तो आखिर कैसे देगा दुखद अतीत ‘सुनहरा कल’….?

kekri hospitalजब अस्पताल में बारह साल बाद हो आपरेशन से प्रसव
सुरेन्द्र जोशी- केकड़ी। केकडी क्षेत्र के लोगों को बेहतर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने के लिए करीब 32 करोड रूपये की लागत से यहां अजमेर रोड पर बनने वाला चिकित्सालय भवन भले ही सुनहरे कल की ओर इशारा करता हो मगर शहर के मौजूदा राजकीय अस्पताल में बारह साल बाद गूंजी एक किलकारी ने उस सच को उजागर कर दिया है जो न केवल चौंकाने वाला ही है वरन बेहद चिंता जनक भी है। यह बात सुनने में जितनी अजीबोगरीब लगती है उतनी ही सच के बेहद करीब भी है, मगर मंगलवार को जब इस अस्पताल की हैरतअंगेज हकीकत सामने आई तो हर कोई सकते में था। हालांकि अस्पताल में किलकारी गूंजना यू तो एक सामान्य प्रक्रिया का हिस्सा है मगर आज जिस तरह से एक महिला चिकित्सक ने प्रसव पीडा से व्यथित एक महिला का प्रसव कराया उसने एक ऐसे सच को सामने ला दिया जो बरसो से बीमार इस अस्पताल की हकीकत को खुद ब खुद बयां कर रहा है। दरअसल करीब बारह साल बाद आज इस अस्पताल में पहली बार किसी महिला का ऑपरेशन करके प्रसव कराया गया। चौंकाने वाले तथ्य तो यह है कि 7 मई 2001 को जब से स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ.वंदना अग्रवाल इस अस्पताल से पदोन्नत होकर गई है तब से लेकर अब तक इस अस्पताल में एक भी महिला का प्रसव ऑपरेशन के जरिए नहीं कराया गया। हालांकि इस बीच सात साल तक यानी 2001 से लेकर 2007 तक तो यहां स्त्री रोग विशेषज्ञ का पद ही खाली पडा रहा मगर बाद में 6 मार्च 2007 से 24 जून 2008 तक स्त्री रोग विशेषज्ञ के रूप में डॉ. नीता यादव, 9 जुलाई 2008 से 13 जून 2012 तक डॉ.फजलू रहमान यहां कार्यरत रहे तथा 7 जून 2012 से डॉ.हेमलता माहेश्वरी भी लगातार यहां कार्यरत है मगर इनके कार्यकाल में एक भी महिला का प्रसव ऑपरेशन द्वारा नहीं कराया गया। हालांकि इस दौरान सैकडों महिलाएं प्रसव पीडा को लेकर इस अस्पताल में आई और समय पर उपचार नहीं मिलने के कारण काल के गाल में भी समा गई मगर किसी भी चिकित्सक ने ऑपरेशन करके उसका प्रसव कराने की हिम्मत तक नहीं जुटाई। ऑपरेशन के नाम पर यहां आने वाली हर महिला को अजमेर रैफर किया जाता रहा। इनमें से कई तो अजमेर पहुंचकर अपना प्रसव कराने में कायमयाब हो गई मगर कई महिलाओं ने प्रसव पीडा के चलते रास्ते में ही दम तोड दिया। ऐसी परिस्थितियों में हाल ही में यानि 25 जुलाई को यहां नियुक्त डॉ.अर्चना मित्तल द्वारा सीमित संसाधनो के बावजूद राजकीय अस्पताल में बारह साल बाद किसी महिला का ऑपरेशन द्वारा प्रसव कराना वाकई किसी अचरज ही नहीं बरसो से अस्पताल में कायम चिंताजनक हालातों से कही कम नहीं था।

सुरेन्द्र जोशी
सुरेन्द्र जोशी

मंगलवार को इस अस्पताल में डॉ.अर्चना मित्तल द्वारा जूनिया से आई एक मुस्लिम महिला सनो पत्नि इमरान का ऑपरेशन द्वारा प्रसव कराया गया तो मानो अस्पताल में हलचल सी मच गई। क्योंकि इस दिन का शहर के लोग बरसो से इंतजार कर रहे थे। हालांकि स्त्री रोग विशेषज्ञ के रूप में डॉ.अर्चना मित्तल के यहां नियुक्त होने से बरसो पुरानी एक कमी तो पूरी हो गई है मगर आज भी इस अस्पताल में वरिष्ठ विशेषज्ञ मेडिसिन, कनिष्ठ विशेषज्ञ सर्जन, कनिष्ठ विशेषज्ञ ईएनटी, कनिष्ठ विशेषज्ञ अस्थि रोग, चिकित्सा अधिकारी के एक-एक पद समेत मेल नर्स द्वितीय के दो, लेब टेक्नीशियन का एक व चार वार्ड बाय के पद खाली है जो यह सवाल खडा करते है कि क्या इनकी नियुक्ति के बगैर बहुत जल्द ही अजमेर रोड पर बन रहे चिकित्सालय में स्थानान्तरिक होने वाला यह बीमार अस्पताल चिकित्सा एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में सुनहरे कल की बुनियाद रख पायेगा. . . . ?

इनका कहना है
वाकई आज का दिन इस अस्पताल के लिये काफी अहम था। क्यो कि करीब बारह साल बाद आज पहली बार किसी महिला का प्रसव आपरेशन द्वारा हुआ है। इससे पहले कई बरसो तक तो यहा स्त्री रोग विशेषज्ञ का पद ही खाली पडा रहा था। और बाद में जो भी आये उन्होने भी यहां किसी महिला का प्रसव आपरेशन द्वारा नही कराया जिससे लोगो को काफी परेशारिया उठानी पडती थी। मगर अब फिर से एक नई शुरूआत हुई है जो काफी सुखद है।
-डा जे के जैन, चिकित्सालय प्रभारी 
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