बीना काक ने दिया बाकोलिया को ढ़ीठ होने का सबक

खबर है कि अतिवृष्टि के हालात देखने आई अजमेर की प्रभारी मंत्री श्रीमती बीना काक ने दौरा संपन्न करने के बाद अजमेर से रवाना होने से पहले मेयर कमल बाकोलिया को सिखाया कि कभी भी आम जनता में विरोध के बीच रिएक्ट नहीं करना चाहिए। कानाफूसी है कि उन्होंने ठीक ही तो कहा। आम बोलचाल की भाषा में कहें तो इसका यह मतलब है कि राजनीति में आदमी को ढ़ीठ हो जाना चाहिए। मोटी चमड़ी का हो जाना चाहिए। राजनीति में यदि व्यक्ति संवेदनशील होगा और तुरंत प्रतिक्रिया देने की प्रवृत्ति रखेगा तो खुद का ही ब्लडप्रेशर बढ़ाएगा, जो कि स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। जाहिर सी बात है कि जहां किसी बात को लेकर विरोध हो रहा हो, वहां अगर आप प्रतिक्रिया देंगे तो पलट कर फिर प्रतिक्रिया होगी। इससे माहौल बिगड़ेगा। इसके बजाय चुप हो जाइये, ताकि गुस्सा करने वाला अपनी भड़ास निकाल कर शांत हो जाए। बीना काक ने वाकई काम का मंत्र दिया है, मगर बाकोलिया दो साल मेयर रह चुकने के बाद भी अभी पक्के राजनीतिज्ञ नहीं हो पाए हैं।
ज्ञातव्य है लौंगिया में मकान गिरने से हताहत हुए परिवार से मुलाकात के दौरान लोगों ने बीना काक को शिकायत करते हुए कहा कि हादसे से काफी देर बाद निगम व प्रशासन पहुंचा था। इस पर मौके पर मौजूद मेयर कमल बाकोलिया ने मंत्री को स्वयं व निगम कर्मियों के मौके पर पहुंचने की सफाई दी। परिणाम ये निकला कि प्रतिक्रिया में लोगों ने नारेबाजी शुरू कर दी। कांग्रेस कार्यकर्ता भी नारेबाजी करने लगे। नतीजतन दूसरे दिन अखबारों की सुर्खियां यही बनीं कि बीना काक को विरोध का सामना करना पड़ा, बाकी सारी बातें गौण हो गईं।

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