राजस्थान लोक सेवा आयोग के हाल ही में नियुक्त अध्यक्ष हबीब खान गौराण को अखबारों में विज्ञापनों के जरिए बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है। उनको ठीक उसी प्रकार बधाइयां दी जा रही हैं, जैसे किसी राजनीतिक दल में नियुक्ति होने पर दी जाती है। इतना ही नहीं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का फोटो भी साथ में दे कर उनका आभार व्यक्त किया जा रहा है। इन विज्ञापनों से ऐसा प्रतीत होता है मानो वे किसी संवैधानिक पद पर नहीं, बल्कि कांग्रेस के किसी पद पर नियुक्त हुए हों। जो कुछ भी हो, मगर इससे उनकी लोकप्रियता तो उजागर हो ही रही है। ऐसे में कानाफूसी ये है कि उन्हें आयोग अध्यक्ष बनने की बजाय कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ लेना चाहिए। गर चुनाव जीतें और फिर कांग्रेस की सरकार बने तो उनका मंत्री बनना तय है। दूसरी ओर ऐसे लोग भी हैं जो यह कह रहे हैं कि व्यक्ति भले ही किसी भी जाति-समुदाय से हो, किसी भी राजनीतिक विचारधारा को हो, मगर उसे कम से कम आयोग अध्यक्ष जैसे महत्वपूर्ण संवैधानिक पद पर नियुक्त होने के बाद अपनी निष्पक्षता कायम रखने की ओर ध्यान देना चाहिए। आज अगर वे इन विज्ञापनों से खुश हो रहे हैं, तो कल यही गतिविधि उनके लिए परेशानी का सबब भी बन सकती है।
2 thoughts on “इसके बजाय तो चुनाव लड़ लीजिए गौराण साहब”
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vakai bhadhai sandeso ki badh aa gai hai.badhai ke layak vo hai bhi .par chunoti se bhara samay shuru hua hai ab
बहुत सहि भाइ सहाब आपने मेरे दिल का दर्द बयान कर दिया राजनिती देश को कहा ले आइ अब कैसे केसे लोग अध्यश, कुलपति बनने लगे है जो ख्उल्ले आम राजनितीगयोन का हाथ पकद कर चलते है और जरा भी शर्म नही करते है, इन लोगो से निस्पकश होने कि आशा की जा सकती है क्या? आपकि पारखी नजरो को मेरा सलाम.