दादा को दूदू से दे दो

स्थितियां निरन्तर विकट होती जा रही है, कैलाश मेघवाल के साथ भाजपा हो अथवा उनका अपना समुदाय, आज कोई नजर नहीं आ रहा है, विरोध के स्वर आलाकमान तक पहुंच चुके है, मेघवाल को शाहपुरा से कूच करने के संकेत मिल चुके है, मगर जिन्दगी के आखिरी चुनाव में वे बड़े बेआबरू होकर भी इस कूचे से निकलने को तैयार नहीं है, किसी समझदार ने उनको फेसबुक के जरिये सलाह दी है कि कांग्रेस के प्रजनन योग्य साण्ड़ों में शुमार पूर्व खादी मंत्री बाबू लाल नागर पर दुष्कर्मों के आरोपों के बाद दूदू का क्षेत्र नेतृत्वविहीन नजर आ रहा है, ऐसे में दादा को दूदू दे दो ताकि बिना किसी बाधा के वे जल्दी ही जयपुर पहुंच सके।

  • लखन सालवी

कभी राजस्थान की राजनीति में जिस शख्स की तूती बोलती थी और जो राजस्थान के तत्कालीन मुख्यमंत्री भैरों सिंह शेखावत का खासमखास होकर सबसे पावरफुल मानी जाने वाली डंडा मिनीस्ट्री (गृहमंत्रालय) का मुखिया रहा हो, ऐसा कद्दावर राष्ट्रीय नेता अपनी बुजुर्गीयत के दिनों में धीरे-धीरे सियासत के बियाबान में खिसकता नजर आ रहा है। पूर्व केंद्रीय मंत्री कैलाश मेघवाल आजकल शाहपुरा में दो-चार समर्थकों के लिये भी तरस गये है, अपनी सुदीर्घ राजनीतिक प्रोफाइल और अच्छी खासी आर्थिक सुदृढ़ता के बावजूद उन्हें शाहपुरा-बनेड़ा क्षेत्र में कोई घास डालता नहीं लग रहा है। कैलाश मेघवाल इन दिनों शाहपुरा में डेरा डाले हुये है और एक-एक व्यक्ति को पकड़ने में लगे हुए है मगर इन वयोवृद्ध कद्दावर नेता की तरफ कोई ध्यान ही नहीं दे रहा है, राजनीति में इतने बुरे दिन भी आ सकते है, ऐसा तो मेघवाल ने सपने में भी नहीं सोचा होगा, पर अब सपनों की बात ही क्या, उनकी तो नींद तक उड़ी हुई है और जागती आंखे सपने थोड़ देखती है, देख भी ले तो वे सपने साकार कहां होते है।

kailash-meghwalकैलाश मेघवाल का दुर्भाग्य यह है कि वो दोगली कही जाने वाली राजनीति का शिकार हो गये है, पहले उन्होंने कपासन को अपनी कर्मस्थली बनाया, पूरा दमखम लगाकर वहीं से चुनाव लड़ने की घोषणा की, अच्छे भले लोग जुटाने में खर्चा भी किया ही होगा मगर कपासन में जमीन से जुड़े जनप्रिय नेता अर्जुन लाल जीनगर ने उन्हें वहां से विस्थापित होने पर मजबूर कर दिया, वे सुराज संकल्प यात्रा के दौरान उसी कपासन क्षेत्र में नजर नहीं आए, जहां से किसी भी कीमत पर चुनाव लड़ने की रणभेरी उन्होंने बजाई थी। अब कपासन के उन कार्यकर्ताओं को सेनापति की तलाश है।

