नई दिल्ली। चाणक्य के देश में कूटनीतिक विफलता का इतिहास रचा जाना अपने आप में हैरतअंगेज है। पाकिस्तानी संसद द्वारा अफजल गुरु की फांसी के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित किया जाना इसकी ताजा मिसाल है। यह प्रस्ताव ऐसे समय आया है, जब दोनों देश कूटनीतिक रिश्तों की बहाली के प्रयास कर रहे थे। सिर्फ पाकिस्तान ही नहीं अन्य देशों मालदीव, श्रीलंका से भी बेहतर संबंधों की कीमत हमें कूटनीतिक विफलता के रूप में चुकानी पड़ रही है। यही नहीं, आकार में हमारे पासंग के बराबर वाला देश इटली भी हमें आंखें तरेर रहा है। इससे हमारी विदेश नीति पर ही सवाल खड़े हो रहे हैं
मालदीव : पिछले साल फरवरी में मुहम्मद नशीद को विवादित तरीके से हटाए जाने के बाद मुहम्मद वहीद नए राष्ट्रपति बने। मई, 2012 में भारत की यात्रा के दौरान उन्होंने वायदा किया कि सभी भारतीय हितों की सुरक्षा की जाएगी।
28 नवंबर को मालदीव में किए जाने वाले सबसे बड़े भारतीय निवेश जीएमआर एयरपोर्ट समझौते को रद कर दिया गया। 2010 में इस समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे। इसकी वजह यह मानी जाती है कि वहीद गठबंधन सरकार में शामिल कुछ इस्लामिक पार्टियां भारत विरोधी हैं। वे चीन से संबंध बढ़ाए जाने की पक्षधर हैं।
बदले में तीन दिसंबर को भारत ने 2.5 करोड़ डॉलर की वित्तीय सहायता के आश्वासन पर रोक लगा दी। इसके साथ ही दोनों देशों के बीच संबंध न्यूनतम स्तर पर पहुंच गए।
-हमारे राजदूत डीएम मुले को दुश्मन तक कहा गया।
-पिछले दिनों पूर्व राष्ट्रपति नशीद ने गिरफ्तारी से बचने के लिए हमारे दूतावास में करीब 15 दिन तक शरण ली। इससे भी दोनों देशों के बीच संबंध कटु हुए हैं।
-फिलहाल वहां रह रहे 30 हजार भारतीयों की सुरक्षा हमारी कूटनीति के लिए बड़ी चुनौती है:
श्रीलंका: पिछले सितंबर में तमिलनाडु के कुछ मछुआरों को श्रीलंकाई नौसैनिकों ने पकड़कर उनका उत्पीड़न किया। इससे तमिलनाडु में असंतोष उपजा।
-गृहयुद्ध की समाप्ति के बाद वहां अल्पसंख्यक तमिलों को मुख्यधारा में शामिल करने के लिए अधिक राजनीतिक अधिकार प्रदान करने का आग्रह सरकार कर चुकी है, लेकिन उसको नजरअंदाज किया जा रहा है।
-तमिलों के मानवाधिकारों के हनन के मसले पर इस महीने के अंत में जेनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानव अधिकार परिषद में श्रीलंका के खिलाफ प्रस्ताव में मतदान होना है। श्रीलंका की नजर भारत के रुख पर है। भारत ने इस तरह के प्रस्ताव का समर्थन किया था। इससे भी दोनों देशों के बीच संबंध कटु हुए।
पाकिस्तान: 42003 के संघर्ष विराम के बाद कश्मीर क्षेत्र में सीमा पर इस साल जनवरी में करीब दो सप्ताह तक सबसे ज्यादा गोलीबारी हुई। हमारे दो जवान शहीद हुए। क्रूरतम कार्रवाई के तहत हमारे एक सैनिक का सिर काट लिया गया, उसके बावजूद पिछले दिनों जब पाकिस्तानी प्रधानमंत्री राजा परवेज अशरफ निजी दौरे पर अजमेर शरीफ आए थे तो हमारे विदेश मंत्री उनकी आगवानी के लिए जयपुर में उपस्थित थे। कूटनीतिक हल्कों में इस कदम की तीव्र आलोचना हुई थी। उसके तत्काल बाद अब पाकिस्तान के निंदा प्रस्ताव और कश्मीर मुद्दे के अंतरराष्ट्रीयकरण के प्रयास हमारी कूटनीतिक मुहिम को बड़ा झटका है।
इटली : ताजा घटनाक्रम में दो भारतीय मछुआरों की हत्या के आरोपी इटली के दो नौसैनिकों को वहां की सरकार ने लौटाने से इन्कार कर दिया है। इससे हमारी विदेश नीति के समक्ष बड़ा कूटनीतिक संकट खड़ा हो गया है।