सेनाध्यक्ष का अभिनन्दन

adwani blog 4.7.12गत् सप्ताह 6 अगस्त को विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने संसद में हमारे चार नेताओं -राजनाथ सिंह, सुषमा स्वराज, अरूण जेटली और मुझे सूचित किया कि प्रधानमंत्री हमसे उस विषय पर विचार-विमर्श करना चाहते हैं जिसका उन्होंने अपनी बंगलादेश यात्रा पर जाने से पूर्व संक्षिप्त रूप से संदर्भ दिया था। यानी दोनों देशों के बीच सीमा समझौता। इस मुद्दे के संदर्भ में, बाद में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन ने जसवंत सिंह और यशवंत सिन्हा सहित पश्चिम बंगाल और असम से अन्य अनेक नेताओं के एक बड़े भाजपा समूह के सामने सम्बन्धित तथ्यों को रखा था।
प्रधानमंत्री के साथ हमारी बैठक के निर्धारित समय सायं साढ़े पांच बजे से कुछ मिनट पूर्व मैं रेसकोर्स रोड पहुंच गया, लगभग उसी समय ए.के. एंटोनी भी पहुंचे। मैंने उन्हें बताया कि प्रधानमंत्री ने भाजपा नेताओं को बंगलादेश से सटे एनक्लेव्स के मुद्दे पर विचार-विमर्श हेतु बुलाया है। मैंने पूछा कि क्या वह भी इसी मुद्दे पर होने वाली बैठक में आए हैं। उन्होंने साफ कहा कि उन्हें ‘बुलाया‘ गया है परन्तु उन्हें विषय के मामले में पता नहीं है।
यह उस दिन की बात है जिस दिन पाक सैनिकों और पाक प्रशिक्षित आतंकवादियों ने नियंत्रण रेखा (एल.ओ.सी.) पर हमारे पांच जवानों की हत्या की थी। यह उस दिन सुबह सेना के जारी प्रेस वक्तव्य में कहा गया था। हालांकि उस दिन दोपहर बाद सदन में वक्तव्य देते हुए रक्षा मंत्री ने उस घटना के बारे में सेना द्वारा दिए गए ब्यौरे को इस तरह से बदला कि इन हत्याओं का आरोप सिर्फ आतंकवादियों पर लगा। इस वक्तव्य ने न केवल संसद को क्रोधित किया अपितु शहीद जवानों के परिवारों को भी इस हद तक नाराज किया कि एक जवान की विधवा ने सरकार द्वारा प्रस्तावित 10 लाख रूपये के मुआवजे को भी लेने से मना कर दिया। एक समाचारपत्र की रिपोर्ट के मुताबिक विजय राय की पत्नी पुष्पा राय ने अपनी मनोव्यथा व्यक्त करते हुए कहा, ”क्या 10 लाख रूपये का मुआवजा मेरे पति को वापस ला सकता है? हमें मुआवजा नहीं चाहिए बल्कि पाकिस्तान के खिलाफ सख्त सैन्य कार्रवाई चाहिए।”
प्रधानमंत्री के साथ हमारी बैठक में न केवल सलमान खुर्शीद अपितु ए.के. एंटोनी भी मौजूद थे। बंगलादेश एनक्लेव्स और नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तानी हमले -दोनों मुद्दों पर विचार-विमर्श हुआ। हमने दोनों मुद्दों पर दृढ़ता से अपना पक्ष रखा।
बंगलादेश सम्बन्धी मुद्दे पर हमने प्रधानमंत्री को बताया कि इस प्रस्ताव पर हमारी राज्य इकाइयों का मुखर विरोध है, इसलिए हम इस पर राजी नहीं हैं।
पाकिस्तान द्वारा हमारे जवानों के कत्लेआम पर भी हमारी इसी प्रकार की दृढ़ प्रतिक्रिया थी। प्रधानमंत्री के साथ इसी बैठक में उस दिन के रक्षा मंत्री के वक्तव्य के बारे में मैंने एक कठोर शब्द ‘गड़बड़ करना‘ उपयोग किया। मेरे मन में सदैव ए.के. एंटोनी के लिए गर्मजोशी और सम्मान रहा है। इसलिए उस दिन के उनके वक्तव्य पर मैं सचमुच काफी हैरान था। बाद में मुझे ज्ञात हुआ कि प्रधानमंत्री कार्यालय ने सलमान खुर्शीद को रक्षामंत्री से सेना के बयान को बदलने को राजी किया।
