पाक में अदालती अवमानना क़ानून अवैध क़रार

पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने संसद की ओर से मंज़ूर किए गए अदालत की अवमानना के नए क़ानून को अवैध क़रार दिया है.

मुख्य न्यायधीश जस्टिस इफ्तिख़ार चौधरी की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट की पाँच सदस्यीय खंडपीठ ने अदालत की अवमानना के नए क़ानून को अवैध क़रार देते हुए 2003 के क़ानून को बहाल करने का आदेश दिया.

अदालत ने अपने संक्षिप्त फैसले में कहा कि इस क़ानून में जो संशोधन किए गए हैं, वह पाकिस्तान के संविधान से टकराव की स्थिति में हैं.

ग़ौरतलब है कि 10 जुलाई को संसद के निचले सदन ने उस बिल को मंजूरी दे दी थी जिसका उद्देश्य वरिष्ठ मंत्रियों और नेताओं को अदालत की अवमानना से जुड़े मामलों में कानूनी कार्रवाई से संरक्षण प्रदान करना था.

कानूनी कार्रवाई से संरक्षण

उस बिल को मंज़ूर करने का दूसरे उद्देश्य यह था कि राष्ट्रपति आसिफ अली ज़रदारी के ख़िलाफ़ भ्रष्टाचार के मामलों को दोबारा खोलने के लिए नए प्रधानमंत्री राजा परवेज़ अशरफ़ पर पड़ रहे सुप्रीम कोर्ट के दबाव में कमी आए.

अदालत ने अपने फैसले में कहा कि क़ानून की नज़र में सब बराबर हैं और कुछ लोगों को अदालती अवमानना से जुड़े मामलों में कानूनी कार्रवाई से संरक्षण प्रदान करना पाकिस्तानी संविधान के ख़िलाफ़ है.

अदालत ने यह भी कहा कि आवामी पद रखने वाले किसी भी व्यक्ति को अदालती अवमानना से जुड़े मामलों में कानूनी कार्रवाई से संरक्षण नहीं दिया जा सकता.

ग़ौरतलब है कि राष्ट्रपति आसिफ अली ज़रदारी के ख़िलाफ़ दायर भ्रष्टाचार के मामले फिर से खोलने के लिए सरकार और न्यायपालिका के बीच मतभेद पिछले कई महीनों से चल रहे हैं.

इसी साल के पहले महीने में सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व प्रधानमंत्री यूसुफ़ रज़ा गिलानी को राष्ट्रपति आसिफ़ अली ज़रदारी के ख़िलाफ़ भ्रष्टाचार के मामले फिर से खोलने के लिए स्विस अधिकारियों को पत्र लिखने के लिए कहा था.

भ्रष्टाचार के मामले

अदालत में पेश किए गए जवाब में यूसुफ़ रज़ा गिलानी ने कहा था कि आसिफ अली ज़रदारी जब तक राष्ट्रपति पद पर हैं, तब तक उनके ख़िलाफ़ कोई भी मामला नहीं चलाया जा सकता.

उन्होंने यह भी बताया था कि वह राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के खिलाफ दायर भ्रष्टाचार के मुकदमे फिर से खोलने के लिए स्विस अधिकारियों को पत्र नहीं लिखेंगे.

उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने अदालत का फैसला न मानने पर प्रधानमंत्री गिलानी को दोषी करार दिया था और उन्हें सजा सुनाई थी.

सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय ऐसेंबली की अध्यक्ष को फहमीदा मिर्जा को प्रधानमंत्री गिलानी के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए लिखा था.

19 जून को सुप्रीम कोर्ट ने अदालत की अवमानना के मामले में प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी को पद पर बने रहने के लिए अयोग्य करार दिया था.

उसके बाद पीपुल्स पार्टी के वरिष्ठ नेता राजा परवेज़ अशरफ़ ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी और अदालत ने उन से भी जवाब तलब किया था कि वह भी राष्ट्रपति आसि अली ज़रदारी के ख़िलाफ़ दायर भ्रष्टाचार के मामले खोलने के लिए स्विस अधिकारियों को पत्र लिखें.

अदालत ने उन्हें आठ अगस्त की अंतिम समयसीमा दी है.

 

error: Content is protected !!