हां, मैंने राजनीति के सिद्धांतो को सरेआम नीलाम होते देखा है

Nagar Nigam election 2015दोस्तों अजमेर नगर निगम के मेयर को चुने जाने के दौरान राजनीति का जो घटिया स्तर दिखाई दिया । वो आपके समक्ष रखने की कोशिश की है ।
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हां मैंने राजनीति के सिद्धांतो को सरेआम नीलाम होते देखा है ।

मैंने अपना मेयर बनवाने के खेल में राजनीति के होते घटिया स्तर को देखा है

मैंने जिम्मेदार नेताओ के हाथो जनता की उम्मीदों का गला घोटते देखा है ।

मैने अनुशासन , सुचिता और जन भावना की बात करने वाली पार्टी की इज्जत उनके ही मंत्रियो द्वारा तार तार करते देखा है ।

मैंने अपने हक़ की लड़ाई के लिए लाला बना को अपने राजनैतिक जीवन को दांव पर लगाते देखा है ।

मैंने अपना मंत्री पद बचाने के लिए लाला बना के सामने गिड़गिड़ाती अनीता भदेल को देखा है ।

मैंने महिला बाल विकास मंत्री अनीता भदेल को बच्चों की तरह फुट फूटकर रोते देखा है ।

मैंने अपनी विरोधी नेता को शिकस्त देने के बाद वासुदेव देवनानी को कुटिल मुस्कान बिखेरते देखा है ।

मैंने बीजेपी के ही कार्यकर्ताओ द्वारा वासुदेव देवनानी के पोस्टर को कालिख से पोतते देखा है ।

मैंने गुस्साए कार्यकर्ताओ द्वारा देवनानी का पुतला जलाते देखा है ।

मैंने अनुशाषित पार्टी के कार्यकर्ताओ को खुलेआम एक दूसरे के खिलाफ नारे लगाकर गाली गलौच करते देखा है ।

मैंने निर्वाचित पार्षदों के चेहरों पर आलाकमान से मिले सख्त निर्देशो का डर देखा है ।

मैंने कॉंग्रेसी कार्यकर्ताओ में जगी उम्मीद के बाद उनके चेहरों पर आई रौनक को भी देखा है ।

मैंने सामान्य जाति के मतदाताओ के वोट से तीन बार विधायक और दो बार मंत्री बने देवनानी को उसी सामान्य जाति के लोगो के साथ भेदभाव करते देखा है ।

मैंने सामान्य वर्ग का हक़ मारे जाने के बाद आम जनता के मन में उपजे आक्रोश को देखा है ।

मैंने कुछ पत्रकारो को बीजेपी कार्यकर्ताओ की तरह एक तरफा रिपोर्टिंग करते देखा है ।

मैंने अजमेर के रिटर्निंग अधिकारी को पर्ची डाले जाने के नाम पर खुलेआम चालाकी करते देखा है ।

मैंने पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियो के चेहरों पर पल पल बदलते समीकरणों से तनाव के हालात देखे है ।

मैंने अजमेर एस पी विकास कुमार के आने पर आम जनता द्वारा तालिया बजाकर असली सिंघम के नारे लगाते देखा है ।

मैंने दोनों उम्मीदवारों को 30 – 30 मत मिलने के बाद हर एक सेकण्ड बढ़ने वाली बैचेनी को देखा है ।

मैंने प्रशासनिक अधिकारियो को खुलेआम सत्ता की कठपुतली बनकर लोकतंत्र की ह्त्या करते देखा है ।

मैंने राजनीति के इस गंदे खेल में नेताओ को नंगा होते देखा है ।

मैंने हार के बाद निराश होकर मुँह लटकाये कॉंगेस के हेमंत भाटी , नसीम अख्तर इन्साफ और महेंद्र सिंह रलावता को देखा है ।

दोस्तों नगर निगम के इन चुनावो में मैंने इंसानियत को मरते और नेताओ के अहंकार के आगे जन भावनाओ को सिसकते हुए , रोते हुए , तड़प तड़प कर दम तोड़ते हुए देखा है ।

वाकई किसी ने सही कहा है । दुश्मनी और राजनीति में सब जायज है । और यहाँ तो खुलकर राजनीति भी की जा रही थी और दुश्मनी निभाने के लिए एक दूसरे को बर्बाद करने की हद तक जाने की हिम्मत भी दिखाई जा रही थी । शायद इसी को राजनीति कहते है मित्रो ।
agyaat
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