रेसकोर्स रोड की इस बैठक में यह सहमति बनी कि सेनाध्यक्ष से पूरे घटनाक्रम की जानकारी लेने के बाद अगले दिन रक्षा मंत्री एक संशोधित बयान देंगे। सेनाध्यक्ष जम्मू गए ताकि वे घटना की जानकारी स्वयं ले सकें। हमने कहा कि हम संशोधित वक्तव्य की प्रतीक्षा करेंगे।
मैं सेनाध्यक्ष को बधाई देना चाहूंगा कि उन्होंने सेना के प्रेस बयान की न केवल पुष्टि की अपितु रक्षामंत्री के वक्तव्य में विशेष रूप से यह शामिल करने में सफलता पाई कि ”इस हमने में पाकिस्तानी सेना से विशेष प्रशिक्षण प्राप्त जवान शामिल थे।” संसद में हम सबको इस पर प्रसन्नता महसूस हुई कि एंटोनी अपने संशोधित वक्तव्य में न केवल नियंत्रण रेखा तक सीमित रहे अपितु उन्होंने आगे बढ़कर यह दोहराया कि पाकिस्तान से तब तक सामान्य सम्बन्ध नहीं हो सकते जब तक कि वह इन तीन निम्न बातों को पूरा नहीं करता:
1) आतंकवादी बुनियादी ढांचे को समाप्त किया जाए।
2) ऐसे प्रयास करने चाहिए जिनसे नवम्बर, 2008 में मुंबई आतंकवादी हमले के
जिम्मेदार लोगों के खिलाफ जल्द कार्रवाई हो।
3) इस सप्ताह मारे गए हमारे जवानों के लिए पाकिस्तान में मौजूद जिम्मेदार और कुछ
समय पूर्व हमारे जवानों के धड़ काट कर ले जाने वालों को दण्डित नहीं किया जाता।
सामान्यतया, सेनाध्यक्ष को उपरोक्त दी गई बधाई के साथ मैं रक्षामंत्री को भी बधाई देता हूं। लेकिन तभी यदि वह 6 अगस्त के अपने वक्तव्य को औपचारिक रूप से वापस लेने का साहस दिखाते तथा सेना से माफी मांगते कि उन्होंने उनके ब्यौरे जो एकदम सही था, में भद्दे ढंग से बदलाव कर प्रस्तुत किया। कोई भी मंत्री सदन में ऐसी बात नहीं कह सकता जो झूठ हो। यदि गलत सूचना के चलते वह कुछ असत्य कहता है तो उसे कम से कम खेद तो प्रकट करना चाहिए।
मंत्री और सेना द्वारा अपनाए गये इस तरह के सख्त रवैये के बाद देश आशा करता है कि प्रधानमंत्री, पाकिस्तानी प्रधानमंत्री से शांति वार्ता करने की अपनी उत्सुकता त्याग देगें। इन दिनों समूचा विश्व देख रहा है कि कैसे स्नोडेन को शरण देने के बाद ओबामा ने पुतिन से निर्धारित अपनी मुलाकात ही रद्द कर दी!
टेलपीस (पश्च्यलेख)
दि इण्डियन एक्सप्रेस के मुख्य सम्पादक शेखर गुप्ता ने सम्पादकीय पृष्ठ पर ‘स्केर्ड विट्लस‘ (SCARED WITLESS) शीर्षक से प्रकाशित अपने लेख में ए.के. एंटोनी की तुलना शेक्सपीयर के नाटक ”जूलियस सीजर” के मार्क एंटोनी से की है और अपने समाचारपत्र के कार्टूनिस्ट इ.पी. उन्नी द्वारा चोगे में रक्षामंत्री ए.के. एंटोनी के रेखाचित्र जिसमें उन्हें ‘मार्क-II एंटोनी स्पीच!‘ के रूप में वर्णित किया है को ”इतनी निर्दयता और शानदार ढंग” से प्रस्तुत करने की प्रशंसा की है।
लेख कहता है: ”आपके पास अन्य मंत्रीगण हैं और नानाविध मुद्दों पर उनके वक्तव्य हो सकते हैं। लेकिन नियंत्रण रेखा पर हुई घटना के बारे में रक्षामंत्री ऐसा करें? वह अब कहते हैं कि पहले वह ‘उपलब्ध‘ सूचनाओं के आधार पर बोले और अब वे ज्यादा अच्छा जानते हैं कि आतंकवादी सेना के वेश में न केवल पाकिस्तानी रेगुलर्स (नियमित सैनिक) बन गए अपितु उनकी विशेष फोर्स से भी हैं।”
लालकृष्ण आडवाणी

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