
बीमारियां  निकलती है , बीमार निकलते हैं |  ऐसी  ही एक योजना के तहत
दवाएं  फ्री थी | नेताजी ने भोले मन से सोचा जब दवाएं  फ्री  है ,  तो
हो सकता है नर्से भी फ्री होंगी  |… बस नर्स को फ्री समझने के चक्कर मे वे
पहले अपनी हद से फ्री हुए , फिर पद से , उस के बाद सब कुछ फ्री स्टाइल मे| अस्पताल से अदालत , अदालत से अस्पताल,.. के भंवर मे ऐसे फसे की खुद भंवरी
हो गये  | लोग आज भी उन्हें भंवरी वाले नेता के रूप मे पूजते  है  |
बेचारे नेताजी शतरंज से लेकर सांप सीडी तक के सारे खेल
राजनीति  मे अपना चुके थे  |  पहली बार एक सीडी जो पता नही केसे सांप
बन गयी , और शतरंज की बिसात पे उन्हें मात दे गयी |  शुरू -शुरू
में नेताजी  ने सीडी के प्रचार  – प्रसार  को अपनी पार्टी का प्रचार –
प्रसार समझा, बाद मे पता चला की ये पार्टी का प्रचार है और नेताजी का प्रसार .. |
उन्हें पसरने  की बीमारी है | वे बीमारी का इलाज अस्पताल  मे करवाना
चाहते है |  पर अदालत का मानना है कि अस्पताल में  नए सीरे से नर्स देखकर
पसर गये तो बीमारी बढ सकती है  | बकोल ग़ालिब मर्ज बढता गया ! ज्यो – ज्यो
दवा की|
नेताजी का तर्क है  कि  इस बार सरकारी नही प्राइवेट  अस्पताल
में  इलाज  ले रहे है  | वहां ना नर्स फ्री है , ना दवा ,सब कुछ पेड है  | इसलिए बीमार से वैसा खतरा
नही है  | सारा पेमेंट  पहले होता है  | ब्लैकमेल  कि कोई गुंजाईश नही
बनती है  | वहा नर्स नहीं , पर्स फ्री होता है  |
अस्पताल अपने अंदाज मे कह रहा है !…..हमारा क!म बीमार को
बचाना है,बीमारी को नहीं, बीमार से लेना देना है | यानि बीमार दे रहा है ,
हम ले रहे है |  इस लेन – देन से बीमार बच रहा है, हम बचा रहे है | अदालत
का मानना है .कि . इस अंदाज में  तो इलाज किसी भी जेल में  हो सकता है ,
बेहतर होगा क्योंकी वहां  लेन – देन  का हिसाब – किताब नही रहता
हैं |  इसलिए इलाके से बहार की जेल में  बीमार का इलाज जरुरी हैं |
क्योंकि बीमार के साथ स्थनीय हमदर्दी  नुकसानदेह होती है |
सबके अपने – अपने तर्क है , कारण है …! पर इस बात पर सब एकमत है  कि
नेताजी बीमार है…… और उनका इलाज होना चाहिए |
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