क्यों भूल रहे हैं हम अपनी संस्कृति को ?

हनु तंवर निशब्द
हनु तंवर निशब्द

आज 14 फरवरी है यानी वेलेंटाइन डे और कल वसंत पंचमी | अगर सही मायने में देखा जाये तो वेलेंटाइन डे अंग्रेजों की दें है और हम भारतीय उसे ख़ासकर हमारे युवा इस दिन को प्रेम के त्यौहार के दिन के हिसाब से मनानते है किन्तु वे लोग यह भूल जाते हैं की हमारी संस्कृति में तो पूरी एक ऋतू प्रेम की ऋतू है वसंत ऋतू दो महीने का यह त्यौहार प्रकृति भी मानती है यही वह ऋतू है जब कोंपल फूल बान जाते हैं हर तरफ फूलों की बहार होती है | प्रकृति इस त्यौहार पर सज धज के तेयार होती है अपने रंगों की छटा पूरी धरती पर बिखरी रहती है लेकिन हम इन दो महीनो के त्यौहार को भूल कर १ दिन के त्यौहार के पीछे भाग रहे हैं | वेसे तो वसंत पंचमी वसंत ऋतू का सबसे अहम् दिन है जिस दिन मन सरस्वती का पूजन होता है क्योंकि मन सरस्वती प्रेम और अनुराग की देवी है और इसी लिए वसंत पंचमी के दिन इनकी पूजा की जाती है लेकिन हम अपने देवी देवताओं को भूल कर संत वालेंतीनो को याद करते हैं दुर्भाग्य है हमारा जो हम अपनी संस्कृति को भूल कर विदेशी संस्कृतियों को अपना रहे हैं |
-हनु तंवर “निःशब्द”

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