श्रीनाथजी की जमीन बेचने का अधिकार?

questionनाथद्वारा। नाथद्वारा मंदिर मंडल के तिलकायत द्वारा नाबालिग प्रभु श्रीनाथजी की जमीन बेचने के लिए ‘‘मुख्तारनाम आम परिवर्तनीय‘‘ बिना अधिकार जारी करने का मामला सामने आया है।
बता दें कि पुष्टिमार्ग की प्रधान पीठ नाथद्वारा में प्रभु श्रीनाथजी के सात वर्षीय बाल स्वरूप की सेवा पूजा होती है। जिन्हें कानूनी तौर पर नाबालिग माना गया है। उन्हीं प्रभु श्रीनाथजी की देश भर में सैंकडों स्थानों पर बेशकीमती जमीनें और अन्य सम्पत्तियां हैं। इन्हीं में से उत्तरप्रदेश के मथुरा जिले में गोकुल बांगर, ब्लॉक बल्देव की रकबा 1-940 का मुख्तारनामा मंदिर के तिलकायत व नाथद्वारा मंदिर मंडल के पदेन अध्यक्ष द्वारा अपने अधिकारों से परे जाकर जारी कर दिया गया है। इस मुख्तारनामे में कुशक गली, मथुरा निवासी राजेन्द्र कुमार शर्मा को यह अधिकार दिया गया है कि वे चाहें तो इसका सेल सर्टीफिकेट बनवायें, आवासीय योजना के अन्तर्गत प्लाटिंग काटे, प्लाटों के पट्टे दें आदि आदि। ज्ञात हो कि नाबालिग प्रभु श्रीनाथजी की सम्पत्तियों की देखरेख के लिए राज्य सरकार ने नाथद्वारा मंदिर मंडल का गठन कर रखा है। किन्हीं विशेष कारणों से मंदिर की जमीन का बेचान अत्यावश्यक होने पर बोर्ड में विधिवत प्रस्ताव पारित कर राज्य सरकार से अनुमति प्राप्त करने के पश्चात ही किसी भूमि का बेचान किया जा सकता है। इसमें भी राज्य सरकार पूरी तहकीकात के पश्चात ही भूमि के बेचान की स्वीकृति प्रदान करती है। राज्य सरकार ने अपने प्रतिनिधि के तौर पर मुख्य निष्पादन अधिकारी की नियुक्ति कर रखी है। जो राज्य सरकार को अपनी रिपोर्ट प्रेषित करते हैं। जबकि उक्त मुख्तारनामें के संबंध में मुख्य निष्पादन अधिकारी कार्यालय में किसी भी प्रकार का रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है। यह मुख्तारनामा जारी करने के लिए तिलकायत ने बोर्ड में कोई भी प्रस्ताव ना तो रखा ना ही बोर्ड ने उक्त प्रस्ताव की पुष्टि की है। प्रापर्टी व्यवसाय से जुडे सूत्रों के मुताबिक रिहायशी इलाके में स्थित यह भूमि करोडों रूपये मूल्य की है। तिलकायत ने अधिकारों से परे जाकर 11 अप्रेल, 2005 को आम मुख्तारनामा जारी कर श्रीनाथजी को नुकसान पहंुचाने का कार्य किया है। वर्तमान तिलकायत पहले से ही विवादों में रहें हैं। वर्ष 2015 अक्टूबर को मुंबई में हुई बोर्ड बैठक में तिलकायत ने श्रीनाथजी की सूरत, गुजरात स्थित लगभग 500 करोड की भूमि अपने नाम बिना किसी प्रतिफल के हस्तांतरित कराने का प्रस्ताव पारित कराया था। इसी प्रकार अपनी पुश्तैनी जायदाद में अपने बडें भ्राता पूर्व तिलकायत नित्य लीलास्थ गोस्वामी राजीव जी महाराज की बेवा को हिस्सा नहीं देने को लेकर एक झूठा शपथ पत्र दिनांक 10 अक्टूबर, 2003 को मुंबई के सिटी सर्वे ऑफिस में प्रस्तुत किया था जिसमें उन्होंने यह लिखकर दिया कि वे अपने पिताजी के एक मात्र वारिस हैं और उनके बडे भाई अविवाहित ही रहे थे। प्रॉपर्टी के लिए वर्तमान तिलकायत राकेश गोस्वामी की यह कारगुजारियां देश विदेश के करोडों वैष्णवों के बीच चर्चा का विषय बन गई है।

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