लोगों को यह भी लगता है कि जिस नेता को कल तक वे गाली दे कर धिक्कारते थे और उनके लिये अपशब्द इस्तेमाल करते थे, साथ ही कांग्रेसी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को विलक्षण प्रतिभा सम्पन्न राजनीतिज्ञ बताते थे, इतना ही नहीं बल्कि पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे पर राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में 5 हजार करोड़ के भ्रष्टाचार जैसे बेबुनियाद आरोप लगा चुके थे, आज उन्हीं से वे एक टिकट की मांग कर रहे है। भारतीय जनता पार्टी के शाहपुरा-बनेड़ा के जितने भी बड़े नेता है वे मेघवाल की उम्मीदवारी की खिलाफत कर चुके है, शाहपुरा नगरपालिका के चेयरमेन रघुनन्दन सोनी, बनेड़ा भाजपा मण्डल के अध्यक्ष गजराज सिंह राणावत, विश्व हिन्दू परिषद के जिला महामंत्री रामेश्वर लाल धाकड़, कॅालेज छात्रसंघ अध्यक्ष आसाराम धाकड़ सहित तमाम सारे बड़े नेताओं ने उनकी खिलाफत की है, विश्व हिन्दू परिषद ने तो काली पट्टियां बांध कर उनके खिलाफ रैली निकाल दी है और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने छात्रसंघ के शपथ ग्रहण समारोह में उनकी नहीं आने दे कर साफ संदेश दे दिया है कि कैलाश मेघवाल किसी भी कीमत पर उन्हें स्वीकार्य नहीं है। इनकी माने तो मेघवाल न तो स्वयं जनाधार वाले नेता है और न ही उनके साथ कोई जनाधार वाला व्यक्ति है।

रही सही कसर कैलाश मेघवाल जिस सर्व मेघवंश महासभा के दम पर राष्ट्रीय स्तर पर फूले नहीं समा रहे थे, उसी मेघवंशी समाज के लोगों ने निकाल दी है, मेघवंशी समाज की 12 धूणियों के महंतों, 10 ट्रस्टों के अध्यक्षों तथा नवयुवक मण्डल अध्यक्षों व सामाजिक कार्यकर्ताओं तथा जन प्रतिनिधियों ने खुलकर कैलाश मेघवाल की खिलाफत का बिगुल बजा दिया है। मेघवंशी समाज ने कैलाश मेघवाल को समाज का नेता मानने से ही इंकार कर दिया है, समाज के लोगों ने स्पष्ट कर दिया है कि वे ओसवाल, अग्रवाल वाले मेघवाल है, उनका बलाई, बुनकर, सालवी, सूत्रकार वाले मेघवंशी समाज से कोई लेना देना नहीं है।
जिला मेघवंशी महासभा भीलवाड़ा ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह, गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी तथा भाजपा प्रदेशाध्यक्ष वसुन्धरा राजे सिंधिया को पत्र लिख कर चेतावनी दी है कि अगर शाहपुरा-बनेड़ा में स्थानीय मेघवंशी के बजाय कैलाश मेघवाल को टिकट दिया गया तो जिले की सातों सीटों पर एक लाख मतदाताओं की तादाद वाला मेघवंशी समाज भाजपा का बहिष्कार करेगा।

लाखन सालवी
लाखन सालवी

स्थितियां निरन्तर विकट होती जा रही है, कैलाश मेघवाल के साथ भाजपा हो अथवा उनका अपना समुदाय, आज कोई नजर नहीं आ रहा है, विरोध के स्वर आलाकमान तक पहुंच चुके है, मेघवाल को शाहपुरा से कूच करने के संकेत मिल चुके है, मगर जिन्दगी के आखिरी चुनाव में वे बड़े बेआबरू होकर भी इस कूचे से निकलने को तैयार नहीं है, किसी समझदार ने उनको फेसबुक के जरिये सलाह दी है कि कांग्रेस के प्रजनन योग्य साण्ड़ों में शुमार पूर्व खादी मंत्री बाबू लाल नागर पर दुष्कर्मों के आरोपों के बाद दूदू का क्षेत्र नेतृत्वविहीन नजर आ रहा है, ऐसे में दादा को दूदू दे दो ताकि बिना किसी बाधा के वे जल्दी ही जयपुर पहुंच सके।

(लेखक राजनीतिक टिप्पणीकार है एवं खबरकोश डॅाटकॅाम के सह सम्पादक है।)

Lakhan Salvi
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