पढऩे की उम्र में शादी और उस पर भी गर्भपात का कहर

सतीश शर्मा
सतीश शर्मा

-सतीश शर्मा- उदयपुर। पढऩे, लिखने और सपने बुनने की उम्र में राजस्थान की नारी मातृत्व और गर्भपात का बोझ झेल रही है। इन्टरनेशनल इंस्टीटयूट आफ पॉपुलेशन साइंसेज और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सर्वे में इस तरह की स्थिति उजागर हुई है। ऐसे आंकड़े सामने आए कि राजस्थान में कम उम्र में मां बनने वाली माताओं में गर्भपात की शिकायत सर्वाधिक है। उदयपुर संभाग में भी बांसवाड़ा, डूंगरपुर, प्रतापगढ़, उदयपुर के आदिवासी बहुल क्षेत्र में कम उम्र में मां बनने के काफी प्रकरण सामने आ चुके है। कम उम्र में विवाह होने के कारण मां बनने के लिए शरीर के तैयार नहीं होने के बावजूद गर्भधारण माताओं और शिशु दोनों की मौत का सबब बन रहा है। स्वत:और प्रेरित दोनों ही तरह के गर्भपात 15 से 19 वर्ष की विवाहिताओं में सर्वाधिक पाया गया है। इस वर्ष यूएनएफपीए की ओर से मनाए जा रहे पॉपुलेशन पखवाड़े की थीम एडोलसेंट प्रेगनेंसी रोकने को लेकर यह सर्वे किया गया है।

सर्वे के मुताबिक 15 से 19 वर्ष की विवाहिताओं के मृत प्रसव भी सर्वाधिक 1.2 प्रतिशत पाया गया। इस सर्वे में यह भी सामने आया कि उम्र बढऩे के साथ-साथ सुरक्षित प्रसव की संभावना सर्वाधिक बढ़ती जाती है और गर्भपात की संभावना सबसे कम होती है। सोच बदलने की जरूरत : राजस्थान में लड़कियों को आगे पढ़ाने की बजाए शादी करने को प्राथमिकता दी जाती है। कम उम्र में शादी के बाद गर्भवती होने के बाद वह बच्चे को प्रभावी पोषण नहीं दे सकती। ऐसे में या तो खुद मौत की शिकार होती है अथवा बच्चे की मौत होती है। महिला अधिकारों और सुरक्षित गर्भपात विषय पर काम करने वाले संगठन आईपास की ओर से किए गए सर्वे के अनुसार गर्भपात के असुरक्षित साधनों को अपनाने वाली महिलाओं की संख्या करीब 60 फीसदी होती है।
ऐसे में माता की जान को खतरा होता है। जनसंख्या नीति के अनुसार देश में मातृ मृत्यु दर को रोकने के लिए आवश्यक है कि गर्भ का समापन भी चिकित्सकीय तरीके से एमटीपी एक्ट के प्रावधानों के अनुसार प्रशिक्षित चिकित्सकों के माध्यम से निर्धारित बीस सप्ताह के भीतर ही विधिपूर्वक किया जाए ताकि नन्ही उम्र की इन माताओं की जिन्दगी न उजड़े।
तारा (बदला नाम) की उम्र महज 17 साल है। आदिवासी परम्परा के अनुसार उसका 15 वर्ष की उम्र में विवाह कर दिया। विवाह के बाद अब तक दो बार गर्भवती हुई तारा का शरीर गर्भधारण के लायक नहीं होने के कारण गर्भपात करना पड़ा।सवली (बदला नाम) मात्र 16 वर्ष की उम्र में गर्भवती हुई। चिकित्सक ने चौथे माह में उसके शारीरिक विकास को उचित नहीं बताते हुए जच्चा-बच्चा दोनों को खतरा बताया और गर्भ समापन की सलाह दी।
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