आखिर कौन करवा रहा है परचेबाजी?

इन दिनों जिले का किशनगढ़ कस्बा वहां के आसिफ हत्याकांड को लेकर गरमाया हुआ है। एक ओर जहां पुलिस आरोपियों को फरारी के दौरान पनाह देने वाले लोगों पर शिकंजा कसने की तैयारी कर रही है, तो दूसरी जगह-जगह चस्पा किए गए परचों ने माहौल और गर्म कर दिया है।
इन परचों में एक मंत्री व उसके पति पर आरोपियों को संरक्षण का जिस प्रकार आरोप लगाया गया है, उससे यह तो स्पष्ट है कि परचा लगाने वालों को यह पता है कि आरोपी कहां हैं? मंत्री का संरक्षण है या नहीं ये तो जांच से ही पता लगेगा, मगर पुलिस के लिए अब आरोपियों को पकडऩे के अलावा आरोपियों के बारे जानकारी रखने वालों का पता लगाने की भी चुनौती है। विशेष रूप से परचा लगाए जाने के बाद पुलिस को और गंभीर होना पड़ेगा क्योंकि इससे उस पर दबाव की बात भी सामने आ रही है।
ज्ञातव्य है कि कुछ समय पहले अजमेर की कचहरी मस्जिद पर भी एक परचा लगाया गया था, जिसकी वजह से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का अजमेर दौरा रद्द हो गया। पुलिस ने खूब कोशिश की, मगर परचा लगाने वाले का पता नहीं लग पाया। सवाल ये उठता है कि इस परचेबाजी का राज क्या है? कहीं ऐसा तो नहीं कि आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर कोई गुट विशेष इस प्रकार की हरकत कर रहा है? जो कुछ भी हो, मगर इस प्रकार की हरकतें अजमेर की सेहत के अच्छी नहीं कही जा सकती।